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वो रात ही ना लोटे कभी, जिनमे झूठे ही सारे वादे हुए है ।।
मन्ज़िल तो मिल ही जाएगी भटक के ही सही ~ गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं
इक तुम्हारे सिवा कौन है मेरा ~ फ़िर तन्हा किस के सहारे छोड़ देते हो
भरोसा क्या करना गैरो परजब खुद गिरना हे चलना हेअपने ही पैरो पर।bharosa kya karana gairo parjab khud girana he chalana heapane hee pairo par.
कुछ इसलिये मेने उसे जाने से नही रोका, क्युकी, जाता ही क्यूँ अगर मेरा होता….!!!!
मैंने सलीका न सीखा बगीचे की बागवानी का ~ फ़ूल हो या कांटे इश्क बराबर करता हूं मैं!!!
खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज,कुरेद कर देख लेता है और कहता है वक्त लगेगा।।
दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तों ~ कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है!!!
आज चाहे जितने मर्जी झूठ बोल लो, लेकिन याद रखना वक्त का ऐसा पलटवार होगा की तुम्हारे सभी झूठो का तुम पर ही वार होगा।
कोई याद कर रहा है, शिद्दत से, वहम भी क्यो ये उसे होता नहीं?,मुद्दत से…!!
थोड़ी सी तो मेहरबान हो जा मुझ पर…ऐ खुशी…! ~ थक गया हूँ हँसी की आड़ में गम छुपाते छुपाते…
मेरे दुश्मनों की ठोकरों ने मुझे, सही रास्ता दिखाया है, दोस्तों से खाकर धोखा, अपनी मंजिल तक पहुंचाया है।
अब मेहनत दिन रात होंगी , सब्र कर मेरे भाई , जल्द ही अपनी भी उंची औकात होगी .. !!
उस वेबफा को अपना समझा,जिसे हमने इतना प्यार किया,उसने किया हमसे सिर्फ धोखा,हमने फिर भी एतवार किया।
आजके रिश्ते और पहले के रिश्ते मे बस इतना सा फरक आया हैपहले के रिश्ते सच्च के थे और अब झूठ के है
तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर… ~ मै तुम्हे अपनी जिदंगी के हर पन्ने पर उतार लूंगा..
बड़ी अजीब फितरत है अधूरे इश्क़ की, किसी को तो धोखेबाज होना ही पड़ता है !
किसी भी मौसम में खरीद लीजिये जनाब, मोहब्बत के ज़ख़्म हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी… ~ बोझ तो ख्वाहिशों का है..!!
मेरे हवास इश्क़ में क्या कम हैं मुंतशिर ~ मजनूँ का नाम हो गया क़िस्मत की बात है
न जाने कौन सा आँसू किसी से क्या कह दे.. ~ हम इस ख़्याल से नज़रें झुकाए बैठे हैं..
मैं तुम पर इतना यकीन करता था,तुम्हारे झूट को झूट कैसे मैं कहता.
आग से भी एक अजीब सी दोस्ती हो गई है हमारी हम जहां जाते हैं वहीं लग जाती है .. !!
दिन में मसरूफ़ होते हैं इंतजार में कि रात हो तो आपसे बात हो
नसीब से ज्यादा भरोसा तुम पर किया, फिर भी नसीब इतना नहीं बदला जितना तुम बदल गयी।
तुम ने वो वक्त कहां देखा जो गुजरता ही नहीं,दर्द की रात किसे कहते हैं तुम क्या जानो।।
जब से उसने शहर को छोड़ा, हर रस्ता सुनसान हुआ, अपना क्या है सारे शहर का एक जैसा नुक़सान हुआ
हमें इस्तेमाल करने से पहले एक बात याद रखना,जिन लोगों ने ये गलती की है उन्हें हमने कचरे की तरह निकाल फेंका है।
खून किसी का भी गिरे यहां , नस्ल-ए-आदम का खून है आखिर बच्चे सरहद पार के ही सही , किसी की छाती का सुकून है आखिर
अलविदा कहते हुए,जब उससे कोई निशानी मांगी वो मुस्कुराते हुए बोली जुदाई काफी नही है.क्या ?
अपना कह के अपनों को, बदलने की बात करते हैं, बच के रहना दोस्तों यहां धोकेबाज, साथ चलने की बात करते हैं !
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिए जनाब,लोगों के पास वक्त कहां, एहसासों को सुनने का।।
बख्शे हम भी न गए, बख्शे तुम भी न जाओगे,वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।।
राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथ,हम को चलना है मगर वक़्त की रफ़्तार के साथ।।
वो शमा कि महफिल हि क्या जिसमे दिल खाक ना हो । ~ मजा तो तब है चाहत का ,जब दिल जले मगर राख ना हो ।
ऐ दीवाने अब तो मान जा… तेरी शायरी पढ़ने वाली … किसी और की ग़जल बन गई है…
गैरो से पूछती है तरीका निजात का ~ अपनों की साज़िशों से परेशान ज़िन्दगी
नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं। मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।।
उस वक़्त मुझे चौंका देना,जब रँग में महफ़िल आ जाए।।
“मेरी जेब में जरा सा छेद क्या हो गया….. . सिक्कों से ज़्यादा तो रिश्ते गिर गये…..”
