तन्हाई सबकी जिंदगी में कही न कही होती ही हैं, कोई अपनी मर्ज़ी से तन्हा रहना पसंद करता हैं तो कोई अपनी मज़बूरी की वजह से लेकिन तन्हाई की वजह से इंसान का दिमाग खोखला हो जाता हैं और वो लोगो से दूरिया बनाना शरू करते हैं | आज के इस ब्लॉग में हम तन्हाई को लेकर ये Tanha Shayari In Hindi लेकर आये जिसे आप तब पढ़ सकते हैं जब आप अकेला महेसुस कर रहे हो |
उसे कहना हम अज़ल कहो अकेले रहते हैं तुम ने छोर कर कोई कमल नहीं किया
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक, इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
कुछ सोचो तो तेरा ख्याल आता है कुछ बोलूं तो तेरा नाम आता है काब तक छुपाऊ में अपने दिल की बात उस की हार अदा पे हमें प्यार आता है।
फर्क मेरी मौत का किसको पड़ेगा? बस रोएंगी ये तन्हाइयाँ शायद खोकर मुझे
तुझको मानाने में खुद से खफा हो रहा हूँ मैं, तनहा ही तब्हा हो रहा हूँ मैं।
तेरे वजूद की खुशबु बसी है साँसों में, ये और बात है नजरों से दूर रहते हो.,
हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ ;हर याद पे दिल का दर्द ताज़ा हुआ .!
मोहोब्बत हुई तो हंगामा हुआ हर शहर, बेवफाई हुई तो अगली गली तक ना बात गई।
तनहा गुज़रेगी अब ज़िन्दगी तब तक, जब तक सनम हम नहीं गुज़रेंगे।
खुदा जाने कब वो दिन आएगा जब पास बुलाने की उनकी भी आरजू होगी वो मिलेगी शाम की तन्हाई में उस दिन पूरी मेरी हर आरजू होगी…
ज़िन्दगी की राह पे हर कदम पर तन्हाई है कोई मेरे साथ नहीं बेवफाई है
मेरे दिल का दर्द किसने देखा जुम्हे बस खुदा ने तड़पते देखा, हम तन्हाई में बैठे रोते है लोगो ने हमें महेफिलों में हस्ते देखा.,
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।
तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा, दूर तुमसे अब रह न सकूँगा, अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,ये दूरी अब सह न सकूँगा।
मत जलाओ तस्वीर अपनी यूं हमदम,हमें तू तेरी तस्वीर दोनो ही प्यारी है।
तन्हाई की दुल्हन अपनी माँग सजाए बैठी है वीरानी आबाद हुई है उजड़े हुए दरख़्तों में
दिल इस क़दर टूट चुका है की मेरे संग भी वो अब कोई रिश्ता नहीं जोड़ता।
अब तो हसरत ही नहीं रहीकिसी से वफ़ा पाने की दिल इस क़दरटूटा है की अब सिर्फ तन्हाई अच्छी लगती है
हमारे चले जाने के बाद ये समंदर की रेत तुमसे पूछेगी,. कहाँ गया वो शाकस जो तन्हाई में आकर बस तेरा ही नाम लिखा करता था,.
क्या फुर्सत मिलेगी उसे किसी से मिलने की, तेरे ख्यालों में जिसे खोना आ जाए।
लुटा रहे हो बेशुमार प्यार आखिर क्यों,क्या छोड़ के मुझे जाने की तैयारी है।
वफ़ा वो सौदा है जनाब जिसमे घाटा ईमानदार का होता है।
अब ना कोई मोहब्बत का यकीन दिलाये हमें,रूहो में बसा कर निकाला है लोगों ने हमें।
दिन रात हम फर्याद करते हैं, वो हमें मिलते नहीं जिसे हम प्यार करते हैं
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला,वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला,तेरे होते हुए आ जाती थी दुनिया सारी,आज तनहा हूँ तो कोई नहीं आने वाला।
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा,मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
मेरी ज़िंदगी मे तन्हाई का आलम कुछ ऐसे गुज़र रहा है दोस्त.. अब जब कभी मेरी खुद की परछाई भी नज़र आ जाए तो लगता है बड़ी भीड़ सी हो गयी..!
कौन भूला पाया हैं, तेरी यादों के जख़ीरे को, दिल की धड़कन, तन्हाईयों की रुह होती है।।
क्या इश्क़ करना गुनाह है दुनिया में,हमने तो इश्क़ से जिन्दगी भी हारी है।
हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।
क्यूँ करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मुहब्बत.. लोग समझते है इस बदनसीब का कोई नहीँ
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाकोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ के अब तोकोई मेरे आशियाने को बचा ले
पुकारा जब मुझे तन्हाई ने तो याद आया, कि अपने साथ बहुत मुख़्तसर रहा हूँ मैं.,
शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी !एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना !!
किस से कहु, अपनी तन्हाई का आलम.
