If someone is upset with you or you are upset with anyone then this Khafa Shayari In Hindi is the most relatable to express your situation. Get your favorite one and express your feeling though these amazing shayari.
किसी से नाराजगी, इतने वक़्त तक न रखो के..वो तुम्हारे बगैर ही, जीना सीख जाए…!
मेरे लिए जीना यह सजा हो गया, यार मेरा मुझसे खफा हो गया।
निगाहों से भी चोट लगती है साहिब ~ जब कोई देख के अनदेखा कर दे **************************************
कोई याद कर रहा है, शिद्दत से, वहम भी क्यो ये उसे होता नहीं?,मुद्दत से…!!
देखेंगे एक दिन उससे खफा होकर, अंदाज़ कैसा है उनका मनाने का।
हर बार इल्जाम हम पर लगाना ठीक नहीं,वफ़ा खुद से नहीं होती खफा हम पर होते हो.
सुनो, तुम भी तो कभी आओ… हर रोज़ अपनी याद भेज देते हो बस.
तूने मोहब्बत को एक खेल बना दिया,अब मैं तेरे खफा होने की सजा दे रहा हूँ।
गुस्सा कर बेशक जितना मर्जी पर इतना भी मत करना कि नफरत में बदल जाए।
घिस गयी ज़बीं दुआ करते करते ~ उम्र भर तड़पे असर के वास्ते **************************************** 43
हमारे दिल न देने पर ख़फ़ा होलुटाते हो तुम्हीं ख़ैरात कितनी.
मकान बन जाते है कुछ दिनों में, ये पैसा कुछ ऐसा है, और घर टूट जाते है चंद पलों में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है…!!! 167
खून में उबाल आज भी खानदानी है ….दुनियाहमारे शौक की नहीं Attitude की दीवानी है..!
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने, हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है.
Whatsapp हो याजिंदगीलोग हमेशा “Status”ही देखते हैं.!
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी.
तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर… ~ मै तुम्हे अपनी जिदंगी के हर पन्ने पर उतार लूंगा..
सब कुछ है मेरे पास पर दिल की दवा नहींदूर वो मुझसे हैं पर मैं खफा नहीं,मालूम है अब भी वो प्यार करते हैं मुझसेवो थोड़ा सा जिद्दी है, मगर बेवफा नहीं.
हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं। च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।।
ये जो उन में हल्का हल्का ग़रूर है ~ सब मेरी तारीफ़ों का कसूर है
ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने, है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने, जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर, वो भला प्यार की कीमत क्या जाने.
इस क़दर जले है तुम्हारी बेरुख़ी से,के अब आग से भी सुकून सा मिलने लगा है ….!!!
ख़ुश होना है तो बेवजह हो जाइए जनाब ~ वजहें आजकल महँगी हो गई हैं
नींद से कोई शिकवा नहीं जो आती नहीं रात भर कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
मिल कर सब से रहियेपर दबकर किसी से नहीं !
जिससे हमने Bewafai पायी, वो हमसे वफ़ा की उम्मीद करते हैं, दिल पर जख़्म देके, निशान शरीर पर ढूंढ़ते हैं।
लब तो खामोश रहेंगे ये वादा है मेरा तुमसे गर कह बैठें कुछ निगाहें तो खफा मत होना
गलत फहमियों के सिलसिले इतने दिलचस्प हैं, ~ हर ईंट सोचती है कि दीवार बस मुझसे जिन्दा है !
ख़ुदा गवाह है बड़ी सख़्त जान है उम्मीद, ~ यक़ीन हो न हो, इंतज़ार होता है…
खफ़ा होने से ये ज़िंदगी उजड़ जाती है,तेरी आवाज़ के बिना ये दिन बीतते हैं।
इंसान से मुसीबतें …. डरती हैं इस क़दर ~ आती नहीं कभी अकेले, वो किसी के सर
बड़ी ही खूबसूरत शाम हुआ करती थी वो तेरे साथ की ….. ~ अब तक खुशबू नही गई, मेरी कलाई से तेरे हाथ की…
वो अनजान चला है,जन्नत पाऩे की खातिर ~ बेखबर को इत्तला कर दो,कि माँ-बाप घर पर ही है. ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 3
सबक़ वो हमको पढ़ाए हैं ज़िन्दगी ने कि हम ~ हुवा था जो इल्म किताबों से वो भी भूल गए…
ढाया है खुदा ने हम दोनों पर जुल्म, तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क देकर।।
जी तो चाहता है चीर के रख दूं तुझे ए दिल न वो रहे तुझमे और न मोहब्बत रहे मुझमे!!