गुलाम तो हम किसी के न कल थे और न आज है,बस मतलबी लोग और उनके रिश्ते ही हमें जकड़े हुए है।
तुम्हारे झूठ बोलने से मुझे कोई परेशानी नहीं है, मगर आज के बाद मैं तुम पर भरोसा नहीं कर पाऊंगा.
झूठ की तारीफ़, सच का मजाककुछ ऐसा है आजकल दुनिया का मिजाज.
झूठ बेवजह दलील देता हैं, और सत्य खुद अपना वकील होता है।
समझते है सब उसे मसखरा चार्ली चेपलीन जैसा दिल में छिपे दुःख-दर्द किसी को परखने नहीं देता …
अब रातभर ये उधम मचाएंगी, ख्वाहिशे दिन में खूब सोयीं हैं..!!
मुझे जो पसंद है वहीं करता हूं उम्र भले कम है पर जज्बा बुलंद रखता हूं ।
वो झूठ भी सच लगता है,जब कोई गम में तसल्ली देता है.
हम नही है गुनाहगार हमारी फितरत के,बल्कि मतलबी लोग गुनाहगार है खुद की मतलबी नियत के।
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुक़म्मल ~ इंसानों को तो हमने सिर्फ़ बरबाद होते देखा है
सबक़ वो हमको पढ़ाए हैं ज़िन्दगी ने कि हम ~ हुवा था जो इल्म किताबों से वो भी भूल गए…
दिखती हूं CUTE, रहती हूं MUTE, फिर भी लोग कहते हैं.. U HAVE SO MUCH ATTITUDE
अब ज़रा सा भी किसी पर भरोसा नही होता हैं, और जब भी होता हैं दर्द बड़ा ही बेहद होता हैं।
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने, वो हँसी और बोली- मैं ज़िंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी।
तुमने आज दिखाया है मतलब,हमको तुम्हे कल हम भी दिखायेंगे।आज तुमने झूठा साबित किया है,हमको कल हम तुमको भी झूठा साबित करके दिखायेंगे।
बेशक किसी को माफ बार-बार करो, लेकिन भरोसा सिर्फ एक बार करो।
तुम… मैं… हम… भीड़, बस इतनी सी हो…
खार हाथों में चुभते हैं अब तक, ~ तितलियाँ बचपने में मारी है
हर रोज़ बात नफे नुकसान की हर रोज़ हिसाब ये इश्क न हुआ हुआ कोई बही खाते की किताब!!!
नये-नये रिश्तों में नई-नई सी महक साथ हैं,अब कौन कितनी देर महकेगा, ये वक्त की बात है।।
हमे मालूम है की झूठ बोलना आसान हैपर जब झूठ सामने आ जाय तो सब बर्बाद है
पहले काफी मुस्कुराता था एक शख़्सफिर एक रोज वो किसी की झूठे वादो मे आ गया
मतलबी लोगो की मीठी बातें ओह ये तो सिर्फ एक दिखावा है,चाहे आप भी उन्हें आजमालो आपको भी धोखा मिलेगा ये मेरा दावा है।
हो लिए जिस के हो लिए ‘बेख़ुद’ यार अपना तो ये हिसाब रहा
मैं जिसके झूठ का मान रख लेता हुँ,वही मुझे बेवकूफ समझने लगता है।
ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं!!!
ना उसने मुड़ कर देखा ना हमने पलट कर आवाज दी,अजीब सा वक्त था जिसने दोनो को पत्थर बना दिया।।
कितने झूठे हो गये है हम,बचपन में अपनों से भी रोज रुठते थे,,,,, आज ‘दुश्मनों’ से भी मुस्करा के मिलते है.!
कमाल करते हैं हमसे जलने वाले भी, महफ़िल अपनी सजाते हैं पर चर्चे हमारी करते हैं।
मैं उसको भूल गया हूँ यह कौन मानेगा ~ किसी चराग के बस में धुँआ नहीं होता!!!
हम खुश हैं कम से कम कोई हमारी बात तो करता है,वो बुरा कहता है तो क्या, कम से कम कोई याद तो करता है।
विश्वास हमेशा अर्जित किया जाता है,कभी दिया नहीं जाता है।Vishwas hamesha Aarjit kiyajata hai kabhi diya nahi jata hai.
बदल देना है रास्ता या कहीं पर बैठ जाना है की थकता जा रहा है अब ये सफ़र आहिस्ता आहिस्ता!
"आइना भला कब किसीको सच बता पाया है,जब भी देखो दायाँ तो बायाँ ही नजर आया है !!"
रिश्ते दिल टूटने पर नहींभरोसा टूटने पर बिखरते है।rishte dil tootane par nahinbhaarosa tootane par bikharate hai.
लोग प्यार में कुछ सीखे ना सीखे,झूठ बोलना तो सीख ही लेते है.
