Gaon Shayari In Hindi | गाँव शायरी स्टेटस
Do you also love your village where you spent your childhood and miss its atmosphere and people? Then here is the best Gaon Shayari In Hindi to express your feelings. Get your favorite one and share it with your favorite person.
2024-09-24 11:16:11 - Milan
यहां हर खुशी दुगनी होजाती हैयहां हर घर में हसीं खिलखिलाती हैजब भी गांव को याद करूं तोमेरे आखें अक्सर भर अति हैं।
हमारे रुतबे का तुम क्या अँदाजा लगा पाओगेहम किसी महफिल में कुछ गलत भी कह दे तोलोग कहते है नि..नि..चौधरी साहब सही है !
मैं कामयाब-ए-दीद भी महरूम-ए-दीद भी ~ जल्वों के इज़दिहाम ने हैराँ बना दिया
“ ढूंढ रहा हे मन मेरा आज फिर उन गलियों को जहा मेरा बचपन खेला करता था…!!!
गांव ना पाते थे पूरे नंगे पांव,पैर जलने लगे जब से..डिग्री सेल्सियस समझ आया ।।
आज तो मौसम ख़ुश्क है , बारिश हुई तो सोचेंगे, ~ हमें अपने अरमानों को … किस मिट्टी में बोना है
“ गाँव के लोगो केहालात खराब होते है,मगर वो दिल के खराब नही होते है….!!
“ मेरे खेत की मिट्टीसे पलता है तेरे शहर का पेटमेरा नादान गाँव अबभी उलझा है कर्ज की किश्तों में…!!
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं, क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं।
लफ़्ज़ों का कारीगर हूँ, दर्द तराशता हूँ… चीख़ भी निकल जाती है और शोर भी नहीं होता
ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त वो शख़्स था ज्यादा मगर आदमी था कम!!!
चन्द दिनों का इश्क हम करते नहींगाँव के आशिक है जनाब हर किसी पे मरते नहीं।
नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में हम इख़्तियार में हैं न दिल इख़्तियार में
हमें देखकर आजकल तो, दुश्मन भी दोस्त बनने लगे है।
‘“ गाँव में चलती हैकितनी हसीन हवाएं,दम हो तो कोईइस तरह का मशीन बनाएं….!!
मैं बहानो में विश्वास नहीं करता मैं जीवन की समस्याओं को सुलझाने के लिए कठिन परिश्रम को प्रमुख कारक मानता हूँ ।
“ गाँव के बच्चे माँ-बापकी उम्मीदों को संग लाते है,रूपया कमाने के लिएअपनी जिन्दगी भी दांव पर लगाते है….!!
दिल मे घर करके बैठे है ये जो ज़िद्दी से ख़्वाब,कागज पे उतार मै वो सारे मेहमान ले आऊँ।
बहुत खूबसूरत हैं मेरे ख्यालो की दुनिया,तुमसे ही शुरू और तुमपर ही खत्म…Bahut khubsurat hain mere khayalo ki duniya,Tumse hi shuru aur tumpar hi khatm..
कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।।
दुश्मनी में दोस्ती का सिलसिला रहने दिया, उसके सारे खत जलाये और पता रहने दिया
खाव्हिशों ने कर दिए मकान खाली गांव के, शहर जाकर बस गया है हर शख्स पैसों के लिए।
तेरी मेहनत का तभी कोई मोल होगा,जब पढ़ाई करना तेरी जिंदगी का गोल होगा।
कहीं बाज़ार में मिल जाये तो लेते आना, ~ वो चीज़ जिसे दिल का सुकून कहते हैं
“ अब तो सबको मेरे गाँव की याद आएगी कोरोना जो आया हे शहरों में…!!
छोटी उम्र में भी अपने पैरो पर खड़े हो जाते है,जिम्मेदारियाँ हो सर पर तो बच्चे बड़े हो जाते है।
बादशाह हो या मालिका हो साहब हम सलामी नहीं ठोका करते साहब हसीना हो या पैसा हो गुलामी हम नहीं करते।
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत ~ वो याद तो आते हैं मगर अफसोस हमें याद नहीं करते…
“ कहीं दिखती नहींतितलियां शहर में,वहीं जाड़े की धूपखिलखिला के आती है मेरे गांव में….!!
रिश्ते उन्ही से बनाओ जो निभानेकी औकात रखते हो, ~ बाकी हरेक दिल काबिल-ऐ-वफा नही होता ।
बस इन्सान ही है जो किसी से मिलता जुलता नहीं, … वरना ज़माना तो भरपूर मिलावट का चल रहा है…….
देसी काढ़े में ही मिलता, सूप-वूप में क्या मज़ा है तू क्या जाने छाँव ढूढने वाले धूप में क्या मज़ा है।
मौसम ने बनाया है निगाहों को शराबी,जिस फूल को देखूं वोही पैमाना हुआ है।।
शहर के बाज़ारों में सामान मिलता है, और गांव के बाज़ारों में सुकून मिलता है।
हरियाली सूं हरि भरी धरा घणी मुळकावै खेतां री पाळा पलट खेत घणी घर आवै
“ ख़ोल चेहरों पेचढ़ाने नहीं आते हमकोगांव के लोग हैंहम शहर में कम आते हैं…!!
