Tareef Shayari For Beautiful Girl In Hindi | Shayari On Beautiful Girl in Hindi

सुंदर लड़कियों की तारीफ़ करने के लिए आप ये Tareef Shayari For Beautiful Girl In Hindi का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे आप सुंदर लड़की को इम्प्रेस भी कर सकते हैं, क्यूंकि लड़कियां इन शायरी की हक़दार हैं |

2024-10-02 05:52:16 - Milan

उसके मीठे होठ और मुझे शुगर का रोग हकीम साहब तुम रहने दो हमसे नहीं होता परहेज
इस कद्र कशिश है तुम्हारी इन अदा में हम अगर तुम होते तो खुद से इश्क कर लेते
मेरे लफ्जों में है तारीफ एक चेहरे कीमेरे महबूब की मुस्कराहट से चलती है शायरी मेरी
वो सुर्ख होंठ और उनपर जालिम अंगड़ाईयाँ,तू ही बता… ये दिल मरता ना तो क्या करता।
गले मिला है वो मस्त-ए-शबाब बरसों में,हुआ है दिल को सुरूर-ए-शराब बरसों में,निगाह-ए-मस्त से उसकी हुआ ये हाल मेरा,कि जैसे पी हो किसी ने शराब बरसों में।
मोहब्बत से अपनी सवारू तुझे, बाहों में लेकर दिल में उतारू तुझे, बसा के तुझे अपनी आँखों में, इश्क़ अपना बना लू तुझे
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा रहताखबर तो रहती अभी सफर कितना तय करना है
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा, नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा।
मैं भी ठहरूं किसी के होंठों परक़ाश मेरी ख़ातिर….दुआ करे कोई
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबरकभी हमारी आँखों से पूछो कितने लाजवाब हो तुम
बहुत खूबसूरत है मुस्कुराहट तुम्हारीपर तुम मुस्कुराते कम होसोचता हूँ तुम्हे देखता ही रहूंपर तुम नजर आते कम हो
बहक जाती है शराब भी,जब महकता है तेरा “शबाब”, उफ्फ़…! तेरे गुलाबी होंठ हैं या तेरे होंठों जैसा गुलाब…!!
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी, मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी।
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे, सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
उड़ते आँचल में दिखती कमर को मैं छुपाना चाहता हूँइज़ाज़त हो तो में तुम्हारे पल्लू में आलपिन लगाना चाहता हूँ
हमारी हर अदा का आईना आप से है, हमारी हर मंज़िल का रास्ता आप से है, कभी ना दूर होना हमारी ज़िंदगी से, हमारी हर खुशी का वास्ता आप से है
उन्हें हर कोई देख रहा था महफिल मे सरेआम…!उनकी एक नज़र हम पर क्या पड़ी हम तो मशहूर हो गए…
तू देख या ना देख, तेरे देखने का गम नही; पर तेरी ये ना देखने की अदा देखने से कम नही
खूबसूरती अगर गोर रंग में होती, तो रात इतनी खूबसूरत नहीं होती।
तुझको सजने सवारने की जरुरत ही क्या है,तुझपे सजती है हया भी किसी जेवर की तरह।
सुनो… मुझे देखकर तेरा यूं मुस्कुराना बेहद पसंद है…एक तुझ से ही मेरे जीवन मे सदा बसन्त है…!!!
कमियां तो बहुत है मुझ मेंपर कोई निकाल कर तो देखें
उन्हें लगता है की हम उनकी झूठी तारीफ करते हैं,ऐ खुदा बस इतना सा करम कर दे,,एक दिन के लिए आईने को जुबान दे दे।
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी,मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी।tere vajud se hain meri muqammal kahaani,main khokhali sip aur tu moti ruhaani.
कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है।
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल,अभी तो पलकें झुकाई हैं,दांतो तले होठों को दबा कर मुस्कुराना अभी बाकी है।।
कानो में तेरे सबसे पहले मेरा सुबह का पैगाम आये तेरी आँखे खुले और होंठों पर मेरा नाम आये
खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में,बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।
तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता है,तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है।खूबसूरती की इंतेहा हैं तू,तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
उनके खूबसूरत चेहरे से नकाब क्या उतरा,जमाने भर की नीयत बेनकाब हो गई।
दिल है हमारा, दिल मे है नाम तुम्हारा, हर याद मे है चेहरा तुम्हारा साथ नही तो क्या हुवा, ज़िंदगी भर दोस्ती निभाने का वादा है हमारा
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,आसमान पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा।
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा,नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा।
तुम्हारा तो गुस्सा भी इतना प्यारा है की,जी चाहता है की दिनभर तंग करता रहू !!
बातें दिल की बोलती है आंखेंइसलिए जुबां को कैद किया है
किसकी खूबसूरती का दीदार करें हमआज वो और ताजमहल दोनों आमने सामने हैं
सौ बार जिस को देख के हैरान हो चुकेजी चाहता है फिर उसे इक बार देखना
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
कुछ मौसम आज सुहाना है, कुछ मेरा अंदाज दीवाना है,तेरे हुस्न की पूजा करूँ या चुप रहूं, गुनाह दोनों की संगीन हैं।
तेरे हुस्न से हैरान है ज़माना सारा,एक तेरी कातिल नज़र, उस पर काजल का कहर।
लोग होते होंगे खूबसुरत…तूम तो कतई जहर हो…
लङने दो ज़ुल्फों और हवाये  को आपस में,तुम क्यों हाथ से उनमें सुलह कराने लगती हो…?
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखू,पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये।
सुना है रब कि कायनात में,एक से बढ़कर एक चेहरे हैं…मगर मेरी आँखों के लिए सारे जहाँ में, सबसे खुबसुरत सिर्फ तुम हो…
तू वो खुबसूरत अहसास है, जिसे हर समय पाने की तमन्ना रहती हैं।
मुझसे अच्छा तो तेरे होंठों पर निखरा तिल है जब मुस्कुराती है तू दुनियाँ को नज़र आता है !
हटाकर जुल्फ़ें चेहरे से ना छत पर शाम को ज़ाना,कभी कोई ईद ना कर ले अभी रमज़ान बाक़ी है
तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था.. एक उम्र की तन्हाई का मुआवजा हो तुम..
बहुत खूबसूरत वो रातें होती थी..!!जब तुमसे दिल की बातें होतीं थी..
हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है, वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं, तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं! ?
सबसे हसीं चहरे की तरह तुम्हारा दिल  भी बहुत प्यारा है
लङने दो ज़ुल्फों और हवाये  को आपस में, तुम क्यों हाथ से उनमें सुलह कराने लगती हो…?
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दू, अपने दोस्त को क्या उपहार दू, कोई अच्छा सा फूल होता तो माली से मँगवाता, जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू
तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता हैतेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,खूबसूरती की इंतेहा हैं तू,तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
मेरे मिजाज की क्या बात करते हो साहब,कभी-कभी मैं खुद को भी जहर लगती हूं।
सौ गजलें लिख डालूँतेरे एक दीदार परमुक्कमल हैं मेरी दुनियातेरी एक मुस्कान पर
तुम्हारी इस अदा का में क्या जवाब दूँ, मेरे प्यार को मैं क्या तोहफा दूँ, कोई अच्छा-सा गुलाब मंगवाता, पर सोचा, जो खुद गुलाब है उसे क्या गुलाब दूँ…
जरा जरा सा था पर था कमाल कावो तेरा मुस्कराना जो हम ले डूबा।
उसकी आँखों में रहुँ या दिल में उतर जाऊँ उसकी बालों में उलझु या होठों पे ठहर जाऊँ
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,कभी मेरी आँखों से आकर पूछो केकितनी हसीन हों तुम…
कभी चांद को देखु, कभी देखु चेहरा तेरा.. दोनों ही बहुत खूबसूरत है, अब तारीफ़ करूँ तो किसकी।
निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो।वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
सुनो…मुझे देखकर तेरा यूं मुस्कुराना बेहद पसंद है…एक तुझ से ही मेरे जीवन मे सदा बसन्त है…!!!