आज फिर Mood off हो गया ! Don’t call me ok 😒😢
वही 💦 संभालेगा हमे भी हर मुसीबत में, 🐪 जो तेज बारिश में भी पेड़ से घोसला 😟 गिरने नहीं देता ..
कुछ इस तरह वो हमें मनाते है,अगर मैं ज़रा सा रूठ जाऊँ तो,वो मुझे अपने सीने से लगाते है।
छोटी सी एक ज़िंदगी थी, ~ वो भी किसी की नफ़रत में गुज़र गई…
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे-धीरे, एक शहर अब इनका भी होना चाहिए.
कौनसी चीज़ गिरानी की बुलंदी पे नहीं, ~ ख़ून-ए-नाहक़ मगर इस दौर ने सस्ता रखा…
अश्क बह कर भी कम नहीं होते, ~ आँखें कितनी अमीर होती हैं..
“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,“नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
तेरे धोखे ने बना दिया है मुझे बेवफा,अब मैं तेरे खफा होने की वजह तलाशने लगा हूँ।
दिल से खयाले-यार को टाले हुए तो है, ~ हम जान दे के दिल को संभाले हुए तो है.
मेरी आस्तीनें क्या फटीं.. कि कई सांप बेघर हो गये..
इस कदर प्यार से मत बोला कर दुश्मनी का अहसास होता है!!!
तुम्हें मालूम था कि मैं गरीब हूँ, फिर भी ~ तुमने मेरी हर चीज़ तोड़ दी…
महंगाई का दौर है जनाबअब रिश्ते सिर्फ मुनाफा देखते है !
तसव्वुर को मेरे इतना न फूँको, ~ तुम्हारी रोटियाँ जलने लगी है
मजाक तो मैं बाद में बना, पहले तो उसने मुझे अपना बनाया था.
इल्म ही काफी नहीं है अमल भी करना होगा सिर्फ चाहना ही काफी नहीं है हासिल भी करना होगा।
हाथ पकड़कर रोक लेते अगर तुझ पर जरा भी जोर होता मेरा, ना रोते हम यूं तेरे लिए अगर हमारी जिंदगी में तेरे सिवा कोई और होता.
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास, दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं..!!
तेरी बेवफाई ने बना दिया है मुझे नफरत करने वाला,मैं अपनी आँखों में बस तेरे खफा होने का आंसू ला रहा हूँ।
दिल ना हुआ तेरा ज़मीन हो गई, ~ मोहल्ले के हर शख़्स को बाँट दी
खफ़ा होने की आदत तेरी अज़ीब है,मोहब्बत में तेरी ये रंगीन जीब है।
मेरी एक छोटी सी बात मान लो… लंबा सफर है, हाथ थाम लो…
तेरे जाने के बाद यादें हैं मेरी सजाएं,मैं तेरे खफा होने के बाद खुद को ढ़ूंढ़ने लगा हूँ।
जो ख्वाहिशें दिल से की जाती हैं ~ अक्सर उन्हीं की किस्मत में अधूरापन होता है..
वो जो ख़ामोशी की एक पतली लकीर उभरी थी न.. अब ~ ~ सरहद बन चुकी है.. तेरे मेरे दरमियाँ…..
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
दिल दुखाया करो इजाज़त है, ~ भूल जाने की बात मत करना ..!!
बाग़-ए-हस्ती से बहुत दूर थे हम बू किसी गुल की लगा लाई है
खफा नहीं हूँ तुझसे ज़िन्दगी, बस ज़रा सा दिल लगा बैठा हूँ उदासियों से।
तेरी दूरी ने बना दिया है मुझे निराशा,अब मैं खफा होने के बाद खुद को संभालने लगा हूँ।
हम से तू नाराज है किस लिये बता तो जरा, हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया !
कोई तीर दिल में उतर गया कोई बात लब पे अटक गई ~ ऐ जूनून तूने बुरा किया मेरी सोच राह भटक गई!!!
मेरे लिए अहसास मायने रखता है…, ~ रिश्ते का नाम चलो तुम रख लो…
कोई बेसबब है, कोई बेताब, कोई चुप है तो कोई हैरान, ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िल मे तमाशे ख़त्म नहीं होते…!!!