दूर जाकर भी मुझे तुम कितना सताते हो,इस सर्द मौसम में तुम बहुत याद आते हो.
अब कोई नक्शा नही उतरेगा इस दिल की दीवार पर… ~ तेरी तस्वीर बनाकर कलम तोड़ दी मैंने
अभी बुराइयां तमाम होने दो वक़्त आने पर सलाम भी होंगे। Abhi buraiyan tamam hone do waqt aane par salam bhi honge.
🥰क्या पता था कि #Mohabbat😍 हो जायेगीहमें💑 तो #Tera मुस्कुराना😊 अच्छा Laga था😊🥰♥️💘
ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है
थक कर बैठे हैं हार कर नहीं ~ सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है ज़िंदगी नहीं **************************************
तेरी महफ़िल और मेरी आँखें दोनों सदा ही भरी-भरी रहती हैं
खुल सकती हैं गांठें बस ज़रा से जतन से मगर, लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं
कहानी बस इतनी सी थी तेरी मेरी मोहब्बत की।मौसम की तरह तुम बदल गएऔर फसल की तरह हम बरबाद हो गए।।
मतलब के शहर में चालाकियों के डेरे हैं, यहाँ वो लोग रहते हैं जो मेरे मुँह पर मेरे और तेरे मुँह पर तेरे हैं।
पैसे देखकर रंग फिसलता नहीं है,गाँव का इश्क है ज़नाबहर रोज बदलता नहीं है।
बदलने को हम भी बदल जाते, फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते ।
गाँव की गलियों ने भी पहचानने से इंकार कर दिया,यूँ किसी से ज्यादा दिन दूर रहना अच्छा नहीं होता।
ना किसी को तू सता, ना किसी की आह ले, ~ हो सके तो कर भलाई, वरना अपनी राह ले…
इस बार एक और भी दीवार गिर गयी, बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया
दिये जो जख़्म ,तो मरहम की तकल्लुफ ना करो, ~ कुछ तो रहने दो एहसान अपने…
रिश्ते संजोने के लिए मैं हमेशा झुकता ही रहा ~ और लोग इसे मेरी औकात समझ बैठे…
मकान बहुत आसानी से बन जाते हैं जनाब,घर बनाना बड़ा मुश्किल है।
हर गांव का अगर विकास हो जाएगा तो एक भी गांव ऐसा नहीं होगा जो वीरान हो जाएगा।
आकाश में उड़ रहे #पंछी को भी घर की याद सताती है, चाहे हो दूर_कितने भी घर की याद आती हैll
वफादारी मिलेगी हर रिश्ते में जब बात होंठों से नहीं नोटों से होगी। wafadari milegi har rishte me jab baat hontho se nahi noton se hogi..
“ गाँव में दिखती नहीं हे तरक्की की निशानी मगर यहाँ सुबह होती हे बड़ी सुहानी….!!
गांव का जीवन निर्भर होता है किसानों पर,वहां की खुशबू से हमें नशा होता है बारिश का,गांव की गलियों में हमें अपने आप को खोने का अहसास होता है।
गाँव में त्यौहार, त्यौहार सा लगता हैजब पूरा गाँव एक परिवार सा लगता है।
आपके ‘परिवार’ ने आपके लिए जो किया, उससे कही #ज्यादा आप अपने परिवार के लिए कीजिये।
कायदे बाजार के इस बार उल्टे हो गए! ~ वो तो आए ही नहीं और फूल महँगे हो गए! **************************************
मौसम की तरह बदलना तुम्ही ने सिखाया हैतभी तो आज ये चाँद तेरे लिए नहीं…….तेरी दोस्त के लिए आया है
तू Modern शहर की छोरी, मैं गांव का Simple छोरा प्रिये, मैं Cute देशी Munda, तू Attitude वाली प्रिये।
जो गाँव की मिट्टी में पलते है,वही इतिहास को बदलते है.
गाँव के अनपढ़ बेरोजगारों को नौकरी देता है शहर,कमियों के बावजूद गाँव पर उसका बड़ा एहसान है.
लोगों के शोर में नींद नहीं आती,मुझ तेरी खामोशी ही सोने नहीं देती…Logo ke shor mein nind nahi aati,Mujhe teri khamoshi hi soone nahi deti..
जहां सजदा हो बुजुर्गों का वहाँ की तहजीब अच्छी है,जहाँ लांघे न कोई मर्यादा उस घर की दहलीज अच्छी है।
शुरू शुरू में समझ नहीं आने वाले हमें समझने में सबके आँकड़े अटकते हैंऔर कुछ तो खयाल रखा करो हम जैसों काहम उनमें से जिनके लिए लोग बाद में भटकते है।
मौसम का मजा तो गरीब लेते है,अमीरों को गर्मी, सर्दी औरबरसात के मौसम का पता हीकहाँ चलता है.
सहर ही हलचल से दूर यहाँ मन को आराम हैघर तो अपना गाव में ही है जनाब सहरमें तो बस मकान है….!!
मेरा तो एक ही है सपना,सर पे ताज़ एक मुमताज़ और इस दुनिया पर राज़..!!
“ ख़ोल चेहरों पेचढ़ाने नहीं आते हमकोगांव के लोग हैंहम शहर में कम आते हैं…!!
