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बडी हिम्मत दी है उनकी जुदाई ने,ना ही किसी को खोने का डर है,ना ही किसी को पाने की चाह.
मंझधार में डूबी नैया बिन नाविक पतवार। जिंदगी के सफर में सदा बांटो सबको प्यार।
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझेअच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया
इतनी तो तेरी सूरत भी नहीं देखी मैने जितना तेरे इंतज़ार में घड़ी देखी है…!!!
अपनी तक़दीर में कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैंकिसी ने वक्त गुज़ारने के लिए अपना बनाया,तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया.
अब तक हमारी उम्र का बचपन नहीं गया घर से चले थे जेब के पैसे गिरा दिए - नश्तर ख़ानक़ाही
वो हमारे जहाज़ में कमी निकाल रहे है जिनकी खुद की नाव में छेद है।
ग़जब की मोहब्बत है वो, जिसमे साथ रहने की कोई उम्मीद ना हो, फिर भी प्यार बेशुमार हो!
हाय उसकी ये होठों की लाली,पर बाद में चला गुटखा खाती थी साली..Haay uski ye hotho ki laali,Par baad mein pata chala gutkha khati thi saali…
दीदार की तलब हो तो नज़रे जमाये रख, क्यूँकि नक़ाब हो या नसीब सरकता जरुर है।
बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो लेते थे और अब मुस्कान को तमीज चाहिए और आंसुओं को तन्हाई |
बहुत मजबूत होते हैं,वो लोग जो अकेले मेंसबसे छुप कर रोते हैं.
दिल हमेशा वो लोग तोड़ते हैंजो हमारे दिल में रहते हैं.
बड़े कमाल के लोग हैं इस दुनिया मेंअपने बनकर दिलों को जोड़ लेते हैजी भरकर करते हैं सवारी रिश्तों कीजब मन भर जाता हैं तो छोड़ देते है.
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो !हमारा शहर तो बस यूंही रास्ते में आया था.
नसीब में कुछ रिश्ते अधूरे ही लिखे होते हैंलेकिन उनकी यादें बहुत खूबसूरत होती है।
मेरी आंखों में जो नमी है,वज़ह तुम नही तुम्हारी ही कमी है.
राधे तुम अगर जानना चाहते हो मेरे दिल मेंकौन है तो पहला लफ्ज़ दोबारा पढ़ लो।
वक्त हमे तजुर्वे तो बहुत बड़े बड़े देता है,लेकिन मासूमियत छीन लेता है.
इस तरह से लोग रूठगये मुझसे,जैसे मुझसा बुरा दुनियामें कोई और नहीं.
पाने को ही प्रेम कहे जग की ये है रीत,प्रेम का अर्थ समझायेगी राधा-कृष्णा की प्रीत।
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे, मगर इस बार बेवफाई हम करेंगे
ना आवाज हुई, ना तामाशा हुआ,बड़ी खामोशी से टूट गया,एक भरोसा तो तुझ पर था.
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरीजैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी
समंदर के ऊपर भीकश्ती चलती हैं,हुनर और हौसला हो तोकिस्मत भी बदलती है.
कभी बदली सा बरसना कभी चाँद सा छुप जाना उफ़्फ़्, बहुत खलता है तेरा यूँ चुपके से चले जाना…!!!
दुबारा इश्क़ होगा तो तुझसे ही होगा !खफा हूँ मैं बेवफा नहीं.
ज़रा सी वक़्त ने करवट क्या ली !गैरों की लाइन में सबसे आगेअपनों को पाया हमने.
जो लोग दिल के सच्चे होते हैं,वो हमेशा अकेले होते हैं.
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरहमैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.
क्यों करते हो मेरे दिल पर इतना सितम, याद करते नहीं तो याद आते क्यों हो?
हमे तुमसे प्यारकितना ये हम नहीं जाणतेमगर जी नहीं सकते तुम्हारे बीना.
देखू मेरे माधव की आँखे, या करूँ आँखे चार,दर पर उसके शीश नमाऊं या निहारु वारंवार।
दुखों का बोझ अब अकेले नहीं संभालता है..कहीं वो मिलती अगर तो उससे लिपट के रो लेते.
सो जाने दे मुझे नींद की गहराईयों में, जीने नहीं देती उसकी यादें तन्हाइयों में।
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो…!!!
खुद को माफ़ नही कर पाओगे,जिस दिन जिंदगी में हमारी कमी पाओगे.
मेरी ज़िंदगी तो है, पर उसका मतलब कुछ नही पूरा हो कर भी अधूरा है सब, संग मेरे तू जो नही…!!!
काश कोई मेरा भी होताजो कहता मत रोया कर,तेरे रोने से मुझे भी तकलीफ होती है.
मुस्कुराते हुए इंसान की कभी जेबे देखना !हो सकता है रूमाल गिला मिले.
फ़िक्र तो तेरी आज भी है बस जिक्र का हक नही रहा…!!!
कभी कभी इतनी शिद्दत से उसकी याद आती है, जो मैं पलकों को मिलाता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं।
असली तकलीफ तो ये ज़िन्दगी देती है !मौत तो बस यूंही नाम से बदनाम है.
तब तो यही हमे भाते थे, आज भी याद हैं छुटपन की हर कविता, अब हजारों गाने हैं पर याद नहीं, इनमे शब्द हैं पर मीठा संगीत कहाँ.
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया - महशर बदायुनी
दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नहीं,कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं,कुछ तो कसूर है आपकी आँखों का कन्हैया,हम अकेले तो गुनाहगार नहीं।
ना चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है । ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती है ।
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया
आप नजरों से दूर हैं आँखों से नही आप ख्वाबों से दूर हैं ख्यालों से नही…!!!