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं, आने वाले बरसों के बाद भी आते हैं…
उसने बस यूँ ही उदासी का सबब पूछा था ~ मेरीआँखों में सिमट आये समंदर सारे …
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई पहले मैं दीवाना था और अब हैं दीवाने कई
दुश्मनी में दोस्ती का सिलसिला रहने दिया, उसके सारे खत जलाये और पता रहने दिया
नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में हम इख़्तियार में हैं न दिल इख़्तियार में
इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते
ये जो सीने में धड़कता है,बेवफा सा है,मुझमे रहकर भी ये दिलमुझी से खफा सा है.
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ सेतेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
मेरी खामोशियो का कोई मोल नहीं ~ उनकी जिद्द की कीमत ज्यादा है…
जब से तू खफ़ा हुआ है, ये दिल रोता है रोज़,कुछ तो तेरा करीब आने का बहाना चाहिए।
न कोई गिला है, न तुम से ख़फ़ा है ग़मे-दिल की अब के न कोई दवा है
वक्त तो आने दो, हम तुम्हेबताएंगे तूफान कैसे आता है!
इतना तो बता जाओ किस बात से खफा हो, तुम सच में खफा हो, या दूर जाने का बहाना है।
अब दोस्तो के दिलो में, दोस्ती के फूल नहीं खिलते, दिल में नफ़रत लिए हसकर मिलते हैं।
कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा !!वो ज़माना नाज़ ओ नियाज़ का तुम्हें याद हो कि न याद हो !!
क्यों वो रूठे इस कदर के मनाया न गया,दूर इतने हो गए के पास बुलाया न गया,दिल तो दिल था कोई समंदर का साहिल नहीं,लिख दिया नाम वो फिर मिटाया न गया।
जो फना हो जाऊँ तेरी चाहत मे तो गुरूर ना करना…… ये असर नही तेरे इश्क का मेरी दिवानगी का हुनर है…..
खफा हो माना पर मान जाओ ना, तुम जान मेरी लेलो पर यू सताओ ना।
दूरी और बेरुखी का जब उनसे जवाब माँगा गया , तो हमें Bewafa बना के हमसे रिश्ता तोड़ने का जवाब दिया ।
परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे, बस इतनी सी दुआ है की आप मुस्कुराते रहें।
गलतफहमी निकाल दो अपनीशरीफ़ सिर्फ चेहरा है हम नही
तेरे खफ़ा होने से इश्क़ बदल जाता है,दिल में तेरे खामोशी का धड़कन गढ़ जाता है।
गलती करते हो खफा भी होते होमोहब्बत करके दगा भी देते होफिर क्यों मेरी मोहब्बत का हिसाब तुम लेते हो ।
उन्हे हम याद आते है मगर फुर्सत के लम्हों में, मगर ये बात ~ भी सच है की उन्हे फुर्सत नहीं मिलती..
सोच समझकर ऐतबार किया करोहमदर्द को हरामी बनते देर नहीं लगती..
जता जता के मोहब्बत,दिखा दिखा के दर्द, ~ बहुत क़रीब से लूटा है दोस्तों ने मुझे
चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी, ~ लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।
इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़े तुझ से हो कर हम ख़फ़ा, ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे
मुझे न सताओ इतना कि मैं खफा हो जाऊं तुमसे मुझे अच्छा नहीं लगता अपनी सासों से जुदा होना।
ख़त्म हो रहा हूँ अपने ही अन्दर, ~ तुम्हें इतना ज़्यादा कर लिया है…
मेरी कामयाबी से जलने वालो,ये मेरे हक़ की कमाई है,मैन तेरे बाप के पैसों की रोटियां नही खाई है.!
लोग कहते है….. दुआ कबुल होने का भी वक्त होता है ~ हैरान हु मै ,किस वक्त मैने तुझे नही माँगा
हम रास्ते में खड़ी इमारत को मंजिल और चमकने वाले पत्थर को सोना समझ बैठे वो तो दिल के रिश्ते को समझ ना सके और हम उनको खुदा समझ बैठे।
काश कोई अपना संभाल ले मुझको, बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह.
अभी तक हैं वहाँ तेरी यादों के कांटे, ~ अलर्जी है मुझे उसकी गली से…
जैसे मेरी निग़ाह ने देखा न हो तुझे ~ महसूस ये हुआ तुम्हें हर बार देखकर
“अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता, यकीन मानिए मै कब का वजीर हो जाता”॥
बेहद हदें पार कि थी हमने कभी जिनके लिए, आज उन्हीं ने सिखा दिया है हमें हद में रहना
दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तों ~ कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है!!!
हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी; ~ और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है!