लोग सर फोड़ कर भी देख चुके, ~ ग़म की दीवार टूटती ही नही
सबसे ज्यादा हंसी उन लोगों पर आती है जो,अपने मुखौटे को छुपाने की कोशिश में जी जान लगा देते हैं।
कुछ रिश्तों में शक्कर की कमी थी,कुछ अंदर से हम भी कङवे थे।
दोस्तों को दुश्मन बनाना भी तो जानते हैं वो, सामने नहीं आते हैं ऐसा गुनाह करके मेरे, क्योंकि मेरी ताकत को भी पहचानते हैं वो।
मौत का डर तो उसे दिखाना जिसे अपनी जिंदगी से मोहब्बत हो ।
ज़मीं किस की है ? आसमां किस का है? ~ वो न तेरी हुई तो मलाल किस का है?
जिस तरह मैंने दुआओ में तुझे माँगा है, ,,, ऐसे खुदा से ना,, किसी ने न तुझे माँगा होगा
में अच्छी वहीं तक, जहां तक आप अपनी औकात ना भूलें ।
झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए,और मैं था कि सच बोलता रह गया।“वसीम बरेलवी”
हम अकेले इसलिए रहते हैं क्योंकि हमको सबकी तरह झूठ बोलकर अच्छा बनने का शौक नहीं जनाब ।
बंधन वही ख़ास होता हैजिसमे बंदिशें नहीं भरोसा होता है..!!bandhan vahee khaas hota haijisame bandishen nahin bharosa hota hai..!!
बड़े ही आसानी से कह दिया की अब उन्हे इश्क नहीं,शायद उन्हें हमारे जसबतों से खेलने में मजा आया होगा।
आज तुम्हारा है तो कल हमारा भी आएगा ये वक्त ही तो है बदलेगा जरूर ।
तेरे हर झूठ पे यकीन था मुझे, तूने तो बाद मे पहले मैंने ही खुद को धोखा दिया !!
जी बहुत चाहता है सच बोलेंक्या करें हौसला नहीं होताडॉ. बशीर बद्र
वही साक़ी वही जुल्फ़े वही अल्लाह की बातें, ~ करेगा कब तू ग़ज़लों में , बशर की आह की बातें…
हम मुहब्बत के उन कैदियों मे से हैं कि ~ जो खुले दरवाजे देखकर भी फरार नही होते!
अक्सर देर लग ही जाया करती है,झूठे लोगों की पहचान करने में।
इस स्वार्थ भरी दुनिया में अपने और पराए का भी भेद करना सीख लिया हमने जो मुसीबत के समय साथ दे वही अपना और जो भाग खड़ा हो वो पराया ।
चाहत में झूठ बोलकर आज मेरा दिल तोड़ दिया,झूठी कसम खाकर उसने अपना ईमान भी बेच दिया..!!
कभी ना किसी के कहलाते ना किसी के हो जाते हैं,झूठे लोग अक्सर झूठी उम्मीदों में खो जाते हैं।
मतलबी लोग कभी किसी के सगे नहीं हो सकते।
उसने मेरी हथेली पे नाजुक सी ऊँगली से लिखा ” मुझे प्यार है तुझसे ” जाने कैसी स्याही थी वो लफ्ज मिटे भी नही और आज तक दिखे भी नही!!!
तेरे बिना ज़िन्दगी अधूरी सी है,तू है तो हर चीज़ मुश्किल सेमुश्किल भी संभव है।
झूठ की तारीफ़ सच का मजाक,कुछ ऐसा है आजकल दुनिया का मिजाज..!!
ना रुक ना झुक, रख भरोसा बस चलता जा, मंज़िल ना मिले तब तक बस बढ़ता जा।।
तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता ~ मैं बे-सर-ओ-सामाँ कभी रूसवा नहीं होता
वाह वाह कहने की आदत डाल लिजीये, मोहब्बत में अपनी बरबादियां लिखने का वक़्त आ गया हमारा…
किसान के लड़के ने अपने नाम के आगे Dr. जोड़ लिया….
अपना उसे बनाना गर मेरे बस में होता ~ चले जाते गर उसके पास जाना मेरे बस में होता!!!
झूठ बोलने में सबसे बड़ी परेशानी यह है,कि झूठ को हमेशा याद रखना पड़ता है.
खामोशी पर मत जाओ जनाब ,, राख के नीचे अक्सर अंगारे दबी होती है !!
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा निदा फ़ाज़ली
मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन जैसी है… जिसको दी हुकुमत, उसी ने बर्बाद किया
तेरे झूठे वादों को दिल में यूँ सजाये रखा है, जैसे हवाओ के बिच कोई दिया दिल में जलाये रखा है ।
छोटी सी एक ज़िंदगी थी, ~ वो भी किसी की नफ़रत में गुज़र गई…
मेरी जुदाईयों से वो मिलकर नहीं गया उसके बगैर मैं भी कोई मर नहीं गया!!!
ख़ुदा गवाह है बड़ी सख़्त जान है उम्मीद, ~ यक़ीन हो न हो, इंतज़ार होता है…
घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए, उड़ने को पंख हैं, हम ये भी भूल गए…
हम अपनी नजर में अच्छे हैं यही बहुत है हमारे लिए, सबकी नजर का ठेका नहीं ले रखा है हमने ।
हकीकत थी…ख्वाब था…या तुम थे… जो भी था…हम तो उसी में गुम थे….