“ की इस मतलब भरी दुनिया में मैने तेरे जैसा समझदार नहीं देखा तूने शहर वाले की चक्ले तो देख ली मगर गाँव वालो का किरदार नहीं देखा…!!
दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तों ~ कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है!!!
“ बहुत वक्त हुआखुद से मिले हुए कल सुबह मेंअपने गांव जा रहा हु..!!
😊ओये सुनो ना मुझे 💑आपकी बाहों में *LockDown* होना है♥️🥰😍
शहर में नौकरी पाकर जो अहंकार से फूल जाते है,वही लोग अक्सर गाँव में अपनों को भूल जाते है.
गांव की सुंदरता पर शायरी
प्यार में सभी में थोड़ी बहुत खामियां जरूर होती हैं,लेकिन परिवार उसको ‘सदैव’ एक साथ बाँधे रखने का कार्य करता हैं।
बरसती बारिशों से बस इतना ही कहना हैके इस तरह का मौसम मेरे अंदर भी रहता है
जो मोहब्बत में खाक़ होते हैं ~ उनके जज़्बात पाक होते हैं!!!
एक इंसान को 2 चीज़ें कभी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए,अपना परिवार और अपना बिज़नेस या पेशा।
“ मैं गाँव से पैसाकमाने निकलता हूँ,पर गाँव को दिल सेनही निकालता हूँ….!!
सब कुछ कितना ठहरा हुआ है.. मै भी , वक्त भी ,हालात और रुकी हुई है ज़िन्दगी भी बस तुम ही आगे निकल गये…
बुलंदी पर पहुँचेगा पंचायत का विकासअब युवाओं पर दिखाना होगा विश्वासगाँव की नई दिशा नई राह तभी निकलेगीपंचायत की कमान जब होगी युवाओं के पास
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है,मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन।“साक़ी फ़ारुक़ी”
काश !!! ख़्वाबों में ही सही अपने गाँव पहुँच जाएँ,कमबख्त पूरी जिन्दगी ऐसे ख्वाब भी नही आएँ.
शहर में जाकर लग गई ज़िन्दगी दाव में, बड़े मेहफ़ूज़ थे जब तक थे हम अपने गांव में।
रंग पैराहन का खुश्बू जुल्फ लहराने का नाम।मौसम-ए-गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम।।
वो तझको भूले हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ~ खाक डाल आग लगा नाम न ले याद न कर…
कि टूट के बिखर जाऊं मोतियों की माला नहीं हूं मैं, तुझे घुटने टेकनेपर मजबूर कर दूंगा, यूपी वाला हूं मैं।
शहर देखकर ही अब हवा चला करती है।अब इंसान की तरह होशियार मौसम होते हैं।।
वो शाख है न फूल अगर तितलियाँ न हो,वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो।
सूना-सूना सा मुझे घर लगता है,माँ नहीं होती है तो बहुत डर लगता है।
पढ़ाई करने का अगर तुझमें जजबा होगा तो हर परीक्षा में तू सबसे आगे होगा।
“ गांव में बड़े होने पर भी बच्चो को माता पिता डाटते हे ऐसा प्रतीत होता हे जैसे की अपनापन और खुशियाँ बाटते हे….!!
रिश्वत भी नहीं लेती कमबख्त तुझे छोड़ने की ~ तेरी यादे मुझे बहुत ईमानदार लगती है!!!
इतनी बारिश हो रही है फिर भी किसी की ~ Girlfriend बहकर मेरे पास नहीं आ रही हैं..
मुद्दतों कायम रहा ‘दिलों’ में अपना डेरा, ~ हम जहाँ भी रहे अच्छे-खासे रहे…
जो ख्वाहिशें दिल से की जाती हैं ~ अक्सर उन्हीं की किस्मत में अधूरापन होता है..
सर्द मौसम में छनी हुयी धुप सी लगते हो।कोई बादल हरे मौसम का फ़िर ऐलान करता है।।
जिन्दगी कैद हो गई शहर के ऑफिस और मकानों में,कितना हम खेला करते थे गाँव के खेत-खलिहानों में.
मैं जब सादी_सुधा नही था तब जादा #यारो से दूर था जब से हुआ विवाह है #यादो ने बनाया मुझे अपना यार है,
हर दिन शाम से पहले घर आना सिखाया था माँ ने,इस तरह अच्छी आदतों के साथ जीना सिखाया था माँ ने।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं छुप-छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा
तु जो कहे ये ,के फ़क़त तेरे हैं, ~ कितना सच सा लगता है…
************************************** यूँ तो इक आवाज़ दूँ और बुला लूँ तुझ को, ~ मगर कोशिश ये है कि ख़ामोशी को भी आज़मा लूँ ज़रा
घर में कमरे हुआ करते थे तब,कमरों में हो गया है घर अब।
चल दूर कहीं एक घर बनाते है,दुनिया से अलग इक दुनिया बसाते है।
इस मोहब्बत की किताब के दो ही सबक याद हुए,,, ~ कुछ तुम जैसे आबाद हुऐ कुछ हम जैसे बर्बाद हुए…
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है,मैं वह कतरा हूँ समन्दर मेरे घर आता है।
देशी हूँ गवार समझाने की भूल ना करना, दिखा दूँगा तरी औकात कभी Attitude दिखने की भूल ना करना !!
जब लोगों के दिल भर जाते है, ~ तो बहाने अपने आप मिल जाते है !!