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है, खूबसूरती की इंतेहा है तू तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।।
खता जो तुमसे हुई हैं उसकी माफ़ी नहीं मिलेगी खफा जो हुई हूं मैं अब तुमसे रूठ जाऊंगी।
किसे यकीन की तुम देखने को आओगे, ~ आखिरी वक़्त मगर इंतज़ार और सही.
सफ़र दो कदम है जिसे इश्क लोग कहते है ~ मगर इश्क वाले हर सफ़र में ही रहते है!!!
याद रहेगा हमेशा यह दर्दे बेवफाई हमको भी, कि क्या खूब तरसे थे जिंदगी में एक शख्स की खातिर.
आखिर उसने किसी गैर के दिल की सुनी, मेरी हक़ीकत जाने बिना बेवफा बना दिया हमें, मगर याद करना मेरी वफ़ाएं याद कर पछताओगे और रोओगे!!
तू वाकिफ नहीं मेरे जुनून से,नहला दूंगा तुझे तेरे ही खून से ।
यूँ लगा दोस्त, तेरा मुझसे खफ़ा होना, जिस तरह फूल से खुशबू का जुदा होना।
थोड़ी ही सही मगर बातें तो किया करो, चुपचाप रहते हो तो खफा सी लगती हो।
तुम ये कैसे जुदा हो गए ~ अब हर तरफ हर जगह हो गए!!!
**************************************** कुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछ ~ हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम जिंदगी का!!!
तेरी बातों में लाख मिठास सही, पर जहर सा लगता है, तेरा किसी और से बात करना..
ऐ दोस्त तू मुझसे नाराज़ हैं या मोहब्बत सेपता हैं तेरी तो कोई गलती नहीं हैंशायद अनजाने में गलती हुई होगी हमसे.
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत ~ वो याद तो आते हैं मगर अफसोस हमें याद नहीं करते…
इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले !!वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते !!
फिर वही जोहद-ए-मुसलसल फिर वही फ़िक्र-ए-मआश ~ मंज़िल-ए-जानाँ से कोई कामयाब आया तो क्या
तिनका हूँ तो क्या हुआ वजूद है मेरा, उड़ उड़ के हवा का रुख तो बताता हूँ…!
जंगल के सूखे पत्ते जैसे हैं हमजिस दिन जलेंगे पूरा ‘जंगल जला देंगे!
सुना है दिल से याद करो तो खुदा भी आ जाता है, .. हमने तो साँसों को भी दाँव पे लगा दिया फिर भी अकेले रहे !!
मेरी कीमत तो बस मेरे अपनों ने न समझी, फरिश्ता तो बस मैं गैरों की नजर में था
उनसे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उनके मनाने का अंदाज़ कैसा है।
थोडी थोडी ही सहीमगर बाते तो किया करो,चुपचाप रहती हो तोखफा खफा सी लगती हो.
तू छोड़कर चला गया मुझे अकेला,इस खफा दिल को खुदा से रूबरू करना।
बुत भी रक्खे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं, ~ दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है
तुम हसते हो मुझे हँसाने के लिए,तुम रोते हो मुझे रुलाने के लिए,तुम एक बार खफा होकर तो देखो,मर जायेंगे तुम्हें मानाने के लिए।
ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा, तेरी खातिर फरिश्ते सर पे इल्ज़ाम लेंगे हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे।।
हम वो है जो बात से जातऔर हरकतों से औकात नाप लेते हैं.!
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ, हमपे नजर पड़ी तो वो महफिल से उठ गए !!
तू खफ़ा है और ये दिल उम्मीद से जी रहा है,ज़िंदगी की राहों में तेरा इंतज़ार कर रहा है।
***** वो अच्छे हैं तो बेहतर बुरे हैं तो भी कबूल मिजाज़-ए-इश्क में ऐब-ओ-हुनर देखे नहीं जाते!!!
छुपे छुपे से रहते हैं, सरेआम नहीं हुआ करते.. कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं, उनके नाम नहीं हुआ करते..!
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझसे !!तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझसे !!
बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर। मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं।।
सुन पगली तुम्हारी फिक्र है मुझे शक नहीं तुम्हें कोई और देखे यह किसी को हक नहीं।
उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने. पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई, बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया.
तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए.
तुम्हें चुभते हैं मेरे लफ्ज़ यह पता है मुझे तभी चुप रहते हैं क्योंकि मेरा ज्यादा बोलना पसंद नहीं तुम्हें।
आज फिर खफा हूं मैं तुमसे बिना बोले तुम चले जो गए अब मनाने मत आना तुम मुझे क्योंकि दिन बहुत सारे बीत गए।
मेरे हालात ने कर दिया था मुझे खामोश, ~ हम जरा चुप हुए तो तुमने याद करना ही छोड़ दिया !!