दुनिया में राज करने के लिए दिमाग नहीं, एटीट्यूड और जिगरा चाहिए और ये दोनों ही चीज मुझमें ठुस-ठुस के भरा है ।
हर एक साँस का तू एहतराम कर वरना, ~ वो जब भी चाहे, जहाँ चाहे , आखिरी कर दे…
शिकवा है, शिकायत है, ऐ दुश्मन तुमसे कई सवाल हैं, कहीं तू बेहतरीन है इतना, कहीं क्यों तेरा बुरा हाल है।
अब तो किस्मत ही मिला दे तो मिल जाये ~ वरना हम तो बिछड़े हैं तूफ़ानों में…परिंदों की तरह **************************************
ज़िन्दगी की जरूरतें समझिए वक्त कम है फरमाइश लम्बी हैं,झूठ-सच, जीत-हार की बातें छोड़िये दास्तान बहुत लम्बी है।।
घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है , जरूरत किसी को नहीं, जरूरी फिर भी है!
तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख,वक़्त कल चाक पे रहने दे न रहने दे मुझे।।
“झूठ की कीमत सिर्फ हकीकत ही समझ सकती है।” “झूठ बोलने से पहले दो बार सोचो, क्या आपको सच में लोगों के साथ छल चलने की आवश्यकता है?”
क्यों आते नहीं हो बुलाने पर, मुकर जाते हो आज़माने पर ।।
आ गईं यादें थकी हारी रुकेंगी रात भर ~ शाम ढलते ही मेरा दिल धर्मशाला हो गया….
खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद ~ आशिक़ों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है!
वो वक़्त भी बहुत खास होता है,जब सर पर माता पिता का हाथ होता है।
मैं तन्हाई को तन्हाई में तन्हा कैसे छोड़ दूँ ~ तन्हाई ने तन्हाई में तन्हा मेरा साथ दिया है!!!
समझदारो की इस दुनिया में हम पागल ही अच्छे है साहब, हम अपने ख्वाब तोड़ देते है पर किसी का दिल नहीं तोड़ते ।
"अगर आप सच देखना चाहते है,तो ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये !!"
जो शख्श आप को खुद से भी ज्यादा चाहता हैं, उससे जिंदगी में कभी भी झूठ मत बोलना।
रह कर खामोश वो मेरी बात सुनता गया ~ कभी-कभी ऐसे भी मेरी हार हुई है…
किस किस का नाम लूँ अपनी बर्बादी में, कई अपनों की दुआएं भी हैं मेरे साथ
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
कुछ लोगों की हरकतें उनकी असलियत दिखाती है,उन हरकतों को नजरंदाज मत करना नहीं तो पछताओगे।
अभी ज़रा वक़्त है उसको मुझे आज़माने दो ~ वो ख़ुद बुलायेगा मुझे बस मेरा वक़्त तो आने दो
उनसे मिलकर मुझे इतना तजुर्बा तो हुआ ,की झूठे लोग भी कमाल होते है।
कैसे कहूँ कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,फासले तो कदमों के हैं पर, हर वक्त दिल के पास हो तुम।।
हमने तो सफर शुरू कर दिया है अकेले चलने का अब कोई परवाह नहीं कोई साथ दे या ना ।
झूठ बोलकर दिल तोड़ने से अच्छा है,सच बोलकर साथ छोड़ देना।
जिसके हृदय में केवल झूठ का वाश हो,वो शख्श भला अपनी जुबां से सच कैसे बोल सकता हैं।
कितना गुस्सा आता है ना उस वक्त जब कोई,आपसे झूठ बोले और आपको सच पता हो.
जबतक चुप था लोग बेवकूफ समझते रहे जब जवाब देने लगा तो लोग बुरा मानने लगे !
गम मुझे देते हो औरो की ख़ुशी के वास्ते क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!!!
दिल से ना मिट सका एक ज़माने के बाद भी ~ वो याद आ रहा है आज भुलाने के बाद भी
जाने कब आ के दबे पाँव गुजर जाती है ~ मेरी हर सांस मेरा जिस्म पुराना करके….
न देखे होंगे रिंद-ए-ला-उबाली तुम ने बेख़ुद से कि ऐसे लोग अब आँखों से ओझल होते जाते हैं
…..जरा शिद्दत से चाहो. तभी होगी आरज़ू पूरी हम वो नहीं जो तुम्हें खैरात में मिल जायें ..
सुबह-सुबह निकलना पड़ता है, कमाने को साहेब ! आराम कमाने निकलता हुँ, आराम बेच कर !!
मर्द के शब्द झूठे हो सकते है आंसू नहीं ।।
यहां हर किसी का राज बहुत गहरा है,ऊपर सच तो अंदर झूठ का चेहरा है।
सच को चादर ओढ़े देखा तो, झूठ के फसाने नजर आए, ध्यान दिया जब दुश्मनों पर मैंने, दोस्त कई पुराने नजर आए।
ये वक्त बदला और बदली ये कहानी है,अब तो बस मेरे पास उनकी यादें पुरानी है,न लगाओ मेरे ज़ख्मो पे मरहम,क्योंकि मेरे पास बस उनकी यही बची हुई निशानी है।
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है बात सच कहिए मगर यूं कि हक़ीक़त न लगे फ़ुज़ैल जाफ़री
झूट कहने लगा सच से बचने लगा,ये झूटा चेहरा उसपर कितना जचने लगा.
