Get the best collection of Kavita Shayari In Hindi and copy and share it on your social media with your friends and families.
गुज़रे हैं कई वक़्त तेरे जागने के इन्तज़ार मे,जो काम आंसू करे वो भला अल्फाज़ क्यों नहीं करते ?
माँ का आंचल सब खुशियों की रंगारंग फुलवारी,इसके चरणों में जन्नत है आनंद की किलकारी.
बिछड़ जाने से मोहब्बत कम नहीं होती बिछड़ जाने पर हमने ये समझा उसकी यादें तो अब मिराज सी हैं उस मिराज को भी हमने सच समझा
आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा.
तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब, दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…
इक उम्र गुज़ारी है मुहब्बत में ‘ज़ाफ़िर’ मुश्किलें रहें पर इश्क़ का सफ़र न हो
याद उन्हें हर लम्हा रहा,बस प्रेम करना वो भूल गए,कुछ ख़्वाब अधूरे ही रहे,
मुझको नया रोकिए, ना ये नजराने दीजिए मेरा सफ़र अलग है मुझे जाने दीजिए, ज्यादा से ज्यादा होगा ये की हार जाएंगे… किस्मत तो हमें अपनी आजमाने दीजिए।
पर हम उनकी मुस्कान को भला कैसे भुलायेंगे इस एक तरफा प्यार को भला अब किसे दिखाएंगे
कुछ रुठे रुठे से लगते हो,तुम कहो तो तुम्हें मनाऊं क्या
दोस्ती तो नाम है उस तकरार में भी अपने यार को मनाने का ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
मुहब्बत के उधर से गुल न आये बहुत ही आ रही नफ़रत इधर है
अंगारे आँखों में है गर्माहट साँसों में है निगाहें हैं रुकी लक्ष पर ज़िक्र मंज़िल का बातों में है
दीवारों पे लिख रखे हैं सबने नाम यंहाचैन से जीने वाले को हमने बेनाम देखा है।
भर गए जो थे पुराने ज़ख्म अब फिर नए बना रहे हो जाओ ना पास कब्र के ही बैठे रहोगे क्या बुला रही है ज़िन्दगी जाओ ना
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफतुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया
हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे, आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |
बचपन में जहाँ चाहा हंस लेते थे,जहाँ चाहा से लेते थे…।
घर की पुरानी दीवारों सा,अब ढहने लगा है आदमी !
कभी वो माँ की तरह समझाता है तो कभी पिता की तरह डांटता है
पर अफसोस तुम कभी कुछ कहते ही नहीं,कहते हो साथ हो पर कभी रहते ही नहीं,
मार दिया कन्या को जिसने, माता के ही कोख में।
संग गोपियां राधा आई लो आया मोहन मतवाला। थिरक थिरक बिरज में नाचे मुरलीधर बंसी वाला।
गुज़र रहे हैं उम्र के उस पहर से ख्वाहिशें जहाँ ज़रा रंगीन होती हैं शरारतों के बाद वाला सफर है ये जहाँ गलतियां भी संगीन होती है
तूने जो लगायी लगन है,इश्क की पहली अनि है,छोड़कर न जाना पिया तू,मैं मीरा सी तुझमें मगन हूँ.
गम तो कई उसने भी देखे, पर राहों में चले खुशियों को लेके दिल चाहता हैं हर दम हम साथ चलें, पर इस राह में कई काले बादल हैं घने वो साथ था जाना पहचाना
बचपन को भुलाकर, लगाया काम गले से, स्वीकार किया वक्त का इनाम गले से, ठोकर लगी जब तेज से तो गिर पड़े लेकिन, गिर-गिर के भी उठना ही पड़ा घर के वास्ते!
पता नहीं कब,माँ का स्नेहिल आँचल,बन जाता है।
छोटे-छोटे है हाथ मेरे रोटी गोल मटोल। पापा की हूं लाडली मुस्कानें देती घोल।
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
बड़ी प्यारी हैं बातें उसकी,तोतली जबान भाती है।किसी वीणा सी बज़ती है,जब वो खिलखिलाती है।।
निग़ाहे से न देखें वो तिरछी यूं करे उल्फ़त बयां मैं चाहता हूँ
वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी.