कभी कभी मैं अपनी आँखें बंद करता हूँ और उस समय के सपने लेता हूँ जब मैं तनहा नहीं था
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,आपकेबिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं
तू ना निभा सकी तो क्या मै अपनी मोहब्बतको अंजाम दूंगा तुझसे मिलना ना हुआ नसीबमें तो क्या हुआ मै अपनी औलाद को तेरा नाम दूंगा।
अब इतना तो सुकून है तनहा रहने में की आंसू आने पर अब कोई मज़ाक नहीं बनाता।
किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते।
काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ सुब्ह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को, जैसे लोग चले गए दफना कर मुझे।
चले गए ना आखिर मेरी ज़िन्दगी में आग लगाकर, दिल के खेल में दिमाग लगाकर।
इस चार दिन की जिंदगी मेंहम अकेले रह गएमौत का इंतजार करते करतेअकेलेपन से मोहब्बत कर गए।
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये
दश्त-ए-तन्हाई में जीने का सलीक़ा सीखिए ये शिकस्ता बाम-ओ-दर भी हम-सफ़र हो जाएँगे
कभी-कभी आपको केवल यह देखने के लिए भागने की आवश्यकता होती है कि कौन अपना आपका पीछा करेगा
मुश्किल की घडी जहन में उनका नाम आता है जमाना छोड़ देता है जब भी वो काम आता है।
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
मैं हूँ दिल है तन्हाई है, तुम भी जो होते तो अच्छा होता। Main Hoon Dil Hai Tanha Hai Tum Bhi Jo Hote Toh Achcha Hota.
तसल्लियाँ बहोत मिली कोई साथ न मिला फिर भी न शिकायत, न किसी से है गिला
अकेला रहता हूँ अकेला जीता हूँ मैं, महफिलों में नहीं जाता अकेला ही पीता हूँ मैं।
गुजर तो जाएगी तेरे बगैर भी लेकिनबहुत उदास बहुत बे-क़रार गुजरेगी।
तन्हाई कुछ इस तरह डसने लगी मुझेमैं क़िताब के पन्नों की आहात से डर गया।
वो भी तनहा रोती है और इधर खुश में भी नहीं, सायद पियार की मंजिल यहाँ भी नहीं वहां भी नहीं.,
बहुत मोहब्बत है तन्हाई को मुझसेसब छोड़ जाते हैं इस तन्हाई के अलावा।
अब तो गुजरती हैं रातें तन्हाई में समय हम रो रोकर गुजरा करते हैं की बेवफाई तुमने हुई जुदा मुझसे फिर भी तेरा नाम लेकर जीना गंवारा करते हैं…
मेरी कहानी सुनोगे तो आँखों से आंसू नहीं, खून निकलेगादर्द इतना होगा के वो खुशी के माहौल में भी रोयेगा।
जो सजाए थे ख्वाब वो आंसुओं में बह गए, वो चाहते नहीं हमें, हम तनहा रह गए
कुछ सोचो तो तेरा ख्याल आता हैकुछ बोलूं तो तेरा नाम आता हैकाब तक छुपाऊ में अपने दिल की बातउस की हार अदा पे हमें प्यार आता है
मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा, मेरा कौन है ये सोचने में रात गुज़र जाती है ।
महफ़िल से दूर मैं अकेला हो गया सूना सूना मेरे लिए हर मेला हो गया
कोसते रहते हैं अपनी जिंदगी को उम्रभर भीड़ में हंसते हैं मगर तन्हाई में रोया करते हैं
आप ख़ुद को ख़ुशी से बचाए बिना दुःख से अपनी रक्षा नहीं कर सकते।
🙁 कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भीहज़ारों लोग है मगर कोई उस जैसा नहीं है | 😔
हर तरफ नूवर है खुशबू है, तेरी आँखों में कैसा जादू है, सारी दुनिया है मेरी झोली में और मेरी दुनिया बस तू है…
दर्द दिलों के कम हो जाते; मैं और तुम अगर हम हो जाते; कितने हसीन आलम हो जाते; मैं और तुम गर हम हो जाते।
तन्हाई सी रातों में तेरा सहारा होता।तुम मिलते या न मिलते पर जिक्र तुम्हारा होता।
🙁 वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते है तन्हामैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ | 😔
अकेले कैसे रहा जाता है,कुछ लोग यही सिखाने…हमारी ज़िन्दगी में आते है।
मतलबी दुनिया में लोग अफसोस से कहते है की, कोई किसी का नही…? लेकीन कोई यह नहीं सोचता की हम किसके हुए…
आज तेरी याद को सीने से लगा के रोये,खयालो में तुझे पास बुलाके रोये,हज़ार बार पुकारा तुझको तन्हाई में,हर बार तुझे पास न पाकर रोये।
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ, काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ.,
हर वक्त का हंसना तुझे बारबड ना कर डे तन्हाई के लम्होन मैं कभी रो भी लिया कर
घर में तिरे पैग़ाम को तरसेंबाहर जल्वा-ए-बाम को तरसें
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे !!मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया !!
हालात की दलील देकर उन्होनें साथ छोङ़ा , तो हम आहत नहीं हुए ….,सोचा हमसे ना सही , चलो किसी से तो वफ़ा निभाई उन्होने…
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना।
इस कदर है मुहब्बत में फना ये सब्र,उनसे ही सुकून उनसे ही वे-करारी है।
शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात,रुक सी गयी है उम्र-ए-गुरेजां तेरे बगैर।
तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें,तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें,बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की,करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।
आसान समझते हो क्या तन्हाई के रास्ते को चुनना, खुद ही कहना खुद ही सुनना।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,खामोशियो की आदत हो गयी है,न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,अगर है… तो एक मोहब्बत,जो इन तन्हाइयों से हो गई है
बात कर लिया करो ना यार सुना है मौत का सीजन चल रहा है क्या पता कल को मैं भी मर जाऊं,tanhai shayari with images,
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं झूठा ही सही मेरे यार का वादा है, हम सच मान कर ऐतबार करते हैं।
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे !!तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर !!