मुस्कुरा जाता हूँ अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुन कर तेरे नाम से इतनी मोहब्बत है तो सोच तुझसे कितनी होगी…!!!
दिल तुमसे लगा बैठे है,प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,एक तू ही है कन्हैया जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है।
आऊंगा तेरी गली गधे को लेकर,अब तेरे नखरों का बोझ मुझसे उठाया नहीं जाता..
दुआ करना दम भी उसी तरह निकले,जिस तरह तेरे दिल से हम निकले.
दो पल को ही सही पर मेरी तन्हाइयो में खो जाओ,मैं तेरा और तुम मेरी दो पल के लिए हो जाओ.
बहुत अजीब लगता है,सबके होते हुए भी किसी कासाथ ना होना.
कश लेकर कश्तियों को चला रहा हूँ मैं, मुझे फ़र्क़ ही नहीं पड़ता कहाँ जा रहा हूँ मैं।
दर्द दिलो के कम हो जाते,में और तुम अगर हम हो जाते.
दो जवाँ दिलों का ग़म, दूरियाँ समझती हैं, कौन याद करता है , हिचकियाँ समझती हैं।
प्रेम प्यार सद्भाव भर कर लो जीवन पार। हम सबकी नैया का प्रभु ही खेवनहार।
कितने अनमोल होते हैं यह मोहब्बत के रिश्ते भी कोई याद न भी करे फिर भी इंतज़ार रहता है…!!!
ज़िन्दगी के समंदर ने मुझ को सिखाया है, हर कश्ती ले मुक़द्दर में किनारा हो ज़रूरी तो नहीं।
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं, तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
बाजार के रंगो में रंगने की मुझे जरुरत नहीमेरे कान्हा की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है
घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए,मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हुए.
याद आते हैं तो कुछ भी नहीं करने देते, आप की यही बात बहुत बुरी लगती है
बचपन में लगी चोट पर मां की हल्की-हल्की फूँक,और कहना कि बस अभी ठीक हो जाएगावाकई अब तक कोई मरहम वैसा नहीं बना ।
लोग मोहब्बत को खुदा कहते हैअगर कोई करे तो उसे इल्ज़ाम देते हैकहते है की पत्थर दिल रोया नही करतेफिर क्यूँ पहाड़ोसे झरने गिरा करते है.
काम ऐसा करो किटीवी पर आओ,न कि सीसीटीवी पर..Kaam aisa karo ki,TV par aao,Na ki CCTV par..
हम खुद को बरगद बनाकरज़माने भर को छाँव बांटते रहे,मेरे अपने ही हर दिनमुझको थोड़ा-थोड़ा काटते रहे.
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाना,लेकिन किसी के भरोसे का फायदा मत उठाना.
मेरे दिल को बना कर ” Teddy ”अपने दिल से लगा लो ना तुममेरे श्यामरख लो महफूज यादो की माफिकदिल से मुझे अपना लो ना तुम
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा, लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते…
आज फिर तेरी याद आयी,जब बिन मौसम बारिश आयी.
पलकें झुकें और नमन हो जाए,मस्तक झुके और बंदन हो जाए,ऐसी नजर कहाँ से लाऊँ मेरे कान्हाकि आपको याद करूँ और दर्शन हो जाए.
यकीन करो मेरा, लाख कोशिशें कर चुका हूँ मैं ना सीने की धड़कन रुकती है, ना तुम्हारी याद।
किसी की चंद गलती परन कीजिये कोई फैसला,बेशक कमियां होगीपर खुबियां भी तो होगी.
श्रीकृष्ण ज़िनका नाम है, गोकुल ज़िनका धाम है !ऐसे श्रीकृष्ण को मेरा, बारम्बार प्रणाम है !
सुना है मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले !हमारी बारी आई तो रिवाज ही बदल गया.
लहरों ने मोहोब्बत की उलझा दिया हमे, वर्ण हम बभी आज किनारे पर होते।
जो लोग सबकी फ़िक्र करते हैंअक्सर उन्ही लोगो कीकोई फ़िक्र करने बाला नही होता है।
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
अकेला होकर भी अकेला नहीं हूँ मैं,कुछ यूँ सहारा दिया है तेरी यादो ने मुझे.
तेरे सीने से लग कर तेरी धङकन बन जाऊँतेरी साँसो मेँ घुल कर खुशबू बन जाऊँहो न फासला कोई हम दोनो के दरम्याँमैँ …मैँ न रहुँ साँवरे.. बस तुँ ही तुँ बन जाऊँ
डूबने का डर अक्सर उसे ही होता है जिसके पास कश्ती होती है।
इश्क़ सिर्फ मुझे हुआ था !उसे तो बस कुछ पल का नशा हुआ था.
कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा।
नफरत सी हो गई है,इस जिंदगी से..अब बस आखिरी दिन का इंतजार है.
काश एक दिन ऐसा भी आए;वक़्त का पल पल थम जाए;सामने बस तुम ही रहो;और उमर गुज़र जाए.
अपनो ने अकेला इतना कर दिया,कि अब अकेलापन ही अपना लगता है.
यूँ हम भी तुम से हाँ तुम भी हम सेदबे ज़ुबाँ कुछ तो कह रहे हैं हम एक कश्ती के हैं सवारीहम एक धारा मे बह रहे हैं
अकेली रात बोलती बहुत हैलेकिन सुन वही सकता हैजो खुद भी अकेला हो.
अफ़सोस तो हैं तेरे बदल जाने कामगर तेरी कुछ बातों ने मुझे जीना सीखा दिया.