शायर यारों की महफ़िल जमेगीतो जिक्र तेरा जरूर आएगा
आंखे दर्द बयां कर रही थी,पर दिल ज़िद पे अडा था,वो रूठा था किसी बात पे,और वो अडी थी अपने सम्मान पे।
खाना हमें खिलाती है माँ,लोरी गाकर सुलाती है माँ।
सुनो ना,अब दिल भरा है क्योकि बहुत इश्क़ करा है,अब ये न कहना के तेरा दिल मेरे पास पड़ा है !!
अगर नहीं तो फिर,कैसे रहेंगे बिना एक दूजे के,और यदि हां तो फिर,क्यों आज साथ है एक दूजे के??
कभी कभी बाते तक ठीक से नही होती, पर इससे हमारे बीच दूरियां नही आती,
रक़ीब जब भी करेंगे प्यार तुमकोमुझे भी याद जरूर किया जाएगा
बदल गए तो बदल गए अश्क़ बहाकर क्या करना इश्क़ से तौबा कर बैठे किसी और का होके क्या करना
क़िस्मत बदलकर आएंगे हम क्या है ये दिखलाएंगे ख्वाहिश अधूरी थी जितनी आज हम सच कर जाएंगे
मैं तन पर ला दे फिरता दुसाले रेशमीलेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं माँ
दुनिया तुमको सर चढ़ाये,मुझ पर घर की धुन तनी,भोज तोरा कूकर बिगाड़े,यहाँ दाल भी नहीं बनी।
इश्क़ को तरसना भी ज़रूरी था आँखों का बरसना भी ज़रूरी था था ज़रूरी के हम दोनों एक हो जाते फिर मोहब्बत में बिछड़ना भी ज़रूरी था
अकेले में दोस्त ही काम आता हैख़ुशी में भी दोस्ती के साथ हाथों में जाम आता है
दूरी बढ़ती जा रही मंज़िल से मेरीचलते चलते भी थकावट सी हो रही है
लफ़्ज़ों में दर्द रिसता है मेरे,तेरे इश्क को मरहम कर लूं क्या?
अटल विश्वास माँ का, माँ की ममता डोरीमाँ के आंचल की छांव, माँ की मुस्कान प्यारी.
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता.
होने लगी है अब घुटन दिल की दीवारों से अपना कह कर मुझको कोई बुलाता क्यों नहीं
अपनों में रहकर भी अजनबीसा लगने लगा है आदमी !
कभी- कभी बहन बन कर सताता है तो कभी भाई की तरह रुलाता है
प्यासी धरा और खेत पर मैं गीत लिक्खूंगा अब सत्य के संकेत पर मैं गीत लिक्खूंगा
गिन-गिन कर तारे भी गिन जाऊ, पर उसकी यादों को भुला ना पाऊ कहता था अक्सर हर दिन हैं मस्ताना, हर राह में खुशियों का तराना वो साथ था जाना पहचाना
मैंने रो रो कर ख़तम किये आंसू होता अगर वो मेरा आता मेरे पास मुझको यकीन है इश्क़ पे मेरे याद करेगा रोएगा वो भी मेरे बाद
कभी एक आफ़ताब बन होंसला बढ़ाता है हमें ग़म और खुशियों से परे ले जाता है
गुज़र रहे हैं उम्र के उस पहर से ख्वाहिशें जहाँ ज़रा रंगीन होती हैं शरारतों के बाद वाला सफर है ये जहाँ गलतियां भी संगीन होती है
वो तो वक़्त का मारा है उससे नफरत क्या करना मेरा क़ातिल खुदा मेरा खुद पे रेहमत क्या करना
समायी है तु मेरी हर ख्वाईशों में, हैं तु मेरे रब की तरह, ये सिर्फ मैं जानता हूँ।
माना इक कमी सी है, जिंदगी थम सी हैं,पर क्यों दिल की धड़कनों को दरकिनार करें !!
मुझे अजनबी से प्यार हो गया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया
आग में ठंडक अब मिलती मुझे धुप में राहत अब मिलती मुझे पत्थर भी मुझसे ही लगता मुझे अंधेरों में जन्नत अब मिलती मुझे
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा हैहम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा हैबस यही माँ की परिभाषा है.
भूलकर खुद के ख्वाबों को आधे रास्ते में तुमज़माने भर की बातों में उलझे बैठे हो….. …
रूकती नहीं ज़िन्दगी किसी के जाने से खुद को इतना पागल करना ठीक नहीं इश्क़ तो बस सफर का नाम है इश्क़ को मंज़िल समझना ठीक नहीं
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया .
देख के तुझे कितना सुकून मुझे मिलता है ये सिर्फ मैं जानता हूँ।
खुद को ही कमज़र्फ कह कर खुद को ही फिर माफ़ करना गले लगा कर मुझको कोई मनाता क्यों नहीं
उस खुदा का हाथ है सर पे बेशक मेरे साथ है वो फिर खुदा से रूठे हो क्यों ऐसी तो कोई बात नहीं
सुकून थी ज़िन्दगी मोहब्बत के बगैर क्यों मिली नज़रें हम अंधे अच्छे थे हर शौक छोड़ दिया मोहब्बत के आगे क्यों बने अच्छे हम बुरे अच्छे थे
वस्ल की रात में तेरी खमोशीफिक्र-ए-यार बढ़ा जाएगा
दिल में तुम्हे छुपा के रखाहाल ए दिल बताऊँ कैसे।।
दिल की सारी खिड़की खोलो सूरत पर ना जाओ दो पल की जिंदगानी प्यारे प्रेम सुधारस बरसाओ
मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे.मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ.
साई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय ।मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भूखा जाय ॥
रातें भी आईं, सुबह भी हो गई,बस सोना हम ही भूल गए,कुछ ख़्वाब अधूरे ही रहे,
हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ
जो बंद होती है आँखे, तुम नज़र आती होजब खुल जाती है आँखे, तुम तब भी दिख जाती हो
जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूंसिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है.
ना दुनिया की है खबर, ना मेरी ये सुनती है बेवजह बहकता रहता हूं, एक शराब है मेरी जिंदगी
ये कैसी ख़ता तुझसे इश्क़ करने की, इस ख़ता को खुद ही सबसे बता रहा हूँ मैं…
फिर ढूँढा उसे इधर उधरवो आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी
प्यार वही है बस अब उनको बताते नहीं पर सच तो यही है उनको हम भूल पाते नहीं
तुम फिर किसी दिन मुझसे मेरा साथ मांग लो और, मैं बेझिझक अपना हाथ तुम्हें सौंप दु।
तुम कभी नहीं समझोगे मुझे,एक बार कह कर तो देखो, तुम्हें समझाऊँ क्या.!
हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ | जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |
हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज
तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको, हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |
वो हमसे कुछ इस तरह रूबरू होगया, ना हाथोंने कोई हलचल की ना वक्त ने कोई जल्दबाजी की, फिर भी ना जाने कैसे दो पलोमें वो इतनी यादें दे गया।
दबा रखे हैं कुछ राज़ हमने भी बता दिए तो कुछ कर गुज़र जाओगे खुद को खुदा के नाम कर जाओगे हम सच बोल दे तो तुम मर जाओगे
मर गए हो अंदर से क्या हाँ शायद कुछ ऐसा है शायद अब तुम शायर हो ऐसी तो कोई बात नहीं
अनजान डगर थी मगर चलते रहे हर दिन मंजिल दिखेगी सोचकर आएगा एक दिन विश्वास खो रहा था, कहीं दूर थी मंजिल, विश्वास जगाना भी पड़ा घर के वास्ते।
साँसे चल रही तेरे नाम कीउनका शोर सुनाऊं कैसे।
धुंधला धुंधला सा है शमा आज यहांजो लम्हा है संग वो भी गुजर जायेगा !
ख़ून बन के रगों में है बहता वतनअपनी हर साँस में है ये अपना वतन
जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू,ईश्वर का सबसे प्यारा और सुंदर अवतार है तू माँ.
क्या अपना है और पराया मन की सब गांठे खोलो सूरत बदल दे संस्कारों की सब प्रेम से मीठा बोलो
वो एक दीयाबाती है जिससे,जिन्दंगी जगमगाती है।मेरी रूह चैन पाती है,जब बेटी गले लग जाती है।।
नही जज्बात तुम मे न तडप,ख्वाहिश को पाने की, सुनो हुंकार के उलझन के तुम, एहसास क्या जानो।
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर हैहम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर
हश्र देख कर आशिकों के, डर लगता है थोड़ाकहीं उन जैसा मेरा भी अंजाम ना हो जाए।
दारू इतनी मत पीना कि वह तुम्हें पीने लग जाएं, बिन आग व श्मशान के तुम्हारा शरीर जल जाएं।
उठता धुआं है पैरों के नीचे ख्वाबों को अपनी मेहनत से सींचे लगता नहीं डर गिरने से हमको हाथों में ताकत और खुद रब है पीछे
जब जाती हैं बेटियाँ,पता नहीं कब,आती हैं बेटियाँ,और क्यों,चली जाती हैं बेटियाँ……।
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यारजो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नही
चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही हैअसल ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है
घर की पुरानी दीवारों सा,अब ढहने लगा है आदमी !
किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है , अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है , खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा , खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है .
आनें वाला है कुछ दिनों में अब होली का त्योंहार, लाज शर्म रखना मेरे भाई सबसे अच्छा व्यवहार।
हिन्दी तो है कवियों की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी
कहता हैं मुझे भूल जाना, अपनी यादों में ना बसाना देना चाहूँ हर ख़ुशी उसे, इसीलिए, मिटाना चाहूँ दिल से वो साथ था जाना पहचाना
सुधर जाना संभल जाना सभी पीने वाले वक्त पर, शत्रुओं से भी बुरी है ये इससे दूरियां बनाते जाएं।।
जो तू मेरा नाम पुकारे लगे रब ने पुकारा है थी बिखरी ज़िन्दगी मेरी इसे तुमने सवारा है
खाली पड़ी है कुर्सियां, इन्तजार में है चन्द लोग,जाकर वो छूटा हुआ अपना कामकाज क्यों नहीं करते ?
न साथ था कोई, न ही दिखता था घर मेरा, उस दिन के ऊजाले में भी लगता था अंधेरा, रहने लगे कमरे में उसको घर बना लिया, और घर को भूलना ही पड़ा घर के वास्ते।
तू धरती पर ख़ुदा है माँ,पंछी को छाया देती पेड़ों की डाली है तू माँ.
अजीब सी कशमकश है जिंदगी कीआज क्या है और कल क्या हो जाएगी!
आँखों में तस्वीर तुम्हारीआँसुओं में बहाऊँ कैसे।
जिसके लिए तुमने मुझको छोड़ा,और जिसके लिए मैने जीना छोड़ा, उसका क्या?
सहारा क्यो दिया तुमने,जबकि खुद को में संभाल लेती ।
प्यार के नगमे सुरीले बहा दे प्रीत की रसधार। नैना देखे जिधर भी झलके बस प्यार ही प्यार।
त्याग की भावना जो है माँ के भीतर,प्यार उससे भी गहरा जितना गहरा समंदर.
ना खुशियों की कद्र है, ना राहत से दोस्ती है मेरा सुकून ओढ़े रहती है, एक हिजाब है मेरी जिंदगी
कार लेकर क्या करूँगा?तंग उनकी है गली वह, साइकिल भी जा न पाती ।फिर भला मै कार को बेकार लेकर क्या करूँगा?
वो कहता हैं , तुम कहा गुम रहती हो उसे कोई बतादो उसीके दिल मे रेहती हूँ।
अतुलित बल बुद्धि निधान रामदुलारे महावीर हनुमान
महफिले सजाओ समोसे मंगवा लो चाटते रह जाओगे खाओगे प्यार से
तुम्हें लगता है प्यार कम है मेरा,तुम कहो तो तुम्हें जताऊं क्या ।
घटते बढते सांसो की गति, नीला पीला लाल। ऐसा कोई बचा नही जो, बगडा ना इस साल।
दिया है तुने मुझे कितना, क्या है तेरे पास ये सिर्फ मैं जानता हूँ।
लेकिन.. तुजे देखने का…..एक भी मौका गँवाना नहीं चाहती..
दुनिया से जुड़ा है रंज-ओ-गम का वास्ता इस दुनिया में दूर तक मेरी नज़र न हो
मसला कोई रूहानी है क्या ऐसी तो कोई बात नहीं ज़ख्म मिले जिस्मानी है क्या ऐसी तो कोई बात नहीं
कोशिश भी नहीं की पलटने की तुमने कहते थे चांद तारे तोड़ लाओगे मुझको बस एक किस्सा बना दिया अब तुम नहीं कहानी बनाओगे
हर क़तरा जाम का शौक से पिया गया हर शौक पूरा किया इन हाथों से फिर उसकी कही बातें भी आती है याद आने दो क्या ही होता है बातों से
सारे देश की आशा हैहिन्दी अपनी भाषा है,जात-पात के बंधन को तोड़ेंहिन्दी सारे देश को जोड़े...