भीड़ के ख़ौफ़ से फिर घर की तरफ़ लौट आयाघर से जब शहर में तन्हाई के डर से निकलाअलीम मसरूर
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
खुद घर होता तू हजूम होता साथ मुखलिस हुन लिय तू तन्हा हुन है
तू मेरी दुनिया थी तूने मुझे छोड़ दिया अब मैं दुनिया छोड़ना चाहता हूँ।
“धूप वक़्त की अपने आप सूखा जायेगी तन्हाई मैं गिरे मेरे आँशुओ को “
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया,इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं
तन्हाई में खुद के बदहाल भूल कर, मैं तुझे बखूबी याद करता हूँ।
रख लो दिल में संभाल कर, थोड़ी सी यादें मेरी, रह जाओग जब तन्हा, बहुत काम आयेंगे हम।।
तनहाई भी हम से तनहा हो गयीमजबूरी भी हम से मजबूर हो गयीबचा क्या था अब जिंदगी मेंआखिर में मौत भी हम से बेवफ़ाई कर गयी।
हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी.,
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं,अल्फाजों से भरपूर मगर खामोश !
छीन ली लोगों ने मेरी तन्हाई भी इश्क में मिला दर्द और ये रुसवाई भी
आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे, सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे।।
बहुत तन्हा है हमबस हम हैमेरी कलम हैऔर मेरी तन्हा शायरी है।
कोई रास्ता ऐसा भी हो जो मुझे आधे रास्ते मैं ना छोड़े।
बता दो मुझे ज़रा की मेरा तुम्हेचाहना गलत है क्या ?क्यों नहीं बन रही बात अपनीकिसी और से मोहब्बत है क्या।
ज़मीं आबाद होती जा रही है कहाँ जाएगी तन्हाई हमारी
गए थे तुम जहाँ तनहा छोड़ कर, इंतज़ार कर रहा हूँ मैं वही तन्हाई में तनहा होकर।
प्यार के चक्की में जो पड़ा वह पीस गया।हम तो क्या पीसे, सारा जमाना पीस गया।
अकेले-पन का ‘अज़्मी’ हो भी तो एहसास कैसे होतसलसुल से हमारी शाम-ए-तन्हाई सफ़र में है।
कल भी हम तेरे थे..आज भी हम तेरे हैबस फर्क इतना है,पहले अपनापन था.अब अकेलापन है।
🙁 अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी हैसवाल भी खुद के होते है और जवाब भी खुद के | 😔
सावन से कर दोगे तुम भी एक ही चीज सोचकर कर दोगे तुम भी एक दिन यह सोचकर वह अपना भी ना था और एहसास भी अपनों से ज्यादा करता था,lockdown
लोग हम से नाराज़ होते हैं तो कोई बात नहींअगर जिंदगी नाराज़ हो गयी तो जीना का मतलब नहीं।
आँखें फूटें जो झपकती भी हों,शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना
सोच रहा हु कुछ लिखूं,लेकिन क्या पैग़ाम लिखूँ,तुझ बिन काटी रात लिखूँ,या साथ गुज़री शाम लिखूं !!
कश्तियाँ डूब जाती हैं, तूफ़ान चले जाते हैं, तन्हाई रह जाती हैं, इंसान चले जाते हैं
छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी …वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी…!
देख कर चेहरा पलट देते हैं अब वो आइना,मौसम-ए-फुरकत उन्हें सूरत कोई भाती नहीं।
तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैंहम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ मेंदे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।
“तन्हा इंसान अपने आप को सबसे ज्यादा अच्छे से समझता है।”
टूट जाते हैं बिखर जाते हैं, कांच के घर हैं मुक़द्दर अपने, अजनबी तो सदा प्यार से मिलते हैं, भूल जाते हैं तो अक्सर अपने
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
बिछड़ कर अचानक मुझे चौंका दिया उस नेअनसुलझे खयालों में उलझा दिया उस नेजिस की खुशीयाँ थी शामील मेरी दुआओं मेंतन्हाई का आज मुझे तोहफा दिया उस ने
ये ना सोचना कैसे जी रहे हैं तेरे बगैर अब तो आदत हो गई है तन्हाई की खता माफ करना सीखी है नई अदा हमने तेरे हर जख्म सहकर मुस्कुराने की…
वक़्त बहुत कुछ चीन लेता हैखैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहटखुशियां और रातों की नींद थी
मैं खुद भी खुद के साथ नहीं कुछ इस क़दर तनहा हुआ हूँ मैं।
है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो
सितम समझे हुए थे हम तेरी बेइंतही को,मगर जब गौर से देखा तो एक लुत्फ़-ए-निहा पाया।
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचाले
फिर उसके जाते ही दिल सुनसान हु कर रह गया, अच्छा भला आबाद शहर वीरान हो कर रह गया.,
किसी के लिए आंसूं बहाने से कोईअपना नहीं होता जो अपनाहोता है वो कभी रोने नहीं देता।
दर्द में दर बदर भटका मैं, तेरी बाहों का आशियाना ना मिला आसरे के लिए।
एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम दुसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।
उनके जाने के बाद,तन्हाई का सहारा मिला हैइसकी आगोश में आये, फिर निकलना नही आया.
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद आँखें दुखाने लगी
बिन बात के ही रूठने की आदत है; किसी अपने का साथ पाने की चाहत है; आप खुश रहें, मेरा क्या है; मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।
आग ऐसी थी तन्हाई की, की मेरा घर जला दिया भीड़ तो बहुत थी धुँवा देखने वालों की मगर कोई दो बूंद पानी का ना ला दिया ।।
एक रात क्या कुछ नहीं तेरी तन्हाई में,गुजर गई हजारों बारिश ये आंखों से ।
देख के दुनिया अब हम भी बदलेंगे मिजाज़ रिश्ता सब से होगा लेकिन वास्ता किसी से नहीं
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं,कि नाश्ते मैं पोहा होता तो कैसा होता?साथ जलेबी पानी पुरी होती तो कैसा होता
मुझे तन्हाई की आदत हैमेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो ?