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी जवानी का लालच दे के बचपन ले गया
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिशतुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की
मैं मांझी अच्छा था मगर मेरी ज़िन्दगी की कश्ती उसकी आँखों के समंदर में डूब गई ।
राम सीता कृष्ण राधा सच यहीप्रेम बाक़ी जो सुना था झूठ है
रूठूँगा तुझसे तो इस क़दर रूठूँगातेरी आँखे तरस जाएगी मेरी एक झलक को.
मुझे मौत देकर नयी बात कर दी,मेरी कश्ती थी कागज की तूने बरसात कर दी.
जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़साने मेंदर्द मजा लेता है जो दोहराने में.
चुपके-चुपके ,छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है. हमकोअब तक बचपने का वो जमाना याद है..!!
बरसात तो थम जाती हैं पर यादें नहीं.. रोज-रोज मौसम का बदलना अच्छा नहीं।
जो लोग अंदर से मर जाते हैं,वो लोग दूसरों को जीना सिखाते हैं.
हमे देखकर.अनदेखा कर दिया उसने,बंद आंखों से पहचानने का,कभी दावा किया था जिसने.
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था - शारिक़ कैफ़ी
कश्ती-ए-मय को हुक्म-ए-रवानी भी भेज दो, जब आग भेज दी है तो पानी भी भेज दो!
तू मुसीबत में अकेला है तो हैरत कैसी,हर कोई डूबती कश्ती से उतर जाता है।
रोने की वजह भी न थी न हंसने का बहाना था क्यो हो गए हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था!!
कौन समझ पाया आज तक हमें !हम अपने हादसों के अकेले गवाह हैं.
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें, आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते !बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है.
हम पूछते हैं कि आसमान में तारे कितने हैं,मगर ये नहीं पूछते की धरती में कुँवारे कितने हैं…
जब दर्द और कड़वी बोलीदोनों सहन होने लगे,तो समझ लेना जीना आ गया.
जिस्म अपना ही बोझ उठाते थक जाएगा...सांसो की कश्ती भी डूब जाएगी...एक दिन ऐसा भी होगा यारों...यह मिट्टी की हस्ती मिट्टी में मिल जाएगी...
मैंने तो दिल लगाया था,उसने तो चुना ही लगा दिया…Maine toh dil lagaya tha,Usne toh chuna hi laga diya..
नाज़ुक लगते थे जो लोग !वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले.
बिछड़ते वक्त,मेरे सारे ऐब गिनाये उसने,सोचता हूँ जब मिला था,तब कौन सा हुनर था मुझमें.
लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के,रखना मेरे बच्चों इस देख को संभाल के।
इतनी बदसलूकी न कर ए ज़िन्दगी !हम कौन सा यहाँ बार बार आने वाले हैं.
किसी की अच्छाई काइतना फायदा मत उठाओकी वह बुरा बनने पर मजबूर हो जाए.
बात वफाओ की होती तो न हारते,बात तो किस्मत की थी इसलिये हार गये.
जीवन में मिले हैं बहुत से धोखा,लेकिन कोई बात नहीं इट्स ओके..Zindagi ne diya bahut se dhoke,Lekin koi baat nahi its ok…
पता नहीं कैसे परखता है,मेरा कृष्ण मुझे,इम्तेहान भी मुश्किल ही लेता है,और फेल भी होने नहीं देता।
उनके ख़याल का दर्द इतना बढ़ गया है, की अब तो नींद भी आने से कतराती है !
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैंलोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
ज़िन्दगी में भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का, तू जहाँ मुझसे कहेगी वहां उतर जाऊंगा।
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफतुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया
आपकी सूरत कुछ इस तरह बस गई हैं,जैसे घर के दरवाजे में भैस फस गई हैं…
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
श्याम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है,दुनिया वाले क्या जाने ये रिश्ता पुराना है।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं छुप-छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा
ऐसी बेरुखी भी देखी है हमनेके लोग, आप से तुम तकतुम से जान तक, फिर जान सेअनजान तक हो जाते है.
जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छाँवों में, कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
मुझे गिरते हुए पत्तों ने यह समझाया है,बोझ बन जाओगे तो अपने भी गिरा देते हैं.
वो कश्ती समंदर पार क्या करेगी जिसे मोहोब्बत किनारे से हो जाए।
ख्वाइशें तमाम पिघलने लगी है,फिर से एक और शाम ढलने लगी है,उनसे मुलाकात के इंतज़ार में बैठे है,अब ये जिद भी तो हद से गुजर ने लगी है.
दुनिया के लोग बड़े जालिम हैं,वो तुम्हारे दुःख, दर्द रो रो कर पूछेंगेऔर हंस हंस कर सारी दुनिया को बताएंगे.
फिर पलट रही हैं सर्दियों की सुहानी रातें, फिर तेरी याद में जलने के जमाने आ गए।
अकेले रहने का आदी हूँन फेक हूँ, न फसादी हूँ.
किसको अर्ज़ी दू?मुझे खुद से छुट्टी चाहिए.
हुआ तो कुछ भी नहीं,बस थोड़े से ख्वाब टूटे हैं,और थोड़े से लोग बिछड़े हैं.
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
मैं तो कश्ती हूँ पहले से पानी में, तुम मुझे तैरना ना ही सिखाओ तो बेहतर होगा।
अनुभव कहता हैखामोशियाँ ही बेहतर है.शब्दो से लोग रूठते बहुत है.
👉तूने मेरी बेताबी देखी है अब मेरा सब्र देख मैं इतनी चुप 🙅 हो जाऊँगी कि तुम चीख उठोगे…
अब अकेला नहीं रहा मैं यारोंमेरे साथ अब मेरी तन्हाई भी है.