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
प्रेम ही एकमात्र ऐसा फूल है जो बिना मौसम की सहायता के बढ़ता और खिलता है।
वो अनजान चला है,जन्नत पाऩे की खातिर ~ बेखबर को इत्तला कर दो,कि माँ-बाप घर पर ही है..
“ की एक तेरा शहर पानी के लिए खून बहा देता हे और एक मेरा गाँव जो पानी न मिले तो प्यार बाँट लेता हे…!!
***** वो अच्छे हैं तो बेहतर बुरे हैं तो भी कबूल मिजाज़-ए-इश्क में ऐब-ओ-हुनर देखे नहीं जाते!!!
ख़ुशी से कब हम अपना गाँव छोड़कर आते है,पैसे कमाने के लिए अपने दिल को तोड़कर आते है.
आखिर कैसे भुलादे हम उसे ~ मौत इन्सानो को आती है यादों को नहीं!
तुम्हें मालूम था कि मैं गरीब हूँ, फिर भी ~ तुमने मेरी हर चीज़ तोड़ दी…
जो कल तक टूटा सा था वो जुड़ रहा हैअब हर परिंदा गाँव की ओर मुड़ रहा है
“ जहाँ सीधे-सादे लोगो का है डेरा,खुशहाली से भरा वो गाँव है मेरा….!!
कुछ तो मौसम-ए-हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी,दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।।
मोहब्बत इंसान को इतना कुछ सीखा देती है,जो वो पूरी ज़िन्दगी में नही सीख पाता..!!
समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम,हमारे घर के बराबर तुम्हारा भी घर है।
बेशक आराम की जिंदगी सहरों में मिल जाएगीमगर सुकून बस गाँव में ही आएगी।
“ ढूंढ रहा हे मन मेराआज फिर उन गलियों कोजहा मेरा बचपनखेला करता था…!!
चाँद सी शक्ल जो अल्लाह ने दी थी तुम को, ~ काश रौशन मिरी क़िस्मत का सितारा करते
अगर तेरे बिना जीना आसान होता तो,कसम मुहब्बत की तुझे याद करना भी गुनाह समझते।
नाम एक दिन में नहीं बनता पर, एक दिन जरूर बनता है !
मेरी मोहब्बत की हद न पूछो,मैं दुनिया छोड़ सकता हूँ पर तुम्हे नहीं..Meri mohabbat ki hadd na pucho,Main duniya chod sakta hoon par tumhe nahi..
“ गाँव में दिखती नहीतरक्की की निशानी,पर यहाँ की सुबहहोती है बड़ी ही सुहानी….!!
गांव का पंछी हूँ शहर मुझे रास नही जाएगा,मैं ठोकर खाकर गिर लूंगा तो…कोई उठाने नहीं जाएगा ।।
मेरी आँखों में आँसू नहीं, बस कुछ नमी है, वजह तू नहीं, तेरी ये कमी है।
गलतियाँ करने से मैं अब घबराने लगा हूँ,जिम्मेदारियाँ घर की मैं जब से उठाने लगा हूँ।
ज़िन्दगी में तनहा हु तो क्या हुआ…, ~ जनाजे में सारा शहर होगा देख लेना…
आधे से कुछ ज़्यादा है… पूरे से कुछ कम, कुछ जिन्दगी, कुछ ग़म, कुछ इश्क, कुछ हम.
मुझे उस सहर की हो क्या ख़ुशी जो हो जुल्मतों में घिरी हुईमिरी शाम-ए-ग़म को जो लूट ले मुझ उस शहर की तलाश है
😍यारा तेरी यारी को♥️ मेने तो खुदा माना😍🥰याद करेगी दुनिया💟 तेरा मेरा अफसाना🥰
मत कर हिसाब तू मेरी मोहब्बत का, ~ वर्ना ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जाएगी
शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था,जिसने सबका घर बनाया उसका घर कोई न था।
एक #इंसान को 2 चीज़ें कभी ‘नजरअंदाज’ नहीं करनी चाहिए – अपना परिवार और अपना #बिज़नेस या पेशा।
“ क्या जमाना था जब एक खत पूरा गांव पढ़ता था आज हर एक मोबाईल लेकर ‘मतलबी हो गया हे….!!
बनारस की शाम सबसे सुंदर होती है,जब माँ गंगा की आरती शुरू होती हैतो मन मन्त्र मुग्ध हो जाता है औरहृदय में अध्यात्म जागृत हो जाता है.
कोई गलती हो जाये तो डाट लिया करो,मगर यू रूठा न करो हमसे..Koi galti ho jaye toh daat liya karo,Magar yu rutha na karo humse…
उसने समुन्दर को अपनी बाँहों में समेटना चाहा समुन्दर उसकी बाँहों में नहीं समा पाया उसने नाराज़ होकर समुन्दर से मुँह मोड़ लिया
ऐसे ही नहीं मिल जाता साहब भोजन अपनी थाली मेंकोई जागता है महीनों अपनी फसलों की रखवाली में ।।
जब भी कोई गाँव से आता है,अपनों के प्यार की छाँव लाता है.
होते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते, कुछ लोग जलते हैं मुझसे बस ख़ाक नहीं होते।
“ जो कल तक टूटासा था वो जुड़ रहा है,अब हर परिंदा गाँवकी ओर मुड़ रहा है…!!