इस तरह कटे मेरे सफ़र तन्हा काफिला साथ, और रहगुज़र तन्हा
लोग दूर तक जाते हैं किसी के लिए लोग दूर तक जाते हैं किसी के लिए और हम उसके पास रहकर भी तनहा है,tanhai shayari with images,tanhai shayari in hindi,
तेरे होते होवे आ जाती थी सारी दुनिया आज तन्हा हूं तू कोई नहीं आने वाला
चार दिन की ज़िन्दगी में दो बाते आकर प्यार की कर ले सनम, वरना एक दिन तन्हाई में तेरे नाम लेते लेते ही गुज़र जाएंगे हम।
अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ फ़िराक़ गोरखपुरी
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।
देखो चाँद तुम्हें देख रहा हैं;चांदनी हलकी सी तेरी और फेंक रहा हैजरा मुस्कुरा दो हमारे लिएये सारा जमाना हमें ही देख रहा है
तन्हा रह कर भी कभी मुस्करा जाते हैगम मिले तो उसे भी पी जाते है ।।
आज रोना पड़ता है तन्हाई में बिना वजह महफिल में मुस्कुराने आए हैं कभी जीते थे जिनके नाम पे हम आज वही हमें गम हजार देने आए हैं…
ना करो वो वादा जो पूरा ना हो सके, ना चाहो उसे जिसे पा ना सको, प्यार कहा किसीका पूरा होता है, पहेला प्यार अकशर अधुरा ही होता है!!!!
शिकायत है उन्हें कि हमें मोहब्बत करना नही आता, शिकवा तो इस दिल को भी है ……… पर इसे शिकायत करना नहीं आता
तन्हाइओं के आलम की ना बात करो दोस्त,वर्ना बन उठेगा जाम और बदनाम शराब होगी।
ये इश्क जादू टोना हैअगर दिल लगाया हैतो तन्हा भी होना है।
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता हैइफ़्तिख़ार आरिफ़
आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।
ज़िन्दगी का कुछ ऐसा हाल हैसताने वाले छोड़ कर चले गएऔर मानाने वालो को हमने छोड़ दियामोहब्बत को हासिल करने के चक्कर में।
ना ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में, वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है.,
रोने से नहीं हासिल कुछ ऐ दिले सौदाई आँखों की भी बर्बादी दामन की भी रुस्वाई हम लोग समुन्दर के बिछड़े साहिल हैं उस पार भी तन्हाई है इस पार भी तन्हाई…
काश मैं तुम्हें भी वैसे ही अनदेखा करता जैसे तुमने मुझे किया
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
सिमटती फैलती तन्हाई सोते जागते दर्द वो अपने और मिरे दरमियान छोड़ गया
जिंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, काफिला साथ और सफ़र तन्हा, अपने साए से चोंक जाते हैं, उम्र गुजारी है इस कदर तन्हा।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है खामोशियों की आदत हो गई है ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाईयों से हो गई है..
झूठी मुस्कान मुस्कुराते पूरी उम्र कट जाएगी महफ़िल की आड़ में तन्हाई कहीं छुप जाएगी
अब तो याद भी उसकी आती नहीं,कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ
कभी जब गौर से देखोगे तो इतना जान जाओगे, कि तुम्हारे बिन हर लम्हा हमारी जान लेता है।
ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं, प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं, मिलने की उमंग है दिल में लेकिन, मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं
तुझ पे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी मेरी आँखों में कभी झाँक के देखा होता
तन्हाई से तंग आकर हम मोहब्बत की तलाश में निकले थे लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गई
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया,इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं
हो जाओ गर तनहा कभी तो मेरा नाम याद रखना, मुझे याद हैं सितम तेरे, तू मेरा प्यार याद रखना।।
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
मैं हूँ दिल है तन्हाई है तुम भी होते अच्छा होता
सूने घरों में रहने वाले कुंदनी चेहरे कहते हैंसारी सारी रात अकेले-पन की आग जलाती है।
खाक मांग सजाऊंगी मैं अब तुमने मुझे रुस्वा सरे बाजार किया मैंने तो की बेवफाई तन्हाई में तुमने मुझे बदनाम सरे बाजार किया…
हम अपनी हस्ती मिटाकर भी तनहा हैं सब कुछ लूटा कर भी तनहा हैं लोग डोर तक जाते हैं किसी के लिए और हम उसके पास रहकर भी तनहा हैं.
आँखें फूटें जो झपकती भी हों,शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना।
शुरवात ही इतनी सुंदर हुई को आगे सुनने से कोई अपने आप को रोक ही नहीं पाएगा…बहुत सुंदर आवाज रीना..!
मौहब्बत की मिसाल में, बस इतना ही कहूँगा । बेमिसाल सज़ा है, किसी बेगुनाह के लिए ।
तेरे आने की खबर मुझे ये हवाएं देती हैं,तेरे मिलने को मेरी हर साँस तरसती है,तू कब आके मिलेगी अपने इस दीवाने से,तुझसे मिलने को मेरी आवाज तरसती है।
कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की, जागता रहता हैं चाँद रात भर मेरे लिए.,
शाम से आँख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है
मैं अकेला नहीं हूँ, लेकिन मैं तुम्हारे बिना तन्हा हूँ।
“तेरी तन्हाई से अच्छा तेरी बेवफाई है कम से कम तुझसे नफरत करने के लिए याद करने की वजह तो है “
फिर वोही रात वोही हम वोही तन्हाई है,फिर हर एक चोट मोहब्बत की उभर आई है.!!