दो दिन में हो गया है ये आलम कि जिस तरह तेरे ही इख़्तियार में हैं उम्र भर से हम -bismil-saeedi
उसके होंठों को चूमा तो अहसास ये हुआ , ~ एक पानी ही ज़रूरी नहीं प्यास बुझाने के लिए !
वो कम-सुख़न था मगर ऐसा कम-सुख़न भी न था कि सच ही बोलता था जब भी बोलता था बहुत अख़्तर होशियारपुरी (साभार/रेख़्ता)
वो अनजान चला है,जन्नत पाऩे की खातिर ~ बेखबर को इत्तला कर दो,कि माँ-बाप घर पर ही है. ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 3
वो कहता था के मुझे नफरत है झूठे लोगों से,पता नहीं कैसे रहता होगा आजकल वो खुद के साथ।
वफ़ा…फ़रेब…पाना…खोना…ये सब नादानियाँ है…. मुकम्मल “इश्क़” तो इबादत है..बस करते चले जाना है
शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो,इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो।।
अब उतर आये हैं वह तारीफ पर हम जो आदी हो गये दुश्नाम के
झूठ की दुनियां में सच्च को कहां ढूंढोगे,जहां भी जाओगे बस झूठ ही पाओगे।
रूह के नजदीक आँख से ओझल ~ दिल के रिश्ते भी अजीब होते हैं
ऐ खुदा मुसीबत मैं डाल दे मुझे…. ~ किसी ने बुरे वक़्त मैं आने का वादा किया है.
रिश्ते संजोने के लिए मैं हमेशा झुकता ही रहा ~ और लोग इसे मेरी औकात समझ बैठे…
भरोसा करना सीखना जीवन केसबसे कठिन कार्यों में से एक है..!!bharosa karana seekhana jeevan kesabase kathin kaaryon mein se ek hai..!!
सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है,जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है।
कुछ लोग बड़े बेशर्मी से आँखों में आँखें डाल कर भी झूठ बोलते है..!!
ना करो हिमाकत किसी के वक़्त पर हसने कीये वक़्त है जनाब चेहरे याद रखता है
झूठी दुनिया के झूठे फ़साने हैं,लोग भी झूठे और झूठे ज़माने हैं।
कुछ पेड़ भी बे-फ़ैज हैं इस राह-गुज़र के ~ कुछ धूप भी ऐसी है के साया नहीं होता
मैं किसी होड़ में नहीं किसी दौड़ में नहीं ~ फिर भी चन्द लोग हडबडाये क्यों रहते हैं
जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की,उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख।।
तुमको हज़ार शर्म सही मुझको लाख़ ज़ब्त, ~ उल्फ़त वो राज़ है जो छुपाये ना जायेगा
सारी शिकायतो का हिसाब जोड़ कर रखा था… उसने मुस्कुराकर सारा गणित बिगाड़ दिया!
बच्ची को धुप में रोते हुवे देखा, ~ क्या Fashion ने माँओं के आँचल जला दिए
"झूठ मत बोले,क्यूंकि एक छोटा झूठ भीएक बड़ा अलगाव पैदा कर देता है !!"
समय के एक तमाचे की देर है, ~ मेरी फ़क़ीरी भी क्या…तेरी बादशाही क्या…
इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए ज़िन्दगी, ~ चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया।
आज मैंने फिर जज्बात भेजे, तुमने फिर अलफ़ाज़ ही समझे….
इन्सान जब दिल के हाथों मजबूर होता है,तो झूठे प्यार पर भी बड़ा गूरूर होता है..!!
तुम्हारे हर झूठ को मैं सच मानती हूँ,जबकि सच क्या है? ये मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ..!!
अब लोग पूछते हैं हमसे.. तुम कुछ बदल गए हो ~ बताओ टूटे हुए पत्ते अब .. रंग भी न बदलें क्या..!!
कल थी शहर में बद्दुआओं की महफ़िल जब हमारी बारी आई तो हमने कहा इसे भी इश्क हो इसे भी इश्क हो इसे भी इश्क हो!
उसको टूटे हुवे दिल से रवाना कर के, ~ रो पड़ीं आँखें मेरी तिनके का बहाना करके…
चलो…आज दौलत की बात करते हैं .. बताओ तुम्हारे…. दोस्त कितने हैं ……
न देखना कभी आईना भूल कर देखो तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा
और फिर झूठ वो हमसे बोलने लगे,धीरे – धीरे वो फिर हमारे दिल से उतरने लगे।
थक कर बैठे हैं हार कर नहीं ~ सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है ज़िंदगी नहीं **************************************
रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है,शोलों से बचा शहर तो शबनम से जला है।।
मैं एक शाम जो रोशन दिया उठा लाया, ~ तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया
अलफ़ाज़ नहीं बचे अब सबकुछ लिख चूका हूँ, ~ शायद मोहब्बत के खातिर पूरी तरह बिक चूका हूँ…..