पांडवो सी विवशता आएगी ..तो हिस्से में कृष्ण भी आएंगे
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,पहले पागल किया..फिर पागल कहा,फिर पागल समझ कर छोड़ दिया.
यही सोचकर सफाई नहीं दी हमने !इल्ज़ाम भले ही झूठे हैं पर लगाए तो तुमने हैं.
राधा मुरली-तान सुनावें,छीनि लियो मुरली कान्हा से,कान्हा मंद-मंद मुस्कावें,राधा ने धुन, प्रेम की छेड़ी,कृष्ण को तान पे,नाच नचावें..*जय श्री राधेकृष्णा…
मन की आँखों को जब तेरा दीदार हो जाता है,मेरा तो हर दिन प्रिय मोहन त्यौहार हो जाता है।
यशोदा के दुलारे राधिका का प्यार हैं मोहनहमारे साथ खेलें जो हमारे यार हैं मोहन
फिर पलट रही हैं सर्दियों की सुहानी रातें, फिर तेरी याद में जलने के जमाने आ गए।
वक़्त और अपने जब दोनोंएक साथ चोट पोहचाएँ,तो इंसान बाहर से ही नहींअंदर से भी टूट जाता हैं.
कन्हैया बस तेरी रहमत पर नाज करते है,इन आंखो को जब तेरा दीदार हो जाता है,मेरा तो हर दिन सांवरे त्योहार हो जाता है।
उस कश्ती तो क्या पता समंदर की गहराइयाँ का, जिसे पानी से डर लगता हो।
कुछ बातें समझने के लिये दिल चाहिये,वो भी टूटा हुआ.
इस इश्क की किताब से,बस दो ही सबक याद हुए,कुछ तुम जैसे आबाद हुए,कुछ हम जैसे बर्बाद हुए.
कश्ती नहीं मिली कभी इश्क़ के समंदर में हमेशा कष्ट ही मिले मुझे।
मोहब्बत तो दिल से की थी,दिमाग उसने लगा लियादिल तोड दिया मेरा उसनेऔर इल्जाम मुझपर लगा दिया.
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए - नुशूर वाहिदी
राधा के हृदय में श्याम,राधा की साँसों में श्याम,राधा में ही हैं श्याम,इसीलिए दुनिया कहती हैं,बोलो श्याम श्याम श्याम।
तू मुझसे दूर है इस बात का शिकवा नही,गिला तो इस बात का है कीतू किसी और के करीब है.
अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी !लोग तसल्लियाँ तो देते है पर साथ नहीं.
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
जो हमे डूबने के कजवाब रखते थे हम उन्ही की नाव में जाकर बैठ गए।
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत वो याद तो आते हैं मगर याद नहीं करते…!!!
कृष्णा के कदमो पे कदम बढाते चलो,अब मुरली नही तो सीटी बजाते चलोराधा तो घर वाले दिलाएंगे ही,मगर तब तक गोपियाँ पटाते चलो।
अगर बेवफा होते तो भीड़ में होते,वफादार हैं इसलिए अकेले हैं.
दूध मांगोगे तो खीर देंगे,और दूध का फट गया तो पनीर देंगे..Dudh mangoge toh kheer denge,Aur dudh fat gya toh paneer denge..
वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है
ये चाँद चमकना छोड़ भी दे, तेरी चांदनी मुझे सताती है तेरे जैसा ही था उसका चेहरा, तुझे देख के वो याद आती है…!!!
किसी को चाह कर न पाना दर्द देता है,लेकिन पा कर खो देना जिंदगी तबाह कर देता है.
तजुर्बे ने एक ही बात सिखाई है,नया दर्द ही, पुराने दर्द की दवाई है.
मेरी कोशिश हमेशा से नाकाम रही !पहले तुम्हें पाने की अब तुम्हें भुलाने की.
अक्सर इश्क़ के भवर में फसने वाली कश्तियाँ डूब जाय करती है।
यूँ सिमट गया मेरा प्यार चंद अल्फाज़ो में !जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.
प्यार में ना जाने कितनी बाधा देखी,फिर भी कृष्ण के साथ हरदम राधा देखी।
वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे न फ़िक्र कोई न दर्द कोई बस खेलो, खाओ, सो जाओ बस इसके सिवा कुछ याद नही.|
तेरी याद आती है तो आँख भर ही आती है वरना हर बात पर यूँ रोने की आदत नहीं मुझे…!!!
रिस्ते तोड़ देने से मोहब्बतखत्म नही होती कहना उससे.लोग याद तो उन्हें भी करते है,जो दुनिया छोड़ जाते है !
अभी ज़रा वक़्त है,उसको मुझे आज़माने दो.वो रो रोकर पुकारेगी मुझे,बस मेरा वक़्त तो आने दो.
इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर,कुछ वक़्त भेज दूं, सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है अपनों को याद करने की..
न जाने वो कोन है जो बिन बुलाये आता है,मेरे ख्याल से तेरा ख्याल ही होगा जो मुझे सताता है.
जो अपना हैं,वो कभी दूर जायेगा ही नहीं,जो दूर चला गया,वो कभी अपना था ही नहीं.
में भी अधूरा हु तेरे नाम के बिनाजैसे अधूरी है राधा शाम के बिना ।।
फिर से बिखरने के लिएख़ुद को संवारा है,एक कश्ती कागज़ की आज,इश्क़ के समंदर में उतारा है।
कश्ती का डूबना तो तय था मेरी, मैं खुद मोहोब्बत के भवर में जो जा रहा था।
ना चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती है…!!!