तेरी खूबसूरती पर ही नहीं , तेरी इन बेहतरीन अदाओं पर भी ये दिल फिदा है, माना आसमान में सितारे बहुत है, मगर तू मेरा चांद सबसे जुदा है।
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो।वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
मेरी मस्त निगाहों में डुब जा ऐ गालिबबहुत ही हसीन समुन्दरहै तेरे खुदकुशी के लिए
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं, कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं, उनकी बातों का अजी क्या कहिये, अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं
सरक गया जब उसके,रुख से पर्दा अचानक।फ़रिश्ते भी कहने लगे,काश हम इंसान होते।
सलीका तुमने परदे का बड़ा अनमोल रखा है,यही कातिल निगाहें हैं इन्हीं को खोल रखा है।
हमारी हर अदा का आईना आप से है, हमारी हर मंज़िल का रास्ता आप से है, कभी ना दूर होना हमारी ज़िंदगी से, हमारी हर खुशी का वास्ता आप से है
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा रहताखबर तो रहती अभी सफर कितना तय करना है
आप जब सामने से गुजर जाते है, अरमान दिल के उभर जाते है, देख कर आपकी प्यारी सूरत, सहमे हुए फूल भी निखर जाते है!!
तुम आओगी तो फुलों की बरसात करेंगेमौसम के फरिश्तों से मेरी बात हुई है..
गुलाब जैसे सुर्ख गुलाब है होंठ उनके,नज़र भर देखते रहो तो खिलने लगते है।
रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।
उन्होनें कहा तुम्हारी आंखें बहुत खूबसूरत हैं,हमने भी कह दिया तुम्हारे ख़्वाब जो देखती हैं
जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।
मेरे लफ़्ज़ों में क्या है!!तरह-तरह से एक बस तुम्हारा ज़िक़्र!!!
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा,चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
चाँद से हसीं है चांदनी, चांदनी से हसीं है रात, रात से हसीं है चाँद, और चाँद से हसीं है आप
सरक गया जब उसके,रुख से पर्दा अचानक।फ़रिश्ते भी कहने लगे,काश हम इंसान होते।
इन आंखों को जब-जब उनका दीदार हो जाता हैदिन कोई भी हो लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है
पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए,हाय ज़ालिम तेरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए।
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​ ​​कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी​।
बहुत खूबसूरत वो रातें होती थी..!!जब तुमसे दिल की बातें होतीं थी..
यूँ तो पलट के देखना मेरी आदत नहीं है,जब तुम्हे देखा तो लगा एक बार और देख लूँ।
खूबसूरती किसी के चेहरों व कपड़ो में नहीं होती ….बस ये निगाहें जिसे चाहे उसे खुबसूरत बना दें..!!
बड़ी आरजू थी महबूब को बेनकाब देखने कीदुपट्टा जो सरका तो कमबख्त जुल्फें दीवार बन गयी
चाय की प्याली सा नशा है तुम मेंसुबह होते ही तलब लग जाती है…..
मेरी चाहतें तुमसे अलग कब हैं, दिल की बातें तुमसे छुपी कब हैं, तुम साथ रहो दिल में धड़कन की जगह, फिर ज़िंदगी को साँसों की ज़रूरत कब है
उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।
तुम्हे देखने की जो आदत पड़ी हैं न….की हर चेहरा ही हमे अब तुमसा दिखता हैं…
चंद लम्हों को सदियों में जीना है !मुझे तुम्हारे होंठो से लगी चाय पीना है !!
कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा तुम्हारे बाद हमने किसी की तरफ नहीं देखा
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत,नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत.Ajab Teri Hai, Ae Mehbub Surat,Najar Se Gir Gae Sab Khubsorat.
मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम
तुम्हारी नाक की नथ और भी खुबसूरत लगती है,जब तुम घुँघट के पीछे से हल्का सा मुस्कुराती हो…!!
कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी।
बड़ी मुद्दत से इंतजार मे हू, आपके सिरहाने नींद के लिए, अपनी बाहो का सहारा देके मुझे ये हसीन ख्वाब दीजिए!!