सोचा था बताएंगे सब दुख दर्द तुमको, ~ पर तुमने तो इतना भी ना पूछा की खामोश क्यूँ हो ….!!!!
भरोसा- एकमात्र सहाराजिसपे दो लोग टिके रहते हैbharosa- ekamaatr sahaarajisape do log tike rahate hai
दिल चुराकर आप तो बैठे हुए हैं चैन से, ढूढ़ने वाले से पूछे कोई क्या जाता रहा।
मुस्कुरा कर महफ़िल में दर्द को दबाया उसने,झूठ तो बोला नहीं, सच मगर छुपाया उसने.
ज़मीं पर रह कर आसमान छूने की फितरत है मेरी, पर किसी को गिराकर ऊपर उठने का शौक़ नहीं मुझे ।
तुम बड़े अच्छे वक़्त पर आये, ~ आज एक ज़ख्म की ज़रुरत थी
ख़ौफ़ से यूँ ना आँखें बन्द करो ~ चूमने से कोई नहीं मरता
खुशियां भी दाव पर लगी होती है,जब झूठ की सीमा टूट जाती है।
लोगों को परखने की आदत डाल लो,जैसे हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती,,वैसे ही हर अच्छा दिखने वाला इंसान सच्चा नहीं होता।
सच कहना तो बड़ा आसान है, दोस्त,पर खुदके बारे में सोच सुनना उतना ही मुश्किल का काम है।
कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना,हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है।।
खफा होने से पहले कोई वजह तो बताते जाते,वजह नहीं तो ना सही झूठा कोई इल्जाम ही लगाते जाते.
मैं कुछ ना कह सका उनसे इतने जज्बातों के बाद, हम अजनबी के अजनबी रहे इतनी मुलाकातो के बाद
तुम क्या गए की वक़्त का एहसास मर गया रातों को जागते रहे और दिन को सो गए!!!
जलने वालों को तो अभी और जलाना है, यह तो शुरुआत है अभी पूरी कहानी बाकी है ।
जिन्दगी की शिकायतें सभी के सामने क्यों खोल देना,कोई हाल पूछे तो सिर्फ झूठ बोल देना.
तेरे दीदार की तलाश में आते हैं की गलियों में… वरना आवारगी के लिए तो पूरा शहर पड़ा है…!!
करके झूठे लोगों पे भरोसा हमने ये जाना,की कमाल का हुनर रखते है ये झूठ बोलने वाले लोग।
अच्छा ख़ासा बैठे-बैठे गुम हो जाता हूँ,, अब में अक्सर में नही रहता तुम हो जाता हू
सच्चाई की रौशनी एक ना दिन झूठ के अँधेरे में अपना प्रकाश जरूर छोड़ती हैं।
तुम कुछ ना कर सकोगे मेरा मुझसे दुश्मनी करके ~ मोहब्बत कर लो मुझसे अगर मिटाना ही चाहते हो…
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ज़िन्दगी ~ एक इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने नहीं देता!
गिर पड़े उस पत्थर से टकरा कर ज़मीं पर हम, भरोसे की नीव कह जिसे कभी अपनों ने रखा था।
सीख रहा हूँ मैं भी अब मीठा झूठ बोलने का हुनर,कड़वे सच ने हमसे, ना जाने, कितने अज़ीज़ छीन लिए..!!
कभी-कभी झूठ बोलना मजबूरी नहीं बीमारी भी होती है..!!
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ~ ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई!!!
अपना Attitude तो हम वक्त आने पर दिखाएंगे, भले ही शहर तू खरीद पर उसपर हुक्म हम करेंगे ।
जमीं पर रहकर आसमान छूने की है फितरत मेरी, पर किसी को गिराकर ऊपर उठना मंजूर नहीं मुझे ।
ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल पड़ती है ‘डयूटी’ पर, ~ ‘बदन’ हर शाम कहता है कि अब ‘हड़ताल’ हो जाए ।।
नींद आती है जिसे तुझसे सच्ची बाते करने के बाद, सोच वो कैसे सोयगा तेरे झूठे वादों के साथ ।
जगह नहीं बची दिल में दोस्तों के लिए, गिना भी नहीं सकता इतने जख्म दिए, दोस्त थे कभी, आज वो दुश्मन हो गए, दिल नहीं करता किसी से दोस्ती के लिए।
कुछ वक़्त ख़ामोश होकर देखालोग सच में भूल जाते हैं
सच्ची मोहब्बत भी हम करते है, वफ़ा भीहम करते है, भरोसा भी हम करते है,और आखिर में तन्हा जीने की सजा भीहमे ही मिलती है.
बअ’द मरने के मिरी क़ब्र पे आया वो ‘ग़ाफ़िल’ ~ याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बअ’द
यादों की दीमक लगी किताब है हमारी ज़िंदगी, जैसे जैसे पन्ने पलटोगे फटती चली जाएगी…
है खबर अच्छी कि आजा मुंह तेरा मीठा करें नफरतें तेरी हुई हैं बाखुशी दिल को कुबूल!!!
वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है,जितनी किसी अपने के बदल जाने से तकलीफ होती है।
जब से तू दगा कर गया है, तब से मुझे अपनी परछाई से भी डर लगता है !!
इस इश्क की किताब से,बस दो ही सबक याद हुए,कुछ तुम जैसे आबाद हुए,कुछ हम जैसे बर्बाद हुए।
तू रख वो हौसला वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चल कर समुन्दर भी आएगा, थक हार के ना रूकना- ए- मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी~ मिलने का मजा भी आएगा..
नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में हम इख़्तियार में हैं न दिल इख़्तियार में
सब कुछ झूठ होता है फिर भी सच्चा लगता है,इश्क़ में जान बूझकर धोखा खाना भी कितना अच्छा लगता है..!!
खूब मेहनत की और आगे बढ़ गया,लेकिन अपनी नजरें कहीं नहीं झुकाई,मेरे दुश्मन खुद जले और खूब जलते रहे,मैंने किसी के जीवन में आग नहीं लगवाई।
उस इंसान से कभी झूठ मत बोलनाजिसको आपके झूठ पर भी भरोसा हेus insaan se kabhee jhooth mat bolanajisako aapake jhooth par bhee bharosa he
झूठ कहूँ तो बहुत कुछ है मेरे पास,सच कहूँ तो कुछ नही सिवा तेरे मेरे पास।
हर रिश्तें में विश्वास रहने दो,जुबान पर हर वक्त मिठास रहने दो,यही तो अंदाज हैं जिन्दगी जीने का,न ख़ुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो।
मै तब भी क्यूट था आज भी क्यूट हूं बस फर्क सिर्फ इतना है कि पहले आंटियों को लगता था और आज उनकी लड़कियों को ।
अभी साथ था अब खिलाफ है,वक्त का भी आदमी जैसा हाल है।।
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का।।
कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, ~ अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे…
तू जिस शहर में अकड़ दिखाता है, उस शहर का नवाब हूं में , तू छोटे अभी अभी बिगड़ा है मैं बचपन से ख़राब हूं ।
सिर्फ सुनना नहीं, सुनाना भी आता है हमें, कोई हद पार करे तो उड़ाना भी आता है हमें !
किस्मत से लड़ने में मजा आ रहा है । ~ ये मुझे जीतने नहीं देगी, और हार मैं मानुंगा नहीं…
आज वो दोस्त भी दुश्मनों में शामिल था, कल तक जो शख्स मेरी वजह से काबिल था।
दुश्मनी हमसे कब तक निभाओगे, एक दिन टूटकर बिखर जाओगे, देखो अभी भी वक्त है साथ दो मेरा, बरना सिर्फ तस्वीरों में नजर आओगे।
आसान नहीं होती एक लड़की की जिंदगी जिसे घरवालों की बाते भी सुननी पड़े और बाहरवालों के ताने भी ।
वो करते है मोहब्बत की बात,लेकिन मोहब्बत के दर्द का उन्हें एहसास नही,मोहब्बत तो वो चाँद है जो दिखता तो है सबको,लेकिन उसको पाना सबके बस की बात नही।
तो दोस्तों आज हम आप लोगों के साथ शेयर करने वाले हैं झूठे लोग शायरी इन हिंदी (Jhute Log Shayari) का संपूर्ण कलेक्शन जो कि आप लोगों का भी पसंद आएगा।
अजीब सा ख़ौफ़ था उस शेर की आँखों में, जिसने जंगल में मेरे जूतों के निशान देखे थे ।
लोग कहते है….. दुआ कबुल होने का भी वक्त होता है हैरान हु मै ,किस वक्त मैने तुझे नही माँगा
मैं तो वक्त से हार कर सर झुकाएँ खड़ा था,सामने खड़े कुछ लोग ख़ुद को बादशाह समझने लगे।।
कुछ लोग यहाँ वक्त की तरह होते हैं,साथ तो चल सकते हैं,पर हमारे लिए रुक नहीं सकते हैं।
झूठ के नाव सच के समंदर में चलते नही,झूठ बोलने वाले अपना स्वभाव बदलते नही।
पतझड का खौफ मुझे ना दिखाओ यारों, ~ बहुत बिखरा हूँ उस पगली के मोहब्बत की बहार में
वही टूटी हुई कश्ती, वही पागल हवाएँ हैं ~ हमारे साथ दुनिया में नया कुछ भी नहीं होता ….
किसे यकीन की तुम देखने को आओगे, ~ आखिरी वक़्त मगर इंतज़ार और सही.
मैं शहर में किस शख़्स को जीने की दुआ दूँ ~ जीना भी तो सब के लिए अच्छा नहीं होता
मैंने खत को देखा और रख दिया बिना पढ़े हुए, मैं जानता हूँ उसमें, भूल जाने का मशवरा होगा..
जिसको जो कहना है कहने दो हम भी चुप है , अपना क्या जाता है , ये तो वक्त वक्त की बात है , और वक्त सबका आता है ।
जब सब तोल रहे थे मुझे ना उम्मीदी के तराज़ू में, एक वही तो था जिसने भरोसा जताया मुझ में।
क्या जाने किसको किससे है अब दाद की तलब वह ग़म जो मेरे दिल में है अब तेरी नज़र में है!!!