बेपनाह मोहब्बत काआखरी पड़ाव बस एक ख़ामोशी.
तूफ़ान क्या उल्टेगी कश्ती को मेरी, मैं लहरों पर चढ़ कर सफर कर रहा हूँ।
किसी डूबते को तिनके का सहारा ना मिला, तो किसी कश्ती को किनारा ना मिला।
खेल सारे खेलना,मगर किसी के भावनाओं के साथ,मत खेलना.
एक बात हमेशा याद रखना,दुनिया में तुम्हे मेरे जैसे बहुत मिलेंगे,लेकिन उनमे तुम्हे हम नही मिलेंगे.
आँखें नींद से बोझल ज़रूर हैं लेकिन, अगर सो गये हम तो उसे याद कौन करेग
तेरे लिए लड़ लिए सबसे,लेकिन हम हार गये अपने नसीब से.
कौन करेगा मुझसे शादी,मुझें तो सिर्फ मैग्गी बनाना ही आता हैं..Kaun karega mujhse shadi,Mujhe toh sirf maggie banana hi aata hain..
तुम याद नही करते, हम तुम्हे भुला नही सकते तुम्हारा और हमारा रिश्ता इतना खूबसूरत है…!!!
तुझे याद करना न करना अब मेरे बस में कहाँ दिल को आदत है हर धड़कन पे तेरा नाम लेने की…!!!
तेरे बाद हमारा हम दर्द कौन बनेगा,हमने तो सब छोड़ दिया तुझे पाने की जिद्द में.
धोखा देने के लिए शुक्रिया तेरा !तुम न मिलती तो दुनिया की समझ न आती.
मेरी जिंदगी में रहोगे तुम उम्र भर,चाहे प्यार बन कर चाहे दर्द बन कर.
ग़लतफ़हमी दूर न की जाए तो वोनफरत में बदल जाती हैं.
एक तेरा ख्याल ही तो है मेरे पासवरना कौन अकेले में बैठे कर चाय पीता है.
लोग कहते है समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं !मैं बरसो से खामोश हूँ और बरसो से बेखबर.
मेरी क़िस्मत मेरा मांझी था और मैं तो बदक़िस्मत हूँ।
वो बारिशों में भी कागज़ की कश्तियाँपानी में तैराते रहे जब तलक साथ रहे मेरी दुनिया
जब भी टूटो, अकेले में टूटनाकम्बख्त ये दुनिया तमाशा देखने में माहिर है.
बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो लेते थे और अब मुस्कान को तमीज चाहिए और आंसुओं को तन्हाई!!
प्रभु खोजने से नहीं मिलते…उसमें “खो – जाने” से मिलते है…!!! जय श्री कृष्णा !!
मधुवन में भले ही कान्हा किसी गोपी से मिले,मन में तो राधा के ही प्रेम के फूल खिले।
कुछ अजीब सा रिश्ता हैउसके और मेरे दरमियांना नफरत की वजह मिल रही हैना मोहब्बत का सिला.
मैंने आज़ाद कर दिया !हर वो रिश्ता हर वो इंसानजो सिर्फ अपने मतलब के लिएमेरे साथ था.
तेरी याद से शुरू होती है मेरी हर सुबह फिर ये कैसे कह दूँ कि मेरा दिन खराब है…!!!
छोड़ने से पहले कहते तो आप,दर्दे दिल एक बार हमे सुनाते तो आप,ऐसी क्या मजबूरी थी आपकी,जो हमे जिंदगी के सफर में छोड़ गये आप.
लिखने कुछ शुरू किया था, लिख और कुछ ही दिया। सवार हुए थे कश्ती मे प्यार के लिए, उसने तो ग़म के किनारे उतार दिया।
वक़्त के रहते वक़्त दिया करो,वक़्त कटने के बाद वक़्त ना रहेगा.
वो मिला था मुझे ऐसे जैसे कश्ती मिलती है डूबते इंसान को।
आखिरी बार तुम 👉 पर आया था फिर मेरा दिल ❤️ मेरे हाथ में नहीं आया…
बनाकर रख लो मुझे कैदी अपनी चाहत का बिछड़कर तुमसे मुझे जीना नहीं आता…!!!
याद आती है आज छुटपन की वो लोरियां, माँ की बाहों का झूला , आज फिर से सूना दे माँ तेरी वो लोरी, आज झुला दे अपनी बाहों में झूला.
जो सपने हमने बोए थे…नीम की ठंडी छाँवों में, कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में..!!
अकेलेपन से सीखी हैमगर बात सच्ची हैदिखावे की नजदीकयों सेहकीकत की दूरियाँ अच्छी है.
सोचा था एक घर बनाकर बैठूंगा सुकून से !लेकिन घर की ज़रूरतो ने मुसाफिर बना दिया.
आँखों👀 के अंदाज़ बदल😇 जाते हैं , जब कभी हम👨💼 उनके👩💼 सामने जाते हैं👌
एक बार अगर किसी इंसान पर सेभरोसा उठ जाए,तो फिर वो जहर खाये या कसमकोई फर्क नहीं पड़ता.
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था
हम ना रहें भी तो हमारी यादें वफा करेंगी तुम से, ये ना समझना की तुम्हें चाहा था बस दो दिन के लिए !!
रख लो दिल में संभाल कर थोड़ी सी यादें हमारी रह जाओगे जब तन्हा बहुत काम आयेंगे हम…!!!
अजीब तमाशा है मिट्टी के बने लोगों का यारो,बेवफ़ाई करो तो रोते है और वफ़ा करो तो रुलाते है.
लोगों की बातें सुनकर छोड़ जाने वाले,हम कितने बुरे थे तुम पता तो कर लेते.