आप क्या आए कि रुख़्सत सब अंधेरे हो गए,इस क़दर घर में कभी भी रौशनी देखी न थी।
छिड़क दिया तुम्हे ज़िन्दगी के हर पन्ने पर इत्र की तरह…मेरे बाद भी मुझमे तुम ही महकोगे…
इन आँखो को जब-जब उनका दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है…
ज़ुलफें मत बांधा करो तुम,हवाएं नाराज़ रहती हैं
जानते है सब फिर भी अंजान बनते है, इस तरह वो हमें परेशान करते है, पूछते है हमसे की तुम्हे क्या पसंद है, खुद जवाब होकर ये सवाल करते है
ना रंग से रंगीन हुए, ना भंग से हुए मदहोशडाली जो उसने तिरछी नज़र फिर कहाँ रहा कुछ होश,,
तारीफ अपने आप की करना फ़िज़ूल है ,खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है।
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​​​कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी​।
फूल जब उसने छू लिया होगा,होश तो ख़ुशबू के भी उड़ गए होंगे।
तौबा…तुम्हारी ये बातूनी आंखें…मुझे कुछ बोलने ही नहीं देती..
माफ़ करना मेरी गुस्ताखियाँ कुछ बढ़ गई है अब मैं तेरे तस्वीर में तेरे होंटों को चूम लेता हूँ।
तुझको देखा… तो फिर… किसी को ना देखा,चाँद भी कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर, कभी हमारी आँखो से आकर पूछो कितने लाजवाब हो तुम
उनकी उल्फ़त अदाओं को बड़ी फुरसत से निहार रहे थे हम, मगर उन्हें फुरसत नहीं थी खूबसूरत-सी अपनी नजरें हमपर फेरने की।
तुझ सा कोई जहाँ में नाज़ुक-बदन कहाँ,ये पंखुड़ी से होंठ ये गुल सा बदन कहाँ।
चाहता तो हूँ कि अब चूम लूँ तुम्हारे इन गालों को मैं पर अपने ही लबों से ख़ुद जल भी तो मैं ही जाता हूँ
मुझे मालूम नहीं,हुस्न की तारीफ।मेरी नज़रों में हसीं,वो है जो तुम जैसे हो।
क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार,अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर।
सफाईयां देनी छोड़ दी है,मैं बहुत बुरी हूं सीधी सी बात है।
उनकी हाथों में मेंहंदी लगाने का ये फायदा हुआ,कि रात भर उनके चेहरे से ज़ुल्फें हम हटाते रहे।
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,आपको देखा और छुआ तो ख्वाहिशे पूरी हुयी।।

Shayari For Beautiful Girl

तुम्हरा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर,तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनाने संवारने की।
नक़ाब तो उनका सिर से लेकर पाँव तक था, मगर आँखें बयान कर रही थी की मोहब्बत की शौकीन वो भी थी!
खूबसूरती ना ही सूरत में होती है,और ना ही लिबास में।ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है,जिसे चाहे उसे हसीन बना दें।
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
लबों से कुछ कहना लाज़मी भी नहीं…!! आंखों से ही छलक जाए वो है इश्क…!!!!
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी,मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी।
कौन देखता है किसी को अब सीरत की नज़र से, सिर्फ खूबसूरती को पूजते है, नए ज़माने के लोग।
मिलकर जो मुस्कुराहट आयी चेहरे परबाद उसके कोई श्रृंगार उस पर जंचा नहीं
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये।
डूबकर तेरी झील सी गहरी आँखों में,एक मयकश भी शायद पीना भूल जाए..
वो आंखो मे काजल फंसाती है फिर उसकी आँखे मुझे फंसाती है
लङने दो ज़ुल्फों और हवाये को आपस में,तुम क्यों हाथ से उनमें सुलह कराने लगती हो..