तेरी औक़ात ही क्या….. सुन ले ~ शहर के शहर ज़मीनों के तले दब गए हैं
“कांटो से बच बच के चलता रहा उम्र भर…… ~ क्या खबर थी की चोट एक फूल से लग जायेगी……
किस लिए वो शहर की दीवार से सर फोड़ता क़ैस दीवाना सही इतना भी दीवाना न था
झूठ इसलिए भी जल्दी बिक जाता है क्योंकि सच को खरीदने की सबकी औकात नहीं होती है.
हुई सूरत न कुछ अपनी शिफ़ा की ~ दवा की मुद्दतों बरसों दुआ की
भरोसा था मुझे अपने भरोसे पर,फिर वो किसी और के भरोसे चला गया।bharosa tha mujhe apane bharose par,phir vo kisee aur ke bharose chala gaya.
मुझ ग़ुलाब को नहीं मालूम, ~ किन दो पन्नों के बीच, मेरी लाश.. कब से दफ़न है… **************************************
लफ़्ज़ों का कारीगर हूँ, दर्द तराशता हूँ… चीख़ भी निकल जाती है और शोर भी नहीं होता
जनाब सब कुछ तो था उनके पास,काश कुछ वक्त भी होता हमारे लिये उनके पास।
लाख समझाया उनको की दुनिया शक करती है, ~ मगर उनकी आदत नही गई मुस्कुरा कर गुजरने की **************************************
अक्सर झूठ सबको इसलिए अच्छा लगता हैं, क्योंकि यह मनुष्य को उसकी कमियां नहीं बताता है।
प्यार निभाने के लिए मैं हमेशा झुकता रहा, और तुम इसे मेरी औकात समझ बैठे !!
शोर तो आवारा कुत्ते भी मचाते हैं, पर दहशत और खोफ हमेशा शेर की रहती है ।
हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी; ~ और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है!
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता, ~ जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता…
जिंदगी में आए दुश्मन बड़े-बड़े, लेकिन हम कभी किसी से नहीं डरे, दुश्मनी करना है तो कद ऊंचा करो, क्योंकि हम चूहे नहीं मारते।
जिसका नाम शामिल, मेरी धड़कनों में था, जरूरत पड़ी तो वो शख्स, मेरे दुश्मनों में था।
डूबती कश्तियाँ थीं टूटते तारे थे कई हम ही कुछ समझे नहीं वरना इशारे थे कई ये अलग बात कि तिनके भी किनारा कर गए डूबने वाले ने तो नाम पुकारे थे कई!!!
ज़िंदगी की जंग में ऐसा मुक़ाम आना चाहिए, ~ जीत ‘मिले’ या ‘हार’ शानदार होना चाहिए।।
अक्सर झूठे लोग ही हमें,जिंदगी की सच्चाई की शिक्षा देकर जाते है।
वो मासूम चेहरा मेरे जेहन से निकलता ही नहीं, दिल को कैसे समझाऊँ कि धोके-बाज था वो !
हमसे नफरत है तो करते रहो नफरत, हमे तकलीफ नहीं होगा,झूठ बोलने वालों से हमे मतलब नहीं होगा।
मेरे प्यार की मजार तो आज भी वही है जान बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गयी!!!
जता जता के मोहब्बत,दिखा दिखा के दर्द, ~ बहुत क़रीब से लूटा है दोस्तों ने मुझे
अभी तो थोडा वक्त हैं,उनको आजमाने दो,रो-रोकर पुकारेंगे हमें,हमारा वक्त तो आने दो…
तेरी नेकी का लिबास ही, तेरा बदन ढकेगा….. ~ सुना है ऊपर वाले के घर, कपड़ो की दुकान नहीं होती..
महबूब की झूठी तसल्ली भरी बातें भी,दिल को बड़ा ही सुकून पहुंचाती है.
वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसां था मुझसे हर लम्हा मुख़ातिब रही ग़ैरत मेरी!!!
अपनी कहानी में एक ऐसा मोड़ लाऊंगा, जिसेक बाद पूरी दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ जाऊंगा ।।
वो जो ख़ामोशी की एक पतली लकीर उभरी थी न.. अब ~ ~ सरहद बन चुकी है.. तेरे मेरे दरमियाँ…..
रात को रात कह दिया मैंने सुनते ही बौखला गई दुनिया हफ़ीज़ मेरठी
इस दुनिया ने सिर्फ हमें मतलब के,लिए ही आज़माया है।मतलब निकल जाने के बाद,हमें अजनबी बनकर ठुकराया है।
झूठ की नींव कमजोर होती है, इस पर रिश्तों का बनाया गया महल जल्द ही गिर जाता है.
ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम, पता है कि मंजिल मौत है फिर भी दौड रही है
क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद ~ कुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया
इस दुनिया में किसी की बात मत सुनो वो करो जो तुम्हारा दिल कहे क्योंकि ये जिंदगी तुम्हारी है किसी के बाप की नहीं ।
हम तो आँखों में संवरते हैं वहीं संवरेंगे हम नहीं जानते आईने कहाँ रखें हैं!!