गलत व्यक्ति कभी भी आपको वह नहीं देगा जो आप चाहते हैं, लेकिन वे जरूर वो सब ले जाएगा जो उसे चाहिए.. बदले में मिलेगी तन्हाई
एक तरफ सनम रुस्वाई है दूसरी तरफ मेरी तन्हाई है तू ही बता जाए तो कहाँ जाए इधर कुआँ उधर खाई है…
मैं हूँ दिल है तन्हाई है,तुम भी जो होते तो अच्छा होता।
मुझे तन्हाई अकेली आधी रात को सपना आ जाता है,फिर सीना मुश्किल हो जाता है।
करता हूँ बात खुद ही से खुद की, कुछ इस क़दर अकेला पड़ गया हूँ मैं।
जब से देखा है चाँद को तन्हा, तुम से भी कोई शिकायत ना रही। Jab Se Dekha Hai Chand Ko Tanha Tum Se Bhi Koi Shikayat Na Rahi.
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,खामोशियो की आदत हो गयी है,न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,अगर है… तो एक मोहब्बत,जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे,तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की।
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का !!मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता !!
कभी पत्ते कभी तिनके कभी खुश्बू उड़ा लाई, हमारे पास तो आँधी भी कभी तन्हा नहीं आई….
बिसवास बनके लोग ज़िंदगी मे आते है खवाब बनके आँखों मे समा जाते है पहले तो ये यकीन दिलाते है की वो हमारे है फिर ना जाने क्यूँ तन्हा छोड़ जाते है
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे !!तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की !!
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ,के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले
खुदा की रहमत में अर्जियां नहीं चलती,दिलो के खेल में खुद-गर्जियाँ नही चलती,चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिये हुजुर,इश्क की राह में मन-मर्जियां नहीं चलती।
मुझे तन्हाई की आदत हैमेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा,मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ
मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ !इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है !!
सुकून से तेरी तस्वीर देख कर खुद को महफूज़ कर लेते है तन्हाई मैं जब भी तेरी याद आये तुझे महसूस कर लेते है ।।
रात काफी ठंडी है हवा चल रही है;याद में तेरी मुस्कान खिल रही है;सपनों की दुनियां में खो जाना चाहते हैआपकी कमी आज बहुत खल रही है
खुद में काबलियत हो तो भरोसा कीजिये साहिबसहारे कितने भी अच्छे जो साथ छोड़ जाते है।
खुदा मालूम यह गोर-ग़रीबा कैसी बस्ती है,की आबादी बढ़ी जाती है वीरानी नही होती।
ज़िन्दगी के कठिनाइयों मेंनया रास्ता बनाएंगेअगर कोई साथ ना भी आयातो खुद अकेलाउस रास्ते पर चल जाएंगे।
तुम क्या अकेला छोड़ गए मुझे अब सभी से कहता फिरता हूँ मुझे अकेला छोड़ दो।
कभी-कभी मुस्कुराहट भरा दिल बनाने के लिए लोगों को अपने सारे आंसू रोने पड़ते हैं
तन्हाई में हर ज़ख्म फिर से ताज़ा हुआ फिर भी मुस्कुराना है, वक़्त का तकाज़ा हुआ
फिर उसके जाते ही दिल सुनसान हु कर रह गयाअच्छा भला आबाद शहर वीरान हो कर रह गया
अब तो उन की याद भी आती नहींकितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
सिलसिला उल्फत का चलता ही रह गया, दिल चाह में दिलबर के मचलता ही रह गया, कुछ देर को जल के शमां खामोश हो गई, परवाना मगर सदियों तक जलता ही रह गया..!!
यादों में आपके तनहा बैठे हैं आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं आपकी दुनिया में अँधेरा न हो इसलिए ख़ुद का दिल जला बैठे हैं
आइये ऐसे ही तनहा लोगों के अकेलेपन और तन्हाई से दो चार होते हिंदी में तन्हाई शायरी को पढ़ते और उनके दर्द को समझते हैं।
तन्हाइयों से मेरी पहचान लगती है मुझे महफिलें भी वीरान लगती है
अब क्या बताए फिर हाल तुम्हे हमे तो कोई पूछने वाला भी नहीं।
जब से देखा है चाँद को तन्हा, तुम से भी कोई शिकायत ना रही।
है तमन्ना फिर, मुझे वो प्यार पाने की…….दिल है पाक मेरा , ना कोशिश कर आज़माने की …!!
तुझसे वफादार ये तन्हाई है सनम, एक पल के लिए मुझे अकेला नहीं करती।
सोचा था कुछ और हुआ कुछ और माँगा था कुछ और और नसीब में मिल तो बस तन्हाई
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए
धोखे से डरते हैं इसीलिए आज भी तनहा रहते हैं।
ग़म ओ नशात की हर रहगुज़र में तन्हा हूँ मुझे ख़बर है मैं अपने सफ़र में तन्हा हूँ
घुंघरू दिए हैं आपने प्यार के बदले हमने महफिल पाई है तुम कोसते हो हमें तन्हाई में हमने सरे महफिल तुम्हे दिल की बात बताई है…
अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है,सवाल भी खुद के होते है और जवाब भी खुद के..!!