सब मिल ही जाए,तो तमन्ना किसकी करेंगे,प्यास बनी रहे जरुरी हैं.
कश्ती वही मगर दरिया बदल गयामेरी तलाश का भी नजरिया बदल गयान शक्ल बदली न ही बदला किरदार मेराबस लोगोके देखने का नजरिया बदल गया।
कमाल होते हैं वो लोग,जो अपना सब कुछ खो कर भी,दूसरों को खुश रखते हैं.
न प्यार कर झूठा,न इश्क़ कर फर्जी,मैं नहीं बताऊंगा,मेरी शेर मेरी मर्जी…Na pyaar kar jhuta,Na isqh kar farji,Main nahi batunga,Meri sher meri marji…
दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से,कुछ न मिला उनके लिए आँसू बहाने से,वो जानते थे वजह मेरे दर्द की,फिर भी बाज़ न आये मुझे आजमाने से.
तेरे बिन मेरी ज़िंदगी पूरी तरह सन्नाटा,तू मेरी चाय और तू ही मेरी पराठा…Tere bin meri zindagi puri tarah sannnata,Tu meri chai aur tu hi meri paratha..
मैं जो हूँ मुझे रहने दे हवा के जैसे बहने देतन्हा सा मुसाफिर हूँ मुझे तन्हा ही तू रहने दे.
बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में कान्हा, जब से हुआ है कोई और दूसरा दर्द ही नहीं भाता!
तुझे याद करना न करना अब मेरे बस में कहाँ, दिल को आदत है हर धड़कन पे तेरा नाम लेने की।
बहुत कुछ बदला है मैंने अपने आप में !लेकिन तुझे याद करने की वो आदत आज भी बाक़ी है.
जरूरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो,जरूरी तो नहीं हम जिनके है वो हमारा हो,कुछ कश्तिया डूब भी जाया करती हैजरूरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो।
चारों तरफ फैल रही हैं,इनके प्यार की खुशबू थोड़ी-थोड़ीकितनी प्यारी लग रही हैं,साँवरे-गोरी की यह जोड़ी।।
मेरे लफ़्ज़ों से न करमेरे क़िरदार का फ़ैसलातेरा वज़ूद मिट जायेगामेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते.
स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी,जहां लोग तो बहुत है,पर अपना कोई नहीं.
गाय का माखन, यशोधा का दुलार,ब्रह्माण्ड के सितारे कन्हैया का श्रृंगार,सावन की बारिश और भादों की बहार,नन्द के लाला को हमारा बार-बार नमस्कार।
जब सुकून ना मिले दिखावे की बस्ती मेंतब खो जाना मेरे श्याम की मस्ती में।
हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त कामैं कोई हिसाब नहीं रखतीमैं बस लम्हे जीती हूँ,इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।
दिल के समुन्दर में एक गहराई है,उसी गहराई से तुम्हारी याद आई है,जिस दिन हम भूल जाये आपको,समझ लेना हमारी मौत आई है.
सुन्दर से भी अधिक सुंदर है तु,लोग तो पत्थर पूजते है,मेरी तो पूजा है तु,पूछे जो मुझसे कौन है तु ?हँसकर कहता हुँ,जिंदगी हुँ मैं और साँस है तु…
रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़नासूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया
कभी-कभी हाथ छुड़ाने की ज़रूरत नहीं होती,कुछ लोग तो साथ रह कर भी बिछड़ जाते हैं.
तुम पल भर के लिए दूर क्या जाते हो तो हम ‘बिखरने’ से लगते हैं…!!!
किसी को कितना भी अपना क्यों न मान लोएक दिन लोग बुरा साबित कर ही देते हैं.
जिनकी मोहब्बत सच्ची होती है,उनके नसीब में दर्द ही लिखा होता है.
मुझको छोड़ने की वजह तो बता जाते,तुम मुझसे बेज़ार थे या हम जैसे हज़ार थे.
उसे मेरी ज़रुरत नहीं थी, खैर किनारे को कश्ती की ज़रुरत कहाँ होती है।
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर मेँ तैरती हैं जिस में पानी मेरी अपनी पलको का ही होता है…!!!
बारिश के बाद तार पर टंगीआख़री बूंद से पूछना,क्या होता है अकेला पन.
मैं कैसे आ पाटा नज़दीक साहिल के, मेरा मांझी ही मुझे डुबाना चाहता था।
आखिर कैसे भुला दे हम उन्हें !मौत इंसानो को आती है यादों को नहीं.
वो राधा की तरह है साथ मेरेख़यालों में वो मेरी रुक्मणी है
बहुत अंदर तक तबाही मचाते हैं,वो अश्क जो आँखों से नहीं गिरते.
इतना दर्द तो मौत भी नही देती,जितनी दर्द तेरी ख़ामोशी दे रही है.
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँमेरा बचपन, मेरे जुगनू, मेरी गुड़िया ला दे ।
जो भी आता है,एक नयी चोट देकर,चला जाता है.माना मजबूत हूं मैं,लेकिन, पत्थर तो नहीं !
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम.
कश्ती ज़िन्दगी की कभी डगमगाती हैं कभी सम्भाल जाती हैंये सिलसिला तब तक ज़ारी रहेता हैं जब तक मौत नहीं आ जाती हैं।
टूटी है कश्ती, तेज है धारा,कभी ना कभी तो मिलेगा किनारा.
कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं मुझे सताने के सलीके… तो उन्हें बेहिसाब आते हैं…!!!