जिसके पास पैसा है आज उसी का शोर है, बाकी तो चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशी कमजोर है।
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है,गरीबी जानती है घर में बिछौने कम है।
गांव में दूर दूर तक करीबी रहते हैं और शहर वालों को ये तक नहीं पता की क़रीब में कौन रहता है।
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ~ ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई!!!
आज तकलीफ़ हो रही है हाल-ए-ज़िंदगी पर ~ काश उस से हद में रह कर मोहब्बत की होती
village shayari status
“ ख़ुशी से कब हमअपना गाँव छोड़कर आते है,पैसे कमाने के लिएअपने दिल को तोड़कर आते है….!!
“ शहर जाकर बस गया हरशख्स पैसे के लिएख्वाहिशों ने मेरा पूरागाँव खली कर दिया…!!
कितना तकलीफ उठाकर कमाते है,जब गाँव से कम उम्र के बच्चे शहर जाते है.
अभी पास है तो ठोकर मारकर bewafa बना देते हो, जब दूर हो जाएंगे, तो प्यार जाताओगे!
आने वाले हैं मदारी मेरे गाँव में, खड़े होंगे कुछ जुआरी अब चुनाव में।
काश नासमझी में ही बीत जाए… ये ज़िन्दगी… समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया..
वो Online होकर भी मुझसे बातें नही करता, ~ इधर हम हिचकी आने पर भी Net On कर देते हैं
मोहब्बत मुक्म्मल न हो तो ही अच्छा हैं,वरना महबूब के घर झाङू पोंछा करना पङता ।
बिना नुक्सान पहुंचाए प्रकृति को, गांव गांव में प्रगति हो।
उसने कहा तुम मुझे ज़हर लगती हो, मैंने भी बोल दिया खा के मर जा !!
बेवजह है तभी मोहब्बत है, वजह होती, तो साजिश होती…
अब टूट गया है दिल बवाल क्या करे, खुद ही किया था पसंद सवाल क्या करें।
इस शहर के अंदाज़ भी अजब है यारों, गुगो से कहा जाता है बहरों को पुकारो।
कुछ जिम्मेदारियां मजबूर कर देती है वरना कौन अपनी मिट्टी में जीना नहीं चाहता।
तेरी याद ही आखिरी सहारा थी ~ बडी भूल की तुझे भूल कर…
फ़ासले तो दिलों के हुआ करते हैं , दूरियों के नही … ~ चाहने वाले तो …… तस्वीर में भी …..मिल लेते हैं
वही साक़ी वही जुल्फ़े वही अल्लाह की बातें, ~ करेगा कब तू ग़ज़लों में , बशर की आह की बातें…
दूर रहने पर घर का खाना याद आता है,खाने के वक्त माँ का बुलाना याद आता है।
वक़्त आने दो उसपर राज करेंगे जिसे लोग दुनिया कहते है। waqt Aane do uspar raaj karenge jise log duniya kehte hain..
‘“ की निम का पेड़ था बारिश थी और झूला था गाँव में गुजरा हुआ मेरा बचपन भी का बचपन था…!!
कुछ दिनों तक बड़े मज़े से कटी, ~ और फिर इश्क़ हो गया मुझको…
तेरे तसव्वुर की धूप ओढ़े खड़ा हूँ छत पर।मिरे लिए सर्दियों का मौसम ज़रा अलग है।
परधानी के चुनाव में बड़ी कसरत हो रही है, इलेक्सन में गरीबों की बड़ी सेवा हो रही है।
तू शहर की पढ़ी लिखी लड़की, में छोरा गांव का गवार, तू चलाती हैं स्कूटी, में रहता बुलेट पे सवार।
मैंने उस एक्वेरियम में घुटती साँसे देख लीं ~ कैसे कह देता मुझे वो मछलियाँ अच्छी लगी
चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी, ~ लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन काकुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन कासर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद लेमहंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का
हम ने चाहा था कि हाकिम से करेंगे शिकवा, ~ वो भी कम्बख़्त तेरा चाहने वाला निकला
गाँव में दिखती नही तरक्की की निशानी,पर यहाँ की सुबह होती है बड़ी ही सुहानी.
“ जिन्दगी कभी धूपमें तो कभी छाँव में है,जीवन जीने काअसली मजा तो गाँव में है….!!
ख़ुश होना है तो बेवजह हो जाइए जनाब ~ वजहें आजकल महँगी हो गई हैं
Dosto 😍अब सब कुछ खुलेगा😒 बस मुँह🗣️ ही बंद रखना है😐______😁😆😂🤣🤣
फुरसतों की गर्म चादर लपेटे बैठा है,घर मेरे बचपन की यादें समेटे बैठा है।
मेरे हालत ने कर दिया था मुझे खामोश ~ हम ज़रा चुप क्या हुए सभी ने तो याद करना ही छोड़ दिया……
घर से चले तो राह में आकर ठिठक गए पूरी हुई रदीफ़ अधूरा है काफ़िया!!!
“ गांव का मज़ाशहर में ढूंढते हो ज़हर की दवा ज़हर में ढूंढते हो…!!
बहुत उदास बैठे हो,कहो तो दिल दूं खेलने के लिए..!!