मैं नींद का शौक़ीन ज्यादा तो नही.. ~ लेकिन तेरे ख्वाब ना देखूँ तो.. गुज़ारा नही होता..!!
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना, ~ मुझे गुमाँ भी न हो और तुम बदल जाना
बंद कमरे में रखे गमले नमी को तरस गए ~ बाहर सड़क पे ढेर से बादल बरस गए!!!
वो आए थे मेरा दुख-दर्द बाँटने के लिए, मुझे खुश देखा तो खफा होकर चल दिये।
ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर मेंहमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है.
वो बड़ा लाजवाब और बाजवाब शख्श था, ~ बस एक मोहब्बत के सवाल में उलझ गया…
ऐ दीवाने अब तो मान जा… तेरी शायरी पढ़ने वाली … किसी और की ग़जल बन गई है…
कभी हमसे आँखे मिलाओ तो जानेहमें दिल की धड़कन सुनाओ तो जानेखफा हो तो हम को मनाये हमेशाकभी तुम भी हम को मनाओ तो जाने
खफ़ा होने का अहसास दिल को सताता है,तेरी यादों का तूफ़ान यहाँ बस बढ़ाता है।
ये लाली उनके गालों की बयां करती है बिन बोलेझुकी आँखों से शायद फिर हुई गुस्ताखियाँ होंगी
गलती हो गयी हम से माफ़ करना मुझे दिल सेलेकिन कभी मुझसे नाराज़ न होना गलती से
रो पड़ा है आसमा भी मेरी वफ़ा को देख कर देख तेरी बेवफाई की बात बादलों तक जा पहुंची !!
मेरे हालत ने कर दिया था मुझे खामोश ~ हम ज़रा चुप क्या हुए सभी ने तो याद करना ही छोड़ दिया……
हम ने चाहा था कि हाकिम से करेंगे शिकवा, ~ वो भी कम्बख़्त तेरा चाहने वाला निकला
छुप-छुप के देखा है उन्हें ,उनके सामने अक्सर, ~ इज़हार-ए-इश्क़ भी होगा ज़रा बात तो होने दो
नदियों को शान्ति सागर में आकर हुआ मन को शांति मंदिर में आकर हुआ, ढूंढ रहा था जब खूबसूरती की चरम को तो मेरी खोज का अंत तुम पर आकर हुआ।
हम भी दो चेहरे रखते है, अच्छे केलिये अच्छे और बुरे के लिए बुरे …!!
क्या जानो तुम बेवफाई की हद दोस्तों, वो हमसे इश्क सीखती रही किसी ओर के लिए.
तुम से सदियों की वफ़ाओं का कोई नाता न था ~ बस तुमसे मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में!!!
अब रातभर ये उधम मचाएंगी, ख्वाहिशे दिन में खूब सोयीं हैं..!!
मेरी रौशनी को बुझाने की कोशिश मत कर,मैं तेरे खफा होने की आग लगा रहा हूँ।
कुछ लोग खजाने की तरह होते हैंदिल करता है जमीन में ही गाढ़ दूँ..
समझ नहीं आता , उदासी के बाज़ार में….. कहाँ-कहाँ खर्च करूँ ख़ुशी…..
कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना यूँ बात बढ़ाकर क्या करना तुम खफा ही अच्छे लगते हो फिर तुमको मना कर क्या करना
हमारे हर सवाल का सिर्फ एक ही जवाब आया, पैगाम जो पहूँचा हम तक बेवफा इल्जाम आया. Bewafai Shayari
कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा वो ज़माना नाज़ ओ नियाज़ का तुम्हें याद हो कि न याद हो
लोगों को लगता है कि फैशन-परस्त है बंदा बड़ा सूट-बूट के सहारे अपनी मायूसी ठहरने नहीं देता …
चलो छोड़ो ये बहस कि वफ़ा किसने की, और बेवफा कौन है, तुम तो ये बताओ कि आज ‘तन्हा’ कौन है !!
हम पहिले से बिगडे हुए हैहमारा कोई क्या बिगाड लेगा !!