रूप रंग ही अगर प्रेम का आधार होता तोजिसे कभी देखा ही नहीं उससे कैसे प्रेम होता।
क्या फर्क पड़ता हूँ अब कोई साथ हो या ना होक्योंकि की जीन्दगी तो अब अकेले में जीनी हैं.
राधा कहती है दुनियावालों सेतुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर हैप्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दियाऔर मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया
खामोशी को चुना हैक्योंकि बहुत कुछ सुना है मैंने.
बचपन में अंधेरे सेडर लगता था.आज उसी अंधेरे मेंशुकुन मिलता है.
ए जन्नत अपनी औकात में रहनाहम तेरी जन्नत के मोहताज नहीहम श्री बांकेबिहारी के चरणों में रहते हैवहां तेरी भी कोई औकात नही
चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजह हँसकर नही देखा
वो तो अपनी एक आदत को भी न बदल सके,न जाने क्यों हमने उनके लीये पूरी जिंदगी बदल दी.
सुना है के तुम रातों को देर तक जागते हो यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे हो…!!!
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना!!
ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ, बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है
ठंडी हवाए क्या चली मेरे शहर में, हर तरफ यादों का फूल बिखर गया।
तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहा करदो !क्या पता फिर कोई हमसे बेज़ुबाँ मिले न मिले.
खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह और इसी रौनक में मेरा दिन गुज़र जाता है…!!!
राधा राधा जपने से हो जायेगा तेरा उद्धार, क्योंकि यह वही नाम है जिससे श्री कृष्ण को है प्यार।
प्रेम का परिचय शादी होती तोरुक्मणि के जगह राधा होती ।।
अगर कसमें सच होतीतो सबसे पहले खुदा मरता.
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।
खुल सकती हैं गांठेंबस ज़रा से जतन से मगर,लोग कैंचियां चला कर,सारा फ़साना बदल देते हैं.
टूटे हुए दिल भी धड़कतें हैं उम्र भर,चाहें किसी की याद में चाहे किसी की फरियाद में.
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये,तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये,कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें,और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये.
बड़ी अजीब सी हैं शहरों की रौशनी,उजाला के बावजूदचेहरे पहचानना मुश्किल हैं.
एक कश्ती जिसका सफर ख़त्म ही नहीं हो रहा, वो बस चलता जा रहा है बेतुकी ज़िन्दगी की तरह।
कट रही है ज़िंदगी रोते हुए,और वो भी तुम्हारे होते हुए.
ये दुनिया कहने को तो अपनो का मेला है..ध्यान से देखो तो यहां हर शख्स अकेला है.
वो हमसे पूछते हैं कहाँ रहते हो आज कल !काश ! हमसे पूछने से पहले उन्होंनेअपने दिल में झाँक लिया होता.
जिनके मुक़द्दर में कश्ती नहीं होती, वो तैराक बहुत अच्छे होते हैं।
ना जाने कहाँ वो मौज वो मस्तियाँ चली गई, मेरा बचपन लेकर वो कागज़ की कश्तियाँ चली गई।
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी, अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है।
कभी कभी अकेलापनहमें हमारी ज़रूरतों से भीज्यादा समझने कोमजबूर कर देता है.
भरोसा जितना कीमती होता हैधोका उतना ही महँगा हो जाता है.
जिंदगी ने भी हमारे साथ,कई खेल खेले हैं.सुख में तो पूरी महफिल थी,पर दुःख में अकेले हैं.
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है.
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको,यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है.
कभी बादल, कभी कश्ती,...कभी कोई ख्वाब लगती हो...जब सजती हो तुम-ए-जानम...हसीं महताब लगती हो...
इस चीज़ को देखते हुए हमनें आपके लिए कुछ funny shayari लेकर आए हैं जो आप काफी पसंद करने वाले हैं चलिये देखते हैं।
अपनी हस्ती पर इतना ना गुरूर ना कर ग़ालिब याद रख कश्तियों और हस्तियों को डूबने में वक़्त नहीं लगता।
रात खामोश सी चुपचाप हैं,शोर तेरी यादों का बेहिसाब हैं.
खफा नहीं किसी से बस्अब अंदाज़ बदल लिया है.कुछ लोग जो अब तुक खास थे,उन्हें आम कर दिया है.
दे के दर्शन कर दो पूरी प्रभु मेरे मन की तृष्णाकब तक तेरी राह निहारूं,अब तो आओ कृष्णा।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त, बचपन वाला इतवार अब नहीं आता
बड़ा अजीब सा सफर है,जिसके लिए लिखू,वही बेखबर है.
बेखबर थे वो के कभी बेइन्तेहाँ मोहब्बत किया था मैंने उनसे, और खबर इस पुरे कायनात को हो गई !
वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गये…!!!
लोग तो कहते ही रहेंगे,वरना हम ज़िंदा कैसे रहेंगे..Log toh kahte hi rahenge,Warna hum zinda kaise rahenge..
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से,कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं ।
आदत थी मेरी सबसे हंसकर बोलना,मेरा शौक ही मुझे बदनाम कर गया.
श्याम की बंसी जब भी बजी है,राधा के मन में प्रीत जगी है।
यहाँ लोग अपनी गलती नही मानते,किसी और को अपना क्या मानेंगें.
मेरे ख्यालो में सिर्फ तुम हो तुम्हे कैसे भुला दूँ,इस दिल की धड़कन हो सिर्फ तुम,तुम्हे कैसे निकाल दूँ.
प्रेम से कृष्णा का नाम जपोदिल की हर इच्छा पूरी होगीकृष्ण आराधना में इतना लीन हो जाओउनकी महिमा, जीवन खुशहाल कर देगी
काश उनको कभी फुर्सत में यह ख्याल आ जाए की कोई याद करता हैं उन्हें ज़िन्दगी समझ के…!!!