जीत हूँ दिन रात डर डर केसहमे सहमे खुशियाँ मनाता हूँमान-सम्मान मेरा सब कुछउसके दम पे शीश उठाता हूँ !!
काश थोड़ा और रो लेते दर पर तुम्हारेआज आंखों में आंसू छुपाने नहीं होते
एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगीदोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएँगी
बचपन में भाई के लिए अपनी इछाओ की बलि देती हे बेटी,जवानी में अपने प्यार की बलि देती हे बेटी।
आगे ही बढ़ना है अब मुड़ना ना रुकना है अब शीशे से लेके इरादे पत्थर से लड़ना है अब
और मशवरे की आदत न रही लोगो कोअब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है ।
नित संध्या बाट निहारेडयोढ़ी संग खड़ी ताकती हैअब आ रहे होंगे शायदहर पल बाहर को झांकती है
याद किया मगर याद आया नहीं कुछ यूँ ज़ेहन से तेरा चेहरा मिटा दिया खुद को थाम रखा था खुद में ही मैंने तेरे बाद खुद को खुद में लुटा दिया
मैंने माँ को है जाना, जब से दुनिया है देखीप्यार माँ का पहचाना, जब से उंगली है थामी.
प्यार को मत समझो पूराउसका पहला अक्षर ही है अधूराअगर करना है सच्चा प्यारतो बन पहले एक दूसरे का यार।
अब हम अपने दिल का हाल उन्हें बताते नहीं हैं हमे तकलीफ हो रही ये उनको बताते नहीं है
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैंऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया.।
जी लेंगे खुल के इस पल को मेरे दोस्तक्यूँ के जिंदगी इस पल को फिर से नहीँ दोहराएँगी
सुनो ना,बोहोत कैद रह लिए इश्क़ में हम,अब आज़ादी का भूत सर पर चढ़ा है !!
तुझपे बेवफा की तोहमत परसच्चा आशिक मुझे कहा जाएगा
मेरे भाई हसा नहीं कभी खुद के लिएजिया हो जिंदगी पर ना कभी अपने लिए
मैं जो कभी अन्दर से टूट कर बिखरूवो मुझे थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है,
पलकों को बंद करके,नन्ही परी सो जाती है।जाने दूर सपनो में,कही खो जाती है।।
खुलती नही हैं,खिड़कियाँ अब तो,दरवाजे भी बंद हैं,दहशत सी हो रही है,सड़क पर निकलने में,कब कौन जाने किधर,भेड़िया खड़ा हो?
उसकी आखों में चमक दिखती है जब होता है तुम्हारे साथ
कुछ भी तो नही मांगती प्रकृति सदैव देती रहती, अपना सर्वस्व लुटाकर भी समझती है यह शान।।
माँ की आंखों में देखें सपने हजार हमारे वास्ते,मंजिलें बनाई ने अपनी न माँ ने चूने अपने रास्ते.
तू फरिश्तों की दुआ है माँ,तू धरती पर ख़ुदा है माँ.
कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थेफिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे
कोई कुछ भी कहे मगर, पीडा इसमे ज्यादा है, शेर हृदय की मान सजनिया,प्रेम मे क्यो पगली है।
चाहें पेड़ पौधे जीव जन्तु अथवा कोई हो इन्सान, इस प्रकृति से हम है और हमसे ही इसकी शान।
हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज हैवही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.
सबको तुमसे है मोहब्बत ऐसी तो कोई बात नहीं तुम किसी से करता हो क्या ऐसी भी कोई बात नहीं
सच्ची दोस्ती में हर एक रिश्ता मिल जाता हैमगर हर रिश्ते में दोस्ती नहीं मिलती।दोस्ती दो के बीच समता और एकताजो सुख दुख में भी निभाया जाता।
करके वादा मुकरना भी ज़रूरी था बहक कर संभलना भी ज़रूरी था ज़रूरी था मोहब्बत आज़माए हम मोहब्बत मेरी तबाह होना ज़रूरी था
जो मेरी आँख में काजल की तारा रहता था आज काजल जो लगाया तू बहुत याद आया .
वक्ताओं की ताकत भाषालेखक का अभिमान हैं भाषाभाषाओं के शीर्ष पर बैठीमेरी प्यारी हिंदी भाषा...