“ शहर से तो अच्छा मेरा गांव हे साहब जहाँ मकान को नंबर से नहीं बल्कि पिता के नाम से पहचाना जाता हे…!!
ना जाने कितने साल बीत गएना जाने कितने दिन बीत गएगाँव जाने की बहुत तमना थीहम शहर में ही फस गए
दिया बुझाने की फितरत बदल भी सकती है, ~ कोई चराग हवा पे दवाब तो डाले…
तू ब्रांड होगा किसी शोरूम का, यह बंदा तो देसी ही ठीक है !
मेरे दिल को तोड़कर तू मिलने का बहाना न कर,दर्द हमने बहुत सहे है, इस मौसम को सुहाना न कर.
ले – दे – के वही है इस शहर में अपना, ~ दुनिया कहीं उसको भ़ी समझदार न कर दे…
न जाने कौन सा आँसू किसी से क्या कह दे.. ~ हम इस ख़्याल से नज़रें झुकाए बैठे हैं..
आह को चाहिये इक उमर असर होते तक कौन जीता है,तेरी जुल्फ के सर होते तक।
👉कुछ #तारीखें बीतती नहीं✖️👉तमाम साल #गुज़रने के बाद भी😐
हमारे रुतबे का तुम क्या अँदाजा लगा पाओगे हम किसी महफिल में कुछ गलत भी कह दे तो लोग कहते है नि..नि..चौधरी साहब सही है !
“ शहरों में कहां मिलता हैवो सुकून जो गांव में था,जो मां की गोदी औरनीम पीपल की छांव में था…!!
लोग शोर से जाग जाते है…. ~ मुझे तुम्हारी ख़ामोशी सोने नही देती….
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं, आने वाले बरसों के बाद भी आते हैं…
किसका वास्ता देकर मैं रोकता उसे, ~ खुदा तक तो मेरा, बन चूका था वो…
ये घर खाली-खाली सा लगता हैं,जब तुम नहीं होती।
❣️इश्क का #समंदर भी क्या समंदर है Jo #डूब गया🏊 वो आशिक 😍जो बच गया वो दीवाना😉
गाँव की गलियां शायरीशहर के साहब कभी गाँव घूम के आनागाँव तुझे अपना ना लगे तो बताना
वो सहर से नजदीक है पर दूरियां बहोत है,गाँव के लोग खुश है मगर मजबूरियां बहोत है।
“ चन्द लम्हो का इश्क हम कभी करते नहीं हे हम गाँव के आशिक हे जो हर किसी पर मरते नहीं…!!
तेरे इंतजार का मजा ही कुछ और हैअरे उसके आगे तो तेरे इस मौसम का मजा भी कमजोर है
तेरी याद में बर्बाद नाजाने कितनी शाम की है मैंने,कुछ यूँ ही अपनी ज़िन्दगी तमाम की है मैंने।
शाम से आँख में नमीं सी हैआज फिर आप की कमी सी है
इस नाज़ुक दिल मे किसी के लिये इतनी मोहब्बत है, ~ हर रात जब तक आँख भीग ना जाये नींद नही आती…
या रब एक आइना ऐसा बना दे ~ जिसमें चेहरा नहीं नीयत दिखाई दे
अभी कांच हूँ तो चुभ रहा हूँ, जिस दिन आइना बन जाऊंगा, उस दिन पूरी दुनिया देखेगी !
ना सीख लेना तुम बेरुख़ी भी ज़ालिम ज़माने से ~ कि तुम जो सीख लेते हो हम पर आज़माते हो..
एक मेहबूब बेपरवाह और एक मोहब्बत बेपनाह, यही तक़दीर का नुस्ख़ा है जो करेगा मुझे तबाह
📲FB मे जितनी 👰Girls #Attitude😎 दिखाती हैउससे #Handsome😍 तो मेरे गाँव में 🐃भैंस🐃 चराने जाती है😁💑😍🍻
आज है वो बहार का मौसम,फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए।।
ना जाने माँ क्या मिलाया करती है आटे में,ये घर जैसी रोटियां और कहीं मिलती ही नहीं।
ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल पड़ती है ‘डयूटी’ पर, ~ ‘बदन’ हर शाम कहता है कि अब ‘हड़ताल’ हो जाए ।।
शहर के Ac में वो बात कहाँ जो बात पेड़ की छांव में है, मुस्कुराइए जनाब आप गांव में है।
दिल सा मस्कन छोड़ के जाना इतना भी आसान नहींसुब्ह को रस्ता भूल गए तो शाम को वापस आओगे
अब कहां दुआओं में वो बरक्कतें…वो नसीहतें…वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलूस हैं… मतलबों के सलाम हैं..
ना कोई मतलब ना कोई प्रेम व्यवहार हैअनजान है लोग अपनो से सहर में…. ना जाने पड़ोस में किसका मकान है।
ला-हासिल ही सही मगर ~ मोहब्बत तुझ से ही है
“ चाहे कितना भी क्यों न हो जख्म घाव का अकेलापन कभी महसूस नहीं होता अगर में अपने गाँव हो…!!
मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए 👩❤️👨 तेरी एक अदा 😍 के सामने, मैं तुझे 👰 ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने.😘
लोग आपको नहीं आपके अच्छे वक़्त को अहमियत देते हैं। Log apko nahi apke ache waqt ko Aahimiyat dete hai.