आज तन्हा हुए तो अहसास हुआ !कई घण्टे होते है एक दिन में.
इस बार एक और भी दीवार गिर गयीबारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया
प्यार में कैसी थकन कह के ये घर से निकलीकृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
वो दिन नहीं वो रात नहींवो पहले जैसे जज़्बात नहीं,होने को तो हो जाती है बात अब भीमगर इन बातों में वो बात नहीं.
अपनो ने अकेला इतना कर दिया,कि अब अकेलापन ही अपना लगता है.
अकेले रहने में कोई बुराई नहीं है,वास्तव में यह अवसर है किआप खुद के साथ एक संवाद शुरू करें.
ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे ;आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे ;ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे.
दिल का बुरा नहीं हूँ,बस लफ़्जों में थोड़ीशरारत लिए फिरता हूँ.
हर कोई आप को नहीं समझेगा,यही जिंदगी हैं.
मैं कहाँ जानता हूँ दर्द की क़ीमत !मेरे अपनों ने मुझे मुफ्त में दिया है.
मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए,बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए ।
इक अजीब सी बेताबी है तेरे बिन रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता…!!!
मित्र हमेशा काले रखों,क्योंकि काले लोग रंग नहीं बदलते..Mitra hamesha kaale rakho,Kyuki kaale log rang nahi badalte…
ये कसमें ये रस्में ये ज़माने का डर, रुलाएगी मुझे बहुत तेरी याद उमर भर।
हमारे वास्ते सबकी दुआ भी बेकार जाती है,कहीं कागज की कश्ती भी समंदर के पार जाती है।
इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी.ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तोआज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही.
कैसे करूँ मैं साबित.कि तुम याद बहुत आते हो.एहसास तुम समझते नही.और अदाएं हमे आती नही.
कितनी जल्दी दूर हो जाते हैं वो लोगजिन्हें हम जिंदगी समझ कर कभी खोना नहीं चाहते.
झूटी मोहब्बत वफ़ा के वादे.साथ निभाने की कसमे,कितना कुछ करते है लोग,सिर्फ वक्त गुजारने के लिए.
मैं कागज की कश्ती ठहरा,अब बारिश देखूं या रास्ता.
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने !ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने.
नैया पार लगाये मांझी ले करके पतवार। भवसागर पार लगाए जग का वो करतार।
कसूर 👈 तो बहुत किये 👨 हमने, पर सजा 😒 वहाँ मिली जहाँ हम 💔 बेकसूर थे !!!
प्यार दो आत्माओं का मिलन होता हैं,ठीक वैसे हीं जैसे प्यार में कृष्ण का नामराधा और राधा का नाम कृष्ण होता हैं।
बेनाम 🤐 ही रख ले अपना 👫 रिश्ता, नाम देंगे तो दुनिया 🌏 बदनाम कर देगी !!!
कितना भी धन-दौलत पा लोपर भूख नहीं मिटटी तृष्णा की,उसको जीवन का सारा धन मिल जाता हैजो भक्ति करें राधा के कृष्णा की.
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
आँखें नींद से बोझल ज़रूर हैं लेकिन, अगर सो गये हम तो उसे याद कौन करेग…!!!
टूट कर चाहा था तुम्हे,और तोड़ कर रख दिया तुमने मुझे.
बड़ा मिठा नशा है तेरी याद का वक़्त गुजरता गया और हम आदी होते गए…!!!
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से !वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से.
अब तलक ये समझ ना पाए, हम ग़म तेरा क्यूँ ख़रीद लाये हम, इक हवेली थी मोम की, अपनी छत पे सूरज उतार लाये हम
खुदा कभी किसी पे फ़िदा न करे,अगर करे भी तो कभी कयामत तक जुदा न करे.
आज मैंने परछाई से पूछ ही लिया,क्यों चलती हो मेरे साथ?उसने भी हँसके कहा,दूसरा कौन है तेरे साथ.
बड़ा मीठा नशा है कृष्ण की याद कावक्त गुजरता गया और हम आदि होते गए।।।जय राधे कृष्णा।।
कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करेजो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं
पुरानी कश्ती को पार लेकरफ़क़त हमारा हुनर गया है,नए खिवैया कहीं न समझेंनदी का पानी उतर गया है.
कितने शौक से छोड़ दिया तुमने बात करनाजैसे सदियो से तेरे ऊपर कोई बोझ थे हम.
क़ाश तुम मेरे होते !क़ाश ये अल्फाज़ तेरे होते.
होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी।
नहीं बदल सकते हमखुदको औरों के हिसाब से,एक लिबास मुझे भी दिया है,खुदा ने अपने हिसाब से.
ए दिल अब तो होश मैं आ.यहाँ तुझे कोई अपना कहता ही नहीं.और तू है की खामख्वाकिसी का बनने पे तुला है.
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं, तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
अपनी तनहाई तेरे नाम पे आबाद करे कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद करे…!!!
तेरी मोहब्बत तो मुकद्दर हैँमिले ..या.. ना मिलेमगर तुझे याद करने सेदिल को राहत जरुर मिलती हैँ.
ब्लॉक करने से वो मजा कहा,जो मैसेज देख अनदेखा करने में मिलती हैं..Block karne se wo maja kaha,Jo message dekh undekha karne me milti hain..
सच कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,और शिकवा करो तो उन्हें मज़ाक लगता है,हम कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते है,और एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है.
श्री राधा जहाँ-जहां श्री कृष्ण वहाँ-वहाँ है,जो हृदय में बस जाएँ वो बिछड़ता कहाँ है।