मुझको मेरा हक दो पापा,बहुत कुछ कर दिखलाऊँगी !लेने दो खुली हवा में सांसे,बेटे से ज्यादा फर्ज निभाऊंगी !!
मै तो ख्वाबों मे खोया थातु मेरे सपनों मे खोई थी क्याये जो मुहब्बत-मुहब्बत कहती फिरती होतुम्हें सच मे मुहब्बत हुई थी क्या
सुबह होती थी तेरे दर पर और रात तेरी गलीमेंकुछ ऐसी बाते हो रही है आज समाज में
वो कहता हैं, तुम समझदार हो उसे कोई बतादो कोई समझदार भी कभी इश्क़ करता हैं?
ज़माने भर के लोगों को किया है मुब्तला तू नेजो तेरा हो गया तू भी उसी का क्यूँ नहीं होता.।
डगमगाए कदम जो तो है थाम लेती,गर हो जाऊं उदास तो माँ प्यार देती.
चटपटे मसालेदार खाओ जी मजेदार गरमा गरम समोसे लाया बड़े प्यार से
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता,और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता.
मगर धरती से अंबर तक युगो से लोग कहते हैंअगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है
हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थेहार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे
आज भी तड़पती है मेरी मोहब्बत तेरी मोहब्बत कोआज भी झुकता है मेरा सिर तेरे मकान की तरफ..।
दिल का हाल बहुत बुरा है,तुम कहो तो तुम्हें बताऊं क्या
गिर रहे हो अपनी ही नज़रों से तुम कुछ तो करो शर्म जाओ ना आँखें भीगी लग रही है क्या हुआ तुम भी मुझसे लग रहे हो जाओ ना
तू रोशनी का खुदा है माँ,बंजर धरा पर बारिश की बौछार है तू माँ.
पूजा की थाली है माँ मंत्रों का जाप है माँ,माँ मरुस्थल में बहता मीठा सा झरना है.
तेरी रूह का दुश्मन साथ तेरे होगा अब जो होगा साथ तेरे बाद मेरे होगा आँखों से आंसू नहीं याद बहेगी मेरी तुझे मुझ पर यकीन बाद मेरे होगा
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझेअच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया
सौरभ का खटोला डोले,खटिया अपनी जर सनी,सप्तरस ले चटकारे,चटनी अपने घर बनी।
खींच लाई है तेरी याद आज फिर से मुझकोजो मर चुके थे मेरे अंदर उन एहसास की तरफ
पिंजरे के जो आदी हो उन पंछी को आसमान में छोड़ देना ठीक नहीं अच्छी अच्छी बस्ती डूब जाती है दरियाओं से बैर करना ठीक नहीं
कैसे तुमको हम समझाएं कितना तुमसे प्यार है दुनियां की अब फ़िक्र करें क्यों जो तू मेरा यार है
खुद को में समझाऊं कैसेबातें तुम्हारी भुलाऊं कैसे।
बंसी की मधुर तान छेड़, तू मोहे सबको क्या गोपी क्या सखी चाहे, मस्ती प्यारी सबको
लघु कविता इन हिंदीआज हरे हैं तो,कल पीत हो जायेंगे,ये पत्ते हैं रीत हो जायेगें,दरख़्तों को सहेज कर रखो,इन पर ही कोंपल,फिर आ जायेंगे।
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद घूमना, लेकिन कभीकिसी की बाहों में सिमट जाने को दिल करता है।।
किसी से वादे मोहब्बत किसी से वक्त आने दो तुम भी संभल जाओगे बेवफाओं को खुदा भी कबूलता नहीं तुम किस मुंह से उस दर जाओगे
हमेशा तंज़ करते हैं तबीयत पूछने वाले तुमअच्छा क्यूँ नहीं करते मैं अच्छा क्यूँ नहीं होता
गम दिए हैं लोगो ने क्या ऐसी तो कोई बात नहीं फिर गम ही हयात है क्या ऐसी तो कोई बात नहीं
कभी अपनी हंसी पर आता है गुस्सा ।कभी सारे जहां की हंसाने का दिल करता है ।।
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो थाउलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँनही.!