हम किसी के आगे नही हैं झुकते,इसलिए बहुत लोगों को हैं चुभते ।
जाने कौन सी कलम से खुदा ने नसीब लिखा है, नहीं मेरी क़िस्मत में कोई हबीब लिखा है।
दिल से ना मिट सका एक ज़माने के बाद भी ~ वो याद आ रहा है आज भुलाने के बाद भी
तेरे खफा होने से ज़िंदगी की रौशनी गई,अब मैं अपनी आँखों में बस तेरे दर्द को पाने लगा हूँ।
जब कि पहलू से यार उठता है दर्द बे-इख़्तियार उठता है
किसी चीज कि सिर्फ चाह रखनेसे कुछ नहीं होता तुम्हें उसे पानेकी भूख होनी चाहिए.!
उसने Bewafai में सभी हदें पार कर दी, मोहब्बत का नाटक हमारे साथ और वफ़ा किसी गैर के साथ।
तुम्हारे रूठ जाने के बाद भी,तुम्हे मनाने का हुनर रखता हु,अगर हमारे बीच कोई तीसरा ना हो तो,सारी दुनिया से भीड़ जाने का जिगर रखता हु।
किस-किस को तू खुदा बनाएगी, किस-किस की तू हसरतें मिटाएगी, कितने ही परदे डाल ले गुनाहों पे, बेवफा तू बेवफा ही नजर आएगी.
ज़रूरी तो नहीं के जो ‘शायरी’ करे उसे ‘इश्क’ हो, .. ज़िन्दगी भी कुछ ‘ज़ख़्म’ “बे-मिसाल ” देती है !!
ना ज्यादा ना कम,जैसे आपकी सोच वैसे है हम!
इतिहास टकराने वालो कालिखा जाता है तलवे चाटनेवालो का नहीं.!
बस इन्सान ही है जो किसी से मिलता जुलता नहीं, … वरना ज़माना तो भरपूर मिलावट का चल रहा है…….
खफा होने से पहले खता बता देना, रुलाने से पहले हँसना सिखा देना, अगर जाना हो कभी हम से दूर आप को, तो पहले बिना सांस लिए जीना सिखा देना !
न 😓 देख आसमान को इतनी हसरत से 💫 ए-दोस्त किसी परिन्दे ने मुँह पर हग 😓 दिया तो सारी हसरतों की ‘MC’ 🐑 जायेगी
मेरी हक़ीकत जाने बिना वो मुझसे जुदा हो गयी, मेरी सुनाने की जब बारी आयी तो उसने अपना फैसला बता दिया!!
अच्छा हुआ जो हमको वक़्त पर ठोकर लगी ~ छूने चले थे चाँद दरिया में देख कर
मुझे इंतज़ार करना बेहद पसंद है, ~ ये वक़्त उम्मीद से भरा होता है..
हर बात खामोशी से मान लेना..यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का
छेड़ मत हर दम ना आईना दिखा अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम।
रंगीन ख्वाब ऊंचे शौकआगे जिंदगी पीछे मौत !
गैरों से कहा तुमने गैरों से सुना तुमने ~ कुछ हमसे तो कहा होता कुछ हमसे तो सुना होता…
खफा होके भी ये कभी जताते नहीं हैकुछ लोग दिल की बातें बताते नहीं है ।।
साथ चलने के लिए साथी चाहिए आंसू रोकने के लिए मुस्कान चाहिए, मैं जीना शुरू कर दूँ जिसके लिए आप जैसी हि मुझे एक जान चाहिए।
जो शख्स हर दर्द को बर्दाश्त करके जीना जानता है, ~ वो शख्स जिंदगी में कभी हार नहीं सकता !!
हाल पूछा न खैरियत पूछी…. …. आज भी उसने, हैसियत पूछी.
आपकी कातिल निग़ाहों से जो टकराया होगा, मुझे नहीं लगता वो, अब तक घर पहुँच पाया होगा।
क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर, ना जाने हश्र क्या होगा अगर वो मुस्कुराये तो।।
***** अपने मन में डूबकर पा जा सुराग ए ज़िन्दगी तू अगर मेरा नही बनता न बन अपना तो बन।
अक्सर जिंदगी के उन हालातों से भी गुजरे ~ जहां लगता था मरना अब जरूरी हो गया है.
उस शख्स की दर्द-ए-इश्क में तुम रोते हो, होता गलत हर वक्त वो तो, माफी तुम क्यो मांगते हो !
तुम बड़े अच्छे वक़्त पर आये, ~ आज एक ज़ख्म की ज़रुरत थी
ज़िन्दगी में तनहा हु तो क्या हुआ…, ~ जनाजे में सारा शहर होगा देख लेना…
एक ही फ़न तो हम ने सीखा है जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे
तेरे ख्याल में जब भी बे-ख्याल होता हूँ… कुछ देर के लिए ही सही बे-मिसाल हो जाता हूँ…!