भीड़ के ख़ौफ़ से फिर घर की तरफ़ लौट आया घर से जब शहर में तन्हाई के डर से निकला अलीम मसरूर
शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी, एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना
अब इस घर की आबादी मेहमानों पर हैकोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है।
उन लोगों को चूमना तो सपना सा है इस लॉकडाउन में पास आना भी गुनाह है उन लोगों को चूमना को सपना आता है इस लॉकडाउन में पास आना भी गुनाह है,lockdown
दूर-दूर तक मायूसी है, फैला एक सन्नाटा है मेरे कमरे में न कोई आता और न यहाँ से जाता है
मैंने तन्हाई में हमेशा तुम्हे पुकारा है !!सुन लो गौर से ऐ सनम तेरे बिना !!ज़िंदगी अधूरी सी लगती है !!
लोग कहते हैं कि कभी हार मत मानो, लेकिन कभी-कभी, हार मान लेना सबसे अच्छा विकल्प होता है क्योंकि, आपको लगता है कि आप तनहा ही बेहतर हैं|
तन्हाई मैं जो चूमता है मेरे नाम को,हरफ़ महफ़िल में वो शख्स मेरी तरफ देखता नहीं..!
बता दो मुझे ज़रा की मेरा तुम्हेचाहना गलत है क्या ?क्यों नहीं बन रही बात अपनीकिसी और से मोहब्बत है क्या
आज भी करता हूँ याद बहुत, तन्हाई में बैठकर रातों को, तुम दिल तोड़कर चले गए न समझे मेरे जज़्बातों को
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ो तुम बताओ कैसी हो
कांटो सी चुभती है तन्हाई अंगारों सी सुलगती है तन्हाई कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे मैं रोती हूँ तो रोने लगती है तन्हाई..
तन्हाई ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे,मुझसे कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा भी नहीं।
फेसबुक पर शायरी के अपडेट्स पाने के लिए इस शायरी सुकून पेज को Like जरूर करें.
यार अंदर की उदासी पुनीत पाठक हुई अभी जिंदगी बेजान से लगने लगी अभी तन्हाई वीरान सी लगने लगी है
तेरी याद में बहारों को देखा है हमने ;जुस्तजू में तेरी सितारों को देखा हमने ;नहीं बेहतर तुझसे कोई दूजा है ,सारे जहाँ के किनारो को देखा है हमने
अब तो हसरत ही नहीं रहीकिसी से वफ़ा पाने की दिल इस क़दरटूटा है की अब सिर्फ तन्हाई अच्छी लगती है।
कल शाम छत पर तुझे क्या देख लिया,के मैं तो मानो खुदा को ही देख लिया,बेखुदी का नशा इस क़दर चढ़के बोला,हमने सिर अपना दीवार से जा फोड़ लिया।
कुछ देर बैठी रही पास, और फिरउठ कर चली गई गुरुर तो देखो तन्हाईका ये भी बेवफ़ा हो कर चली गई.
मुहब्बत में क्यों बेवफाई होती है, सुना था प्यार में गहराई होती है, टूट कर चाहने वाले के नसीब में, क्यों सिर्फ फिर तन्हाई होती है
तन्हाई में मुस्कुराना भी इश्क़ हैऔर इस बात को सबसे छुपाना भी इश्क़ है
कोसते रहते हैं अपनी जिंदगी को उम्रभर
मै तनहा था मगर इतना नहीं थामेरी तन्हाई मुकम्मल तेरे आने सी हुई
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले
कितना भी दुनिया के लिए हँस केजी लें हम, रुला देती है फिर भीकिसी की कमी कभी-कभी
🙁 वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते है तन्हामैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ | 😔
तुझे ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,पर एक पल के लिए तुझे भूल जाना भी मुश्किल है।
कोई उनको जा बताएं वह तो गए अब काम से बात बात पर बिना बात के हमसे शर्म आ रहे हैं,lockdown
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता
चलते चलते अकेले अब थक गए हम, जो मंजिल को जाये वो डगर चाहिए, तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं, अब हमको भी एक हम-सफ़र चाहिए.,
कभी सोचा न था तन्हाइयों का दर्द यूँ होगा,मेरे दुश्मन ही मेरा हाल मुझसे पूछते हैं।
रात की तनहाइयों में बेचैन हैं हम, महफ़िल जमी है फिर भी अकेले हैं हम, आप हमसे प्यार करें या न करें, पर आपके बिना बिलकुल अधूरे हैं हम।
दर्द अभी भी हैं सीने में, मुझे याद दिलाने के लिए कि मैं अभी ज़िंदा हूँ
बुरे लोगों के साथ रहने से अच्छा है तनहा ही रहो
आवारा गलियों में मैं और मेरी तन्हाई, जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पर तन्हाई
बहारों के सीने में थी जो जलन चरागों से रोशन था जो चमन उजालों से तूने मुंह फेरकर अंधेरा ही सही, कुछ तो दिया
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
मत दो सदा अब दिलबर मेरे हम फिर लौट कर ना आएंगे तुम रोओगे लिपट कर कब्र से जब हम तुम्हें तनहा छोड़ जाएंगे…
हम कहें कहना हम अज़ल कहें अकेले रहते हैं तुम ने चोर कर कोई कमल नहीं किया
हम अपनी हस्ती मिटा कर भी तन्हा हैसब कुछ लूटा कर भी तनहा हैलोग दूर तक जाते है किसी के लिएऔर हम उनके पास रहकर भी तनहा है।
अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
इस लिए आप सभी ये सब Tanhai Shayari Hindi जरूर पढे ताकि आप दूर रह कर भी अपने पेयर के पास रहे और फिर आप अपने जीवन के सभी खुसी वाले पल को बिताए।
अब तन्हाई कह रही हैमुझसे करलो मोहब्बतमै बेवफ़ा नहीं हु।
आज फिर इज तन्हा रात मैं इंतजार है उस शक्स का जो कहा करता था तुम कहते हो ना करों तो नींद नहीं आती
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़ !की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है !!