जिसके बारे में कल तक अनजान था आज वो मेरा सब कुछ हो गया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।
तेरे सामने दिल बदमाश बन जाता हैं बेवक्त, इसे इंतज़ार की तस्सली देकर ही सुधार रहा हूँ मैं…
हिन्दी का सम्मानदेश का सम्मान है,हमारी स्वतंत्रता वहां हैहमारी राष्ट्र भाषा जहां है...
हालत बदलने से ये दस्तूर हो गए, साझा थे जीतने ख्वाब चकनाचूर हो गए तेरा भी किसी बाह के घेरे मे घर हुआ.. हम भी किसी की मांग का सिंधुर हो गए ।
दोस्तीप्यार का मीठा दरिया हैपुकारता है हमें
चाँद सा है तू. तेरी चाँदनी नही,मैं खुद को जमी बना कर रखूँगी…!!
स्याही जिस कलम की ईसतमाल होती,उस काँच की शीशी को में उजाड़ देती ।
कर देंगे तुम्हें खुद से जुदा पहले रातें मेरी लौटाओ मुझे कैसे हुई इतनी नफरत तुम्हें बेवफाई की वजह बताओ मुझे
जो प्यारी सी सूरत है, उतनी प्यारी सीरत है।ऐसी प्यारी कोई नहीं, जो प्यारी तुम लगती हो।
गर्व करता हूं अपने देश पर अभिमान है भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर गुमान है अपने संस्कारों का गुरूर है स्वाभिमान का
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ सेदेखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों मैं ….
मेरे लिए वह करती अपनी खुशियां कुर्बान,गम के सैलाब में भी बिखेरती है मुस्कान.
बहुत बुरों के बीच से, करना पड़ा चुनाव ।अच्छे लोगों का हुआ, इतना अधिक अभाव ।।
जीवन की वास्तविक माया है समय-श्वास भाया, खुश रहना मुश्किल में भी ध्यान रखना है काया।
यूँ महफिल में हमें बदनाम करते हो ये गुनाह भी सरेआम करते हो खुद को खुदा के नाम कर जाओगे हम सच बोल दे तो तुम मर जाओगे
जो दर्द की वजह है,वही मरहम क्यूँ है,खामोशी, बेचैनी और ये पागलपन,दिल मे यूँ दफन क्यूँ है !
वो कहती थी कभी मोहब्बत नहीं करेगी किसी से मैंने उसे मोहब्बत करना फिर से सीखा दिया रूठे हुए दिल को हसना सीखा दिया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।
जिसके पास है ऐसा दोस्त वही मुकम्मल है इस जहाँ में वही है हयात का सरताज
दोस्त वो हैं जो सामने आ जाये गर खुद बयाँ हो जाते हैं दिल के हालत
हो गए मशरूफ सब अपने यार में मुझको यार कह कर कोई बुलाता क्यों नहीं
भीगना है मुझको भी दरिया-ए-इश्क़ में इस दरिया में मुझको कोई भीगता क्यों नहीं
हर साँस उम्र भर किसी मरहम से कम न थीमैं जैसे कोई ज़ख्म था बढ़ता चला गया
यादों के संदूक को खंगाला, देखो मुझे आज क्या मिला, कुछ पुरानी भूली बिसरी यादें जिन्हें था मैं कब का ही भूला!
Palke Jhukake Baithe Hai या दौड रहें हैं कुछ पाने को… पता नहीं
वो प्रेम की गहराई उसकी जाने,वो अपना प्रेम उसी को माने,फिर कैसी ज़िद पे दोनों अडे है,साथ होके क्योंप अलग खड़े हैं।
वो कहता हैं तुम्हारी मुस्कान मासूम हैं, उसे कोई बतादो मेरे मुस्कान कि वजह जो वो हैं।
प्यारी जग से न्यारी माँ,खुशियां देती सारी माँ।
अकेले व़क्त कटता अब नहीं है बने कोई सफ़र हां मैं चाहता हूँ
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.बस यही माँ की परिभाषा है.
सच बतलानाउनमें ऐसी क्या खास थी ?तोड़ी जो तुमने मेरी आश थी !!
खुदा को भी तू है प्यारा तुझ ही में रहता है हर पल प्यार में तेरे मैं यूँ डूबा शराबी कहते सब आज कल
माना डगर कठिन बहुत है,मंजिल तक फिर भी जाउंगी !मुझ पर करो भरोस तुम,कभी न दुःख पहुँचाऊँगी !!