जो लव्स तेरी तारीफ करते नहीं थकते थे ,आज वो तेरा नाम तक नहीं लेना चाहते है।
मुस्कुराना हर किसी के बस का नहींमुस्कुरा वही सकता है जो दिल का अमीर हो
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है, उसपे शबाब का रंग गहरा है, खुदा को यकीन ना था वफ़ा पे, तभी तो एक चाँद पे हज़ारो तारो का पहरा है
बिखर जाने दे मुझे तेरी मोहब्बत में,ये तो वो नशा है जो कभी उतरता नहीं।
रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।
आपके होठो को अपने होठो से लगाना हैं बस इसी रात को पाने का हर के बहाना हैं
वो चाँद कह के गया था की आज निकलेगा,तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं।
क्युकी में तुम्हे वैसे ही पसंद किया है जैसे तुम हो,कल तुम्हारा तारीफ करना अच्छा लगता था तोह,,आज दूर रहना,रुक जाना यह भी सही है।
तेरी आँखों में कुछ ऐसा नशा है… तुम दिल में , दिल आंखों में बसा है…
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है, तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ
तुम्हारी तारीफ किये बिना मै रुक नहीं पता.तुम्हारे हुस्न के चर्चे महफ़िल में करता जाता.
नहीं मालूम हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूँ कि मुझे तेरी जरूरत है।
बात क्या करे उसकी खुबसूरती की, फुलो को भी उसे देखकर शर्माते देखा है मैने।
पता नहीं क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर तेरे सामने,आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है।
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
रोज एक ताजा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिएतुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है
ग़ुस्से में जो निखरा है, उस हुस्न की क्या बात,कुछ देर अभी मुझसे तुम यूँ ही ख़फ़ा रहना।
वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं,ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे।
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​ ​​कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी​।
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।
हुस्न वालो को सवरने, की जरूरत क्या हैवो तो सादगी मे भी, क़यामत की अदा रखते हैं
“अब हम समझे तेरे चेहरे पे तिल का मतलब,हुस्न की दौलत पे दरबान बिठा रखा है..”
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें,तुम्हारी शख्सियत की खबर।कभी हमारी आँखो से आकर पूछो,कितने लाजवाब हो तुम।
लाजमी है महफिलों मे बवाल होना…!!एक तो “हुस्न कयामत” उपर से “होंठो का लाल” होना
फूलों ने अमृत का जाम भेजा है, सूरज ने गगन से सलाम भेजा है, मुबारक हो आपको नया जन्मदिन, तहे-दिल  से हमने ये पैगाम भेजा है…
कमसिनी का हुस्न था वो… ये जवानी की बहार,पहले भी तिल था रुख पर मगर क़ातिल न था।
गुरूर हुस्न पर इतना ही कर कि बुरा न लगे,,,, तू सिर्फ़ खुबसूरत लगे … ख़ुदा न लगे..
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर, कभी हमारी आँखो से आकर पूछो कितने लाजवाब हो तुम।
ये चाँद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा,ये झील सी नीली आंखे कोई राज हैं इनमे गहरा,तारीफ़ करू क्या उसकी जिसने तुम्हे बनाया।।
हुस्न वालों को संवरने की जरुरत क्या हैवो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं
वह मुझसे रोज कहती थी मुझे तुम चांद ला कर दो,उसे एक आईना देकर अकेला छोड़ आया हूं।
मेरे अंधेरे तुम्हे छु कर सवेरे हो गए क्या जादु है तेरे वजूद में हम बेवजह ही तेरे हो गए….!!