वो तकिया मोड़ के सो जानाखाबो के कम्बल ओढ़ के सो जानारात को सपने में हम भी आएंगे;थोड़ी जगह छोड़ के सो जाना
मुझे तन्हाई की आदत है !!मेरी बात छोडो तुम बताओ कैसी हो !!
मेरे मरने पर किसी को ज्यादा फर्क नहीं होगा,बस तन्हाई रोएगी कि मेरा हमसफ़र चला गया।
जब तक लोगों को हमारी जरूरत नहीं पड़ती तब तक वो हमें अनदेखा करते हैं
कितनी फिक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की,जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए ।
जानलेवा ये यादें तेरी, रोज़ आती है मुझे मारने के लिए, दिल ज़िन्दगी वक़्त सब तो दे दिया तुझे कुछ और बाकी है क्या मांगने के लिए।
क़ाश तू भी समझ पतामुहब्बत के हुसूलो कोकिसी के अंदर समाकरउसे तन्हा नहीं करते।
ज़माना सिर्फ कहने को अपने साथ है मगर दिल मे छुपके से एक तन्हाई पलती है ।।
मुझे कभी तन्हा नहीं होने देती, तन्हाई मेरी इस कदर मोहब्बत बाखुदा नहीं देखा
देके खत मुँह देखता है नामाबर , कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता हैइफ़्तिख़ार आरिफ़
आपका दिल आपके लिए सबसे बहुमूल्य है, इसे कभी किसी ऐसे व्यक्ति को न दें जो इसके काबिल नहीं है.. वरना तन्हाई ही मिलेगी
अब तो ज़िन्दगी भी परायी है, बस मैं और मेरी तन्हाई है
बसने लगी आंखों में कुछ ऐसे सपने बसने लगे आंखों में कुछ ऐसे सपने कोई बुलाए जैसे
जान-ए-तन्हा पे गुजर जायें हजारो सदमें, आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं।।
तन्हाई थी साथ मेरेशिक़वा नहीं की कोई साथ नहीं रहा।
ज़िन्दगी को मेरी यूँ ही तब्हा रहने दो, मैं जहाँ हूँ मुझे वहां रहने दो।
मैं अपनी तन्हाई में अकेला ही काफी हुदो पल के सहारो की मुझे जरूरत नहीं।
आज तन्हाई का एहसास हद से ज़्यादा हैतेरे पास ना होने का दुख हद से ज़्यादा हैफिर भी काट रहे है जीने की सजाशायद मेरी ज़िन्दगी में दर्द हद से ज्यादा है।
कितना भी दुनिया के लिए हँस के जी लें हम, रुला देती है फिर भी किसी की कमी कभी-कभी.,
किसी रोज़ शाम के वक़्त, सूरज के आराम के वक़्त, मिल जाए साथ तेरा,
तेरी रुस्वाई से मुझे एक सबक मिला है दुश्मन भी इतना नहीं करता जितना तूने दोस्त बनके किया है।
दिल से दुआ करते हैं हम;प्यार का फ़र्ज़ अदा करते हैं हम;आपकी याद सदा साथ होती है हमारेदिन रात आपकी यादो में ही सदा मरते है
मैं कभी एकाध बैठकर उससे भी बात करता हूं मेरे अंदर सवालों के जवाब इतनी खूबसूरती से देती है
मज़बूत होने में मज़ा ही तब है, जब सारी दुनिया कमज़ोर कर देने पर तुली हो..
हम मिले भी तो क्या मिलेवही दूरियाँ वही फ़ासले,न कभी हमारे कदम बढ़ेन कभी तुम्हारी झिझक गई।
क्या लाजवाब था तेरा छोड़ के जाना, भरी भरी आँखों से मुस्कुराये थे हम, अब तो सिर्फ मैं हूँ और तेरी यादें हैं, गुजर रहे हैं यूँ ही तन्हाई के मौसम।
तनहा तारों में तेरा चेहरा ढूंढता हूँ, हर तारे में तेरा चेहरा नज़र आता है।
तन्हाई है या उम्र क़ैद की सजा है, कट ही नहीं रही है।
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात… खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
क्यूँ चलते चलते रुक गे वेरन रास्टन तन्हा हूं आज मैं, जरा घर तक तू साथ दो
मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनत मैं चेहरों के जंगल का सन्नाटा हूँ
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी !!हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है !!
मेरे बाद किधर जायेगी मेरी तन्हाई मैं जो मारा तो मर जाएगी मेरी तन्हाई जब मैं रो-रो कर दरिया बन जाऊंगा उस दिन यार उतर जाएगी मेरी तन्हाई…
मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया मैं इक हिसार था तन्हाइयों ने तोड़ दिया
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है साहब न देती ये साथ अपना तो जाने हम किधर जाते
दर्द से हम अभी खेलना सिख गये,हम बेवफ़ाई के साथ जीना सीख गये,क्या बताए किस कदर दिल टूटा है मेरा,मौत से पहले, कफ़न ओढ़ कर सोना सिख गये।
मेरे दिल का दर्द किसने देखा जुम्हे बस खुदा ने तड़पते देखाहम तन्हाई में बैठे रोते है लोगो ने हमें महेफिलों में हस्ते देखा
काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ सुब्ह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
मेरे अकेलेपन पे तन्हाईयाँ हैरान है कि,महफ़िलों की रौनक आज ख़ुद वीरान है
जो रूह की तन्हाई होती है न उसको कोई ख़त्म नहीं कर सकता
पास आकर सभी दूर चले जाते है,अकेले थे हम अकेले ही रह जाते है!इस दिल का दर्द दिखाये किसे?मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है!!