अक्सर जिंदगी के उन हालातों से भी गुजरे ~ जहां लगता था मरना अब जरूरी हो गया है.
तुम से सदियों की वफ़ाओं का कोई नाता न था ~ बस तुमसे मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में!!!
गाँव पर ख़ूबसूरत शेर
#मंजिलें भी जिद्दी हैं💪 #रास्ते भी जिद्दी हैं #देखतें हैं कल क्या हो 🥰 हौंसले भी जिद्दी हैं 😎
हक् से दो तो नफ़रत भी सर आँखों पर, ~ ख़ैरात में तो मुहब्बत भी मंजूर नहीं…
हमारी वाली थोडी Late आएगीपर लाखों में Ek आएगी
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,शहर में तरक्की कितनी भी करो लोपर गाँव अपनों से मिलने आया करो.
इस भीड़ में अपना नज़र आये कोई मुझको ~ मैं गुमशुदा बच्चे की तरह ख़ौफ़ज़दा हूँ ….
मरते होंगे लाखों तुझपर,हम तो तेरे साथ जीना चाहते हैं..Marte honge lakho tujhpar,Hum toh tere sath jeena chahte hain..
सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते!!!
शहर की हवा ज़हर और गांव की हवा दवा है।
“ नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांवहुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गए पांव…!!
वो जो ख़ामोशी की एक पतली लकीर उभरी थी न.. ~ अब सरहद बन चुकी है.. तेरे मेरे दरमियाँ…..
कितना भी बड़ा जख्म या घाव होअकेलापन महसूस नही होता अगर गाँव हो
“ ख़ुशी से कब हम अपनागाँव छोड़कर आते है,पैसे कमाने के लिएअपने दिल को तोड़कर आते है….!!
बहार-ए-दो-रोज़ा से क्या दिल बहलाता ~ ख़बर कर चुके थे ख़बर करने वाले
वो यार है जो ख़ुश्बू की तरह जिसकी ज़ुबा उर्दू की तरहमेरी शाम-ओ-रात मेरी कायनात वो यार मेरा सैयाँ सैयाँ
“ शहर में छाले पड़ जाते हे जिंदगी के पाँव में सुकून का जीवन जीना हे तो आ जाओ गांव में…!!
दिल की बाते कौन जाने,मेरे हालात को कौन जाने,बस बारिश का मौसम है।पर दिल की ख्वाहिश कौन जाने,मेरी प्यास का एहसास कौन जाने?
प्यार करने का मौसम नहीं आता हैं,पर जब तुम सामने आते हो, तो हरमौसम मजेदार बन जाता हैं।।
शहर का पिंजरा है ही इतना बड़ा की हर कैदी वहां खुद को आज़ाद समझता है।
😇इरादा Status लिखकर उसको समजाना था ❤️😎But ज़माने ने हमें Bio King बोल दिया 👑
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते,किसी की आँख में रहकर संवर गए होते।“बशीर बद्र”
तू शहर की पढ़ी लिखी लड़की,में छोरा गांव का गवार,तू चलाती हैंस्कूटी,में रहता बुलेट पे सवार।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए
मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैं,मैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ।“मुनीर नियाज़ी”
सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो, मालूम ~ तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते…
हुई सूरत न कुछ अपनी शिफ़ा की ~ दवा की मुद्दतों बरसों दुआ की
प्रधानी चुनाव जीतने में जो पैसा लगाएगा, वो जीतने के बाद कैसे काम कराएगा, वो तो चुनाव का खर्चा भ्रस्टाचार करके कमाएगा।
तू गुजऱ जाए गऱ मेरे करीब से ये भी किसी मुलाक़ात से कम नहीं!!!
रोने की वजह भी न थी न हंसने का बहाना था क्यो हो गए हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था |
#Attitude हड्डियों में होना चाहिए😍💑🥰🧠दिमाग में तो #लड़कियों👸 के भी भरा हुआ है😎🤨😌
मैने बिना मतलब निकाले रिश्ते निभाने वाला इंसान देख है,इस जहान में केवल माँ ही है, जिसकी नज़र से मैने यह आसमान देखा है” मेरी माँ ”
जो गाँव की मिट्टी में पलते है,वही इतिहास को बदलते है.
अहंकार मत पालिये जनाब वक़्त के समंदर में कई सिकंदर डूब गए हैं। Aahankar mat paliye janav waqt ke samandar me kai sikandar dub gayen hain.
Attitude की बात मत कर, वो तो बचपन से हैपैदा हुआ तो 2 साल तक किसी से बात नहीं की
मुहब्बत वो भी करते हैं, जो इजहार तक नहीं करते…!!
अब रातभर ये उधम मचाएंगी, ख्वाहिशे दिन में खूब सोयीं हैं..!!
किसी और के ”घर” से अपने घर की तुलना कभी_नहीं करनी चाहिए.
इश्क किताबों से करोगे अगर, तो दिल टूटने के बाद भी करियर बन जाएगा;किसी लड़की से करोगे तो जो कुछ सीखा है वो भी जीरो हो जाएगा।
मोहब्बत की है तुमसे,बेफ़िकर रहो,नाराजगी हो सकती है,नफरत नही..Mohabbat ki hain tumse,Befikra raho,Narazgi ho sakti hain,Nafrat nahi…
दिल खुश हो जाता था जिसके मुस्कुराने से,ये मौसम बेरंग हो गया है उसके छोड़ जाने से.
घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए, उड़ने को पंख हैं, हम ये भी भूल गए…
सहर ही हलचल से दूरयहाँ मन को आराम हैघर तो अपना गाव में ही है जनाबसहर में तो बस मकान है।
जीने को तो जी रहे हैं उन के बगैर भी लेकिन ~ सजा-ए-मौत के मायूस कैदियों की तरह…
ऊपर से तो सूरज की गर्मी ने सता रखा हैनीचे इस लड़की की अग्नि ने जला रखा है
मेरे प्यार की मजार तो आज भी वही है जान बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गयी!!!
“ गांवों में भीड़ बढ़ती जा रही है,सुना है शहर मेंकोई बीमारी आयी है…!!
जब मैं एक मुद्दत बाद शहर से घर आता हूँ,मैं अपनों के बीच में खुद को पराया पाता हूँ।
“ हम जहाँ के रहवासी हेवहा मौसम अपनारंग बदलता हे लोग नहीं…!!
ख़ुशी के माहौल में मोत का फरमान आ रहा है,जो कहते थे की गाँव में क्या रखा है,,उन्हें भी आज गाँव याद आ रहा है।
ये सर्द रात ये तन्हाईयाँ ये नींद का बोझ,हम अपने शहर में होते तो घर गए होते।
किसी विदयार्थी का कोई अपना है तो वो है पढ़ाई,बांकी उसके लिए हर चीज़ है पराई।
आपके परिवार ने आपके लिए जो किया,उससे कही ज्यादा आप अपने परिवार के लिए कीजिये।
शहर इंसान से कितना कुछ छीन लेती है,जिसके बदले में चंद कागज के नोट देती है.
जब नौकरी ना लगे जवानी में, तो कूद पड़ो गाँव की प्रधानी में।
दिल में अब भी दर्द बहोत है,उनकी बहोत याद आती है।घर छोड़े सालो हो गए,मुझे माँ की याद बहोत सताती है।|| गाँव की याद शायरी ||
तू यहाँ नहीं तो वहाँ ज़रूर मिलेगा ~ जहाँ तुझे भी आना है और मुझे भी
बुरा भी वो ही बनता है ~ जो अच्छा बन के टूट चूका होता है
फेल होने का डर जब तक तुझे नहीं सताएगा,तब तक तेरा मन पढ़ाई की तरफ नहीं जाएगा।
#चौचौखट पर बैठी वो माँ आज भी याद है उसके #आँखों आई विदाई की आँशु आज भी मेरे ”आँखों” में रुके हुए है,
“ कितना भी बड़ा जख्म या घाव हो,अकेलापन महसूसनही होता अगर गाँव हो….!!
घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है , जरूरत किसी को नहीं, जरूरी फिर भी है!
सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में,मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है।
गाँव में पला थासहरों से बस सपने में मिला था !तरक्की मिलीपैसे भी बहोत मिले…पर आज तक कोई अपना ना मिला !!
जो गाँव की गलियों में खेल कर बड़े होते है,वो कम उम्र में ही अपने पैरों पर खड़े होते है…..!!
रह कर खामोश वो मेरी बात सुनता गया ~ कभी-कभी ऐसे भी मेरी हार हुई है…
ख़त्म गांव से अब हर तनाव होसरपंच के लिए युवा का चुनाव हो
अपनी चाहत का यूँ पता देना ~ सामना हो तो बस जरा मुस्करा देना
दिल की लगी में वक़्त-ए -तन्हाई ऐसा भी आता है ~ कि रात चली जाती है मगर अँधेरे नहीं जाते…
जिस दिन तेरे बिन रह लू |उसदिन खुद को मिटा दूंगा |मुझ से दूर जाने की बातें मत कर |दुनिया में आग लगा दूंगा |
अगर कोई चुप है तो इसका मतलब ये नहीं की उसे बोलना नहीं आता, हो सकता है वो थप्पड़ मारने में यकीन रखता हो !!
खरीद पायें ना सुकून पैसा वो बेकार का,घर को घर बनाया नहीं इन्सान वो किस काम का।
जब से उसने शहर को छोड़ा, हर रस्ता सुनसान हुआ, अपना क्या है सारे शहर का एक जैसा नुक़सान हुआ
गाँव में अनपढ़ है और रूढ़िवादी है,मन के भाव को समझ ले इतने जज्बाती है.
कुछ लोगों का दिल जीत लिया आकर इस बरसात ने ~ और कुछ इस सोच में डूबे हैं की आज वो सोयेंगे कहां
मैने तो बस तुमसे बेइंतहा मोहब्बत की है ~ ना तुम्हे पाने के बारे मे सोचा है ना खोने के बारे मे!!!
आंखों में नींद बहुत है पर सोना नहीं है यही वक्त है कुछ करने का मेरे दोस्त इसे खोना नहीं है ।
स्वर्ग की अप्सरा की कामना करना या सोचना
जिंदगी में अंधेरा तभी बढ़ता है,जब इंसान शिक्षा को छोड़ अज्ञानता की तरफ बड़ता है।
कुछ के पास #बहाने होते है 👉और कुछ के पास #नतीजे 😏