एक लम्हा सौ सवाल, सौ सवालो में सिर्फ तेरा ख्याल
गिरानी=महंगाई; ख़ून-ए-नाहक़=व्यर्थ की हत्या/खूनखराबा
न जाने कौन सा आँसू किसी से क्या कह दे.. ~ हम इस ख़्याल से नज़रें झुकाए बैठे हैं..
कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा, ~ अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे…
मैं उसको भूल गया हूँ यह कौन मानेगा ~ किसी चराग के बस में धुँआ नहीं होता!!!
ये अपना अटूट बंधन ही होगा जो हमेशा खफा होने के बावजूद जुड़ा रहा।
तेरे हुस्न को परदे की जरुरत क्या है, कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।।
रूक जाती है सारी शिकायतें इन होंठो तक आकर जब मासूमियत से वो कहते है अब मैंने क्या किया..!!
मेरी फितरत में नहीं है किसी से नाराज होना, नाराज वो होतें है जिन्हें अपने आप पर गुरूर होता है।
कुछ ही देर की खामोशी है, फिर कानों में शोरआएगा ! तुम्हारा तो सिर्फ वक्त है… हमारा तोहदौर आएगा !
हम वहीं है जो दूसरों को दर्शाते हैं.इसलिए हमें इस में सावधानी बरतनीचाहिए ।।
हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है, वो तो सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।।
कुछ नहीँ था मेरे पास खोने को, ~ जब से मिले हो तुम डर गया हूँ मैँ..
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हो गए,महसूस हुआ तब जब वो जुदा हो गए.करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो हमें,पर बहुत कुछ दे गए जब बेवफ़ा हो गए.
खफ़ा होने का इल्ज़ाम तेरा ना हो सका,मेरी बे-वफ़ाई का ही तू गवाह है।
तेरी याद ही आखिरी सहारा थी ~ बडी भूल की तुझे भूल कर…
मेरी रूह तरसती है तेरी खुशबू के लिए , ~ तुम कहीं और जो महको तो बुरा लगता है
क्यों जुड़ता है तू इस जहाँ से एक दिन ये गुजर ही जायेगा चाहे कितना भी समेट ले जहाँ मुट्ठी से फिसल ही जायेगा!!
युँ तो मुद्दते गुजार दी है हमने तेरे बगैर.. ~ मगर आज भी तेरी यादों का एक झोंका ~ मुझे टुकड़ो में बिखेर देता है …
मैं शहर में किस शख़्स को जीने की दुआ दूँ ~ जीना भी तो सब के लिए अच्छा नहीं होता
अब कहां दुआओं में वो बरक्कतें…वो नसीहतें…वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलूस हैं… मतलबों के सलाम हैं..
अफसोस होता है उस पल का, जब अपनी पसंद कोई और चुरा लेता है, ख्वाब हम देखते रहते हैं, और हकीकत कोई और बना लेता है !!
प्यार में बेवाफाई मिले तो गम न करना, अपनी आँखे किसी के लिए नम न करना, वो चाहे लाख नफरते करें तुमसे, पर तुम अपना प्यार कभी उसके लिए कम न करना.
एक तुम ही ना मिल सके वरना, ~ मिलने वाले बिछड़ बिछड़ के मिले
इसी कशमकश में कट जाती है हर रात, कि शायद आने वाली सुबह कुछ खुशियाँ लेकर आएगी
खार हाथों में चुभते हैं अब तक, ~ तितलियाँ बचपने में मारी है
जिसे रोज याद करता है ये दिल, ओही आज भूल गया है !! आज फिर मूड ऑफ😒😢
उन्हें ज़िद है कि मैं हँसते हुए रुखसत करूं उनको, मुझे डर है तुम्हारी आँख भर आई तो क्या होगा.
जो खोया है उस से बेहतरीन पाएंगेसब्र रख मेरे दोस्त दिन अपने भी आयेंगे !