मैं हूँ दिल है तन्हाई है, तुम भी होते अच्छा होताMain hoon dil hai tanhai hai, tum bhi hote achchha hota.
मैं हमेशा बरसात में चलना पसंद करता हूँ क्यों कि उस वक़्त आंसुओं का पता नहीं चलता
तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो ता-हद्द-ए-नज़र एक बयाबान सा क्यूँ है
तन्हाई में एक बात तो आसान हो गयी, अपने और बेगाने की पहचान हो गयी
हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं दोनों तन्हाई के ताक़ों में अक्सर दोनों गुल रहते हैं और जला करता हूँ मैं
किसी के लिए आंसूं बहाने से कोईअपना नहीं होता जो अपनाहोता है वो कभी रोने नहीं देता।
तन्हाई का अभी उन्होंने मंज़रनहीं देखाअफ़सोस है की मेरे दिल के अंदिरनहीं देखादिल टूटने का दर्दवो क्या जानेजिसने कभी प्यार का समंदरनहीं देखा।
मैं उन लोगों में से हूँ जिसने भीड़ में भी तन्हाई को महसूस किया है
वक़्त गुज़रेगा तो संभल जाएंगेमौत से पहले समझ जाएंगेकी बेवफ़ाई उनकी फ़ितरत है मजबूरी नहींतन्हा हो कर ही सहीहम फिर से संभल जाएंगे।
कि,सिर्फ तू नहीं था….तेरे साथ मेरी एक पूरी दुनिया थी…।
किसने दिल का दर्द देखा हैदेखा है तो सिर्फ़ चहरादर्द तो तन्हाइयों में होता हैलेकिन तन्हाइयो में लोगो नेहमें हस्ते हुए देखा है
लोग जिंदगी को छोड़कर मौत की नींद क्यों सोना चाहते हैं
तन्हाइयां तुम्हारा पता पोछती रहाएं शब भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
खाक में मिल जाएंगे जब हम हर पल हर दिन याद आएंगे तुम्हें रोओगे याद करके हमें तन्हाई में मर कर भी हम याद आएंगे तुम्हें…
रोते हैं तन्हा देख कर मुझको वो रास्ते,जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।
उनको चाहने वालें बोहोत हैजरूरी नहीं अकेलें बैठे लोग तन्हा हो।
अकेला मरने के लिए तैयार हूँलेकिन अकेला जीने के लिए तैयार नहीं हूँ।
फिर मुक़द्दर की झीलों मैं लिख दिया इंतज़ार फ़िर वही रात का आलम है और मैं तन्हा तन्हा
ये यादों का कारवां रुकेगा कैसे, आ कहाँ से रही है ये तक पता नहीं।
तुम कि शिकस्त-ए-जाम के आदीहम कि शिकस्ता जाम को तरसें
गीले शिकवे क्या करे ज़माने सेअकेला आये थे, अकेला जाएंगे।
🙁 बहुत सोचा बहुत समझा बहुत ही देर तक परखाकि तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से तो बेहतर है | 😔
किया कहें बिन तेरे ये ज़िन्दगी है कैसी, दिल को जलती ये बेबसी है कैसी, ना कह पाते है ना सह पाते है, ना जाने तकदीर मैं लिखी ये आशिकी है कैसी.,
मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसेछोड़ दूँ ! इस तन्हाई ने तन्हाई मेंतनहा मेरा साथ दिए है !!
मीठी सी खुशबू में रहते हैं गुमसुम,अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।
दिल को आता है जब भी ख्याल उनका, तस्वीर से पूछते हैं हाल उनका, वो कभी हमसे पूछा करती थी जुदाई क्या है, आज समझ में आया है सवाल उनका
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देतीहै यही एक ख़राबी मिरी तन्हाई कीफ़रहत एहसास
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है;मुस्कुराने के लिए थोड़ा रोना पड़ता है;अचानक यूं ही नहीं सवेरा होता है ;रिश्ते चलाने के लिए बहुत कुछ ढोना पड़ता है
पूछते हैं वो की बात क्यों नहीं करते, जिन्हे सुनने की फुर्सत तक नहीं।
जब से देखा है चाँद को तन्हा,तुम से भी कोई शिकायत ना रही।
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।
बदनामी से डरते हो तो तन्हाई में मिल जाउंगी जब भी याद करोगे मुझे मैं दौड़कर चली आउंगी…
वो अपने दर के फकिरो से पूछते भी नही, की तुम लगाए हुए किसकी आस बैठे हो।
बनावटी रिश्तों से ज्यादा तन्हाई में सुकून मिल रहा है.Banawati rishton se zyadahtanhai me sukoon mil raha hai.
झूठी मुस्कान मुस्कुरातेपूरी उम्र कट जाएगीमहफ़िल की आड़ मेंतन्हाई कहीं छुप जाएगी।
ना कोई इलाज है ना दवाई है, ये तन्हाई भी तबाही है।
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।
खौफ अब खत्म हुआ सबसे जुदा होने का..
तन्हाई मैं #मुस्कुराना भी इश्क़ है इस बात को सब से “छुपाना” भी इश्क़ है यूँ तो रातों को नींद नही आती पर #रातों को सो कर भी जाग जाना इश्क़ है
मैं और मेरी तन्हाई शायरी के नाम हैं खाने को ज़ख्म पीने को अश्कों के जाम हैं