ये दिल फरेब तबस्सुम ये मस्त नजर,तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
उसके मीठे होठ और मुझे शुगर का रोगहकीम साहब तुम रहने दो हमसे नहीं होता परहेज
कितनी खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी, बना दीजिये इनको किस्मत हमारी, इस ज़िंदगी में हमें और क्या चाहिए, अगर मिल जाए मोहब्बत तुम्हारी।
तेरे खुबसुरती पे तो लाखों मरते होंगे, लेकिन हम तेरी बाते सुनने के लिए तड़पते हैं।
जब कहने में औ अपनी दिल की बात लाज़मी था,मेरा भूल जाना।
सबके चेहरे में वो बात नही होती, थोड़े से अंधेरे में रात नही होती, ज़िंदगी में कुछ लोग बहुत प्यारे होते है, क्या करे उन्ही से आज कल मुलाकात नही होती
एक मुस्कुराहट ही तो चाहते है तुम्हारे लबों पर, यकीन मानो और कोई लालच नहीं तुम्हारी तारीफ करने की
इतनी जालिम उसकी अदा है कि मेरा यहां हारना लाजमी है
ख़त्म ना होने दो ,किसी के चेहरे की मुस्कराहटबहुत मुश्किल से आती है, ये कुदरती आहट
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
गिरता जाता है चहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता,निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता।
मिल जायेगे हमारी भी तारीफ करने वाले,कोई हमारी मौत की अफवाह तो फैला दो।
न देखना कभी आईना भूल कर देखोतुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
चमन में इस कदर तू आम कर दे अपने जलवों को,कि आँखें जिस तरफ उठें तेरा दीदार हो जाये।
तेरे ख्याल से ही एक रौनक आ जाती है दिल में। तुम रूबरू आओगे तो जाने क्या आलम होगा।।
फ़क़त इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें,मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयाँ तक देखूँ।
इश्क़ का अपना गुरूर, हुस्न की अपनी अदा, उन से आया ना गया हम से भुला ना गया
मौसम भी खुशमिजाज है, कुछ मेरा अंदाज़ है,तारीफ करूँ या चुप रहूँ गुनाह दोनो ही संगीन हैं।
क़भी चुपके से मुस्कुरा कर देखना, दिल पर लगे पहरे हटा कर देख़ना, ये ज़िन्दग़ी तेरी खिलखिला उठेगी, ख़ुद पर कुछ लम्हें लुटा कर देखना |
होश-ए-हालात पे काबू तो कर लिया मैंने,उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
बिजलियों ने सीख ली उनके तबस्सुम की अदा,रंग ज़ुल्फ़ों की चुरा लाई घटा बरसात की।।
एक इंच भी छोड़ने का मन नहीं करता……………!किसी झगड़े की ज़मीन सी लगती हो तुम………
कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं! ?
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर, ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दू, अपने दोस्त को क्या उपहार दू, कोई अच्छा सा फूल होता तो माली से मँगवाता, जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू
कुछ आपका अंदाज़ है.. कुछ मौसम भी रंगीन है.!💞 तारीफ करूँ या चुप रहूँ.. जुर्म दोनों ही संगीन है..!
मेरी हर बात अब वो मान रही है, लगता है वो अब मुझसे रूठ गई है !
कसा हुआ तीर हुस्न का ज़रा संभल के रहियेगानजर नजर को मारेगी तो कातिल हमें न कहियेगा
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
चाँद मशरिक़ से निकलते नहीं देखा मैं ने,तुझ को देखा है तो तुझ सा नहीं देखा मैं ने।
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
सौ गजलें लिख डालूँतेरे एक दीदार परमुक्कमल हैं मेरी दुनियातेरी एक मुस्कान पर
मुसीबत सा था वो तेरे गालों पे,झुमकों का झूला जान।
सलामत रहे वो शहर जिसमे तुम रहते हो एक तुम्हारी खातिर हम पूरे शहर के लिए दुआ करते है
गुलाब तो टूट कर बिखर जाता है, पर खुसबु हवा मे बरकरार रहती है, जाने वाले तो छोड़ के चले जाते हैं, पर एहसास तो दिलों मे बरकरार रहते हैं!!
मेरी मासूमियत मुझसे चुरा गया,कोई इस तरह मोहब्बत मुझसे निभा गया।
तेरे हसीं होंठों के आसपास,एक काले तिल का पहरा भी जरूरी है।हम तो डरते हैं कही,कोई कम्बख्त नज़र न लगा दे।
खूबसूरती का एक शाहकार है तेरा चेहरा,तेरे सामने आने से ज़्यादा, इस दिल को,,तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है।
उनसे कह दो कि नज़रें बा – खूब मिलाया करें, कभी कुछ पल मेरे पहलू में भी मुस्कुराया करें
खूबसूरत लगे तो हमने बता दिया,गुरुर आ गया तुम में नुकसान ये हुआ।
ढाया है खुदा ने हम दोनों पर जुल्म तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क देकर
कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा, ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं…
उसने होठों से छू करदरिया का पानी गुलाबी कर दिया,हमारी तो बात और थी उसनेमछलियों को भी शराबी कर दिया।
किस किस से छुपाऊ तुम्हें मै अब तो,तुम मेरी मुस्कुराहट मे भी नजर आने लगे हो।
इश्क़ का अपना गुरूर, हुस्न की अपनी अदा, उन से आया ना गया हम से भुला ना गया
बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत हैहसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।।
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज का निकलना नहीं,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होता है मेरा
अग़र इशारों में बात करनी थी तो पहले बताते !हम शायरी को नहीं आंखों को सज़ाते !!