भले ही कुछ ना हो तु , दुनिया की नजरों मे क्या है तेरा वजूद, ये सिर्फ मैं जानता हूँ।
पता नहीं कबबड़ी हो जाती हैं बेटियाँजैसे,बड़े होते हैं पेड़,बड़े होते हैं दिन,बड़ी होती हैं रातें।
सोचता हूं के बुलालु, तेरे घर के बाहर तुझे,कहीं तेरी दूसरों से पहचान ना हो जाये।
वो पैरवी तो झूट की करता चला गयालेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गया
कह रहा है दिल तुमसे कुछ दिल की बातें.तुम छोड़ मायने उनके, उनके शब्दों में उलझे बैठे हो ….
यह दुनिया अजब हर शै फ़ानी देखी यहाँ हर रोज़ इक नयी कहानी देखी जो आ के ना जाये वो बुढ़ापा देखा जो जा के ना आये वो जवानी देखी
वह पूछते हैं हाल मेरा, कोई बताओ उन्हेंसूखे दरख्तों के डाल झुकाने नहीं होते
बैठे हुए थे सब मुंह फेरे,एक माँ ही थी दीपक मेरे जीवन में.
काटें बना रहे हैं कोई गुल बना रहे कुछ लोग काही काक को बुलबुल बना रहे, तुम रास्तों को खाई मे तब्दील कर रहे .. हम लोग उन्ही खाइयों पे पुल बना रहे ।
मतवारी होली मे गोरी, मस्ती करे धमाल। बडे बडों का धर्म बदल है, मादक ऐसी चाल।
मुझे निस्बत हैं तुमसे या शायद मुहब्बत है, मगर तुम मेरी जरूरत हो ये जरूरी तो नहीं..
Kavita Pyar ke liyeसमझ नही आता,जश्न मुहब्बत,रोज मिलकर भी,जुदा हो जाते हो,आने जाने में वक्त जाया होता है,क्यों नहीं एक हो जाते हो। – कल्याणी तिवारी.
वजूद माँ का और माँ की पहचान,रखना माँ के लिए सदा ह्रदय में सम्मान.
एक शख्स क्या गया की पूरा काफिला गया तूफ़ा था तेज पेड़ को जड़ से हिला गया, जब सल्तनत से दिल की ही रानी चली गई.. फिर क्या मलाल तख्त गया या किला गया ।
जो मुझसे ही अनजान है, बस ज़रा सी जान है जो कभी सच हो ना सके, एक ख्वाब है मेरी जिंदगी
जाने क्या जादू किया है, मुझको यूं मोहित किया हैंऔर कोई आए ना आए, तुम याद ज़रूर आती हो
अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कहां किसनेधरा पर तो तू ही ईश्वर का रूप है माँ, ईश्वर का कोई रुप है माँ
मन करता है रोज़ाना, आया करू तेरी गली,कहीं तू गली में, बदनाम ना हो जाए।
कमी सी है तेरे ना होने से,ज़ेहन को तेरी फिक्र सी क्यूँ है,कहते हो तुम धडकनों में बसते हो,फिर ज़िंदगी इतनी सुनी-सुनी क्यूँ है॥
कभी कोई तो होगा मेरा भी जीवन मेंजो यहां मेरा सिर्फ मेरा कहलाएगा!
मुझको मेरा हक दो पापा,बहुत कुछ कर दिखलाऊँगी!लेने दो खुली हवा में सांसे,बेटे से ज्यादा फर्ज निभाऊंगी !!
हर दिन इक नया दिखा रहा है नज़राना तुमकोतुम हो कि पिछले दिनों की यादों में उलझे बैठे हो
ठक ठक भरती कदम,होल होल उठाती है।अपने आप में खोई,गुड़ियों से बतलाती है।।
कविता पढने के बाद अपनी राय जरुर दे ताकि हमे आपके विचार मिल सके, और हम ऐसे ही और प्यार भरी कविता का संग्रह करते रहे – धन्यवाद
कितना सुकून मिलता, आंचल की छांँव मिले। मृदुल दुलार मांँ का, दुआओं से झोली भरती।
क्यों ना हम फिरसे अजनबी बन जाये, कुछ नए अंदाज में जान पहचान बनाए।
तस्वीरों को आग लगाकर बैठे हैं बेवफा की बात भी करना ठीक नहीं उससे कहो मैं उससे दूरी चाहता हूँ उसका मुझसे ये कहना भी ठीक नहीं