रूठने मनाने का सिलसिला कुछ यू हुआ,मान गया था मगर फिर रूठने का दिल हुआ।
एक ही शख़्स था मेरे मतलब का, ~ और वही शख़्स मतलबी निकला…
गलती हो गयी माफ़ कर दे, दोस्त के साथ इन्साफ कर दे, मेरी दोस्ती की है तुझे कसम, कर दे ये गिले-शिकवे खतम ।
आज फिर उसके चेहरे पर बारह बज गए लगता है उसके पति उससे खफा हो गए।
कुछ तो कम होते ये लम्हे मुसीबतों के ~ तुम एक दिन तो मिल जाते दो दिन की ज़िन्दगी में…
तू इक क़दम भी जो मेरी तरफ़ बढ़ा देता ~ मैं मंज़िलें तेरी दहलीज़ से मिला देता…
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है, चलिए छोड़िये, कौन सी पहली दफा है
ख़ुश्क़ आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर ~ दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता…
देखते है अब किस की जान जाएगी……. ~ उसने मेरी और मैंने उसकी कसम खाईं है.
लिखना नहीं था आता उनकी याद लिखवाती है जिन्हें हमारा ख्याल नहीं वो याद आती है।
किसी के पास ईगो है,तो किसी के ऐटिटूड है,हमारे पास एक दिल है,वो भी बड़ा क्यूट है।
ना-कामी-ए-इश्क़ या कामयाबी ~ दोनों का हासिल ख़ाना-ख़राबी
धूप का तो नाम बदनाम है ग़ालिबजलते तो लोग एक दूसरे से हैं।
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हें दावा था वफा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा.
बहुत दर्द देती है आज भी वो यादें, जिन यादों में तुम नजर आते हो.
************************************** उन जख़्मों का क्या करेगा कोई, ~ जिन को मरहम से भी दर्द होता है..
मुहब्बत वो भी करते हैं, जो इजहार तक नहीं करते…!!
बोलना आपने भी नहीं और बुलाना मैंने भी नहीं भूल आप भी नहीं सकते और भुलाना मैंने भी नहीं।
हम आपके लिए तब तक अच्छे हैं,जब तक आप हमारे लिए अच्छे हैं।
मेरे प्यार की मजार तो आज भी वही है जान बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गयी!!!
किसी को नहीं मालूम क्या बीती है उस के ऊपर दिल की दास्तान जुबाँ को कभी कहने नहीं देता… **************************************** 6
चलते चलते अचानक पीछे मुङकर देखा तो… कुछ यादें हँस रहीं थी और कुछ रिश्ते दम तोङ रहे थे…
मौसम भी इशारा करके बदलता है, लेकिन तुम अचानक से बदले हो हमें यकीन नहीं आता.
अभी इस तरफ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें संवार लूँ, मेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ।
मोहब्बत ने इस मोड़ परलाकर खड़ा कर दिया है की,आगे बढ़े तो सब खफाऔर पीछे हटे तो बेवफा.
उसकी आँखों में रहुँ या दिल में उतर जाऊँ, उसके बालों में उलझु या होठों पे ठहर जाऊँ।।
जब तू खफ़ा होता है, दिल डूबता है तनहा में,रातें कटती हैं बिना तेरे क़रीब आए।
दिल भर ही गया है तो मना करने में डर कैसा, मोहब्बत में बेवफाओ पर कोई मुकदमा थोड़े होता है.
बहुत उदास है कोई ये दिल तेरे जाने से,चलो अब आ भी जाओ ना किसी बहाने से,ऐसे न जाओ छोड़ के मुझे अकेला यहाँ,मैं बिखर गया हूँ तेरे रूठ कर जाने से।
बहुत दर्द देती है आज भी वो यादें, जिन यादों में तुम नजर आते हो.
तेरे पास आने को जी चाहता है ~ नये ज़ख्म खाने को जी चाहता है
आपके तर्के-ताल्लुक के बावजूद, ~ आप ही हो मेरे ख्यालो-ख्वाब में.. ****************************************
कट गया दरख़्त मगर ताल्लुक़ की बात थी, ~ बैठे रहे ज़मीन पे परिंदे तमाम रात…
ले – दे – के वही है इस शहर में अपना, ~ दुनिया कहीं उसको भ़ी समझदार न कर दे…
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से !!कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है !!
फ़ुरसत में याद करना हो तो कभी ना करना ~ हम तन्हा ज़रूर है मगर फ़ज़ूल नहीं
उन की फ़रमाइश नई दिन रात है ~ और थोड़ी सी मिरी औक़ात है
रागे-गुल में हरचन्द मेरा लहु थागुइस्तियाँ में तौक़ीर तो आपकी थी
आखिर गिरते हुऐ आँसुओं ने पूछ ही लिया….. ~ निकाल दिया न मुझे उसके लिऐ जिसके लिए तु कुछ भी नही…
चाहने वालों की दुआ औरजलने बालों का शुक्रिया..!