अभी इस तरफ न निगाह करमैं गजल की पलकें संवार लूँमेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आईनातुझे आईने में उतार लूँ
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
चल काजल लगा ले पलकों पर..क़त्ल का नया इतिहास रचते हैं,आज शाम मेरी महफ़िल में आना..हम एक ग़ज़ल तेरे नाम लिखते हैं..!!
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये।
अब उन्हें कौन बताये आँखों से अश्क़ नहीं, हसरते बरसती है
ना रंग से रंगीन हुए, ना भंग से हुए मदहोशडाली जो उसने तिरछी नज़र फिर कहाँ रहा कुछ होश,,
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये,बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
आपकी कातिल नज़रों से जो टकराया होगा…!मुझे नहीं लगता वो, अब तक घर पहुँच पाया होगा…!!
सुगर तो मैने हमेशा सही मात्रा में ली है, डाइबीटीज होने के कसूरवार तो तुम्हारे होंठ है..!
हम तबाह भी हो जायेंगे तुम क़यामत बनो तो सही
चुपचाप चले थे जिंदगी के सफर मेंतुम पर नजर पड़ी और गुमराह हो गए
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो ,
तेरी जिन्दगी भी जानेमन कितनी बेमिसाल है,सारी दुनिया है मरती, तेरे हुस्न का कमाल है.
कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा,ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं…
संजीदा नहीं, तू मुझे बावली ही अच्छी लगती है.. गोरी नहीं, तू मुझे सांवली ही अच्छी लगती है..
कहाँ तक लिखूं एक ताज़ा शायरी आपके लिए,आपके हुस्न में तो रोज एक नयी बात हुआ करती है।
चूम कर लब आपके मैं दिल में समां जाऊ अब आओ पास मेरे ये दुरिया मिटाऊ
तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगीचाँद की भी कदर कम हो जाएगी
रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,बस एहि सोच कर तुमको खफा रखा है
उसके इश्क़ की खूबसूरती कैसे बयां करूं जनाब, जब मुस्कुरा के देखता है, तो लगता हैं हर दुआ कुबूल हो गई।
तू जरा सी कम खूबसूरत होतीतो भी बहुत खूबसूरत होती
अपने चेहरे की खूबसूरती पे इतना गुमान मत कर, तेरे खूबसूरती से ज्यादा मेरे सादगी के चर्चे है बाजार में।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है, उसपे शबाब का रंग गहरा है, खुदा को यकीन ना था वफ़ा पे, तभी तो एक चाँद पे हज़ारो तारो का पहरा है
ज़रा स्माइल रखो चेहरे पे… क्यूँकि, रात में सपनों को हँसते हुए चेहरे पसंद हैं……!!
तुम आईना क्यूं देखती हो? बेरोज़गास करोगी क्या मेरी आँखो को..
क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर,ना जाने हश्र क्या होगा अगर वो मुस्कुराये तो।

Tareef Shayari For Beautiful Girl In Hindi

खूबसूरत मैं नहीं ये तुम्हारा इश्क़ है, जो नूर बनकर मेरी आँखों से छलकता है…!!
तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़ये उसे भी जीना सीखा देते हैं जिसे मरने का शौक हो
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिनमरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
ज़ुलफें मत बांधा करो तुम,हवाएं नाराज़ रहती हैं।
बात तो तेरी सुनी ही नहीं मैंनेध्यान मेरा तेरे लबों पर था
दिल की नाज़ुक धड़कनो को, मेरे सनम तुमने धड़कना सीखा दिया, जब से मिला है तेरा प्यार दिल को, गम मे भी मुस्कुराना सीखा दिया
अक्सर तन्हाई में सोचकर हस दिया करती हूं,के मुझे सब याद है लेकिन मैं किसी को नहीं।
तेरी आँखों के खूबसूरती में डूब जाऊ मै,धीरे धीरे तेरी तारीफ करता चला जाऊ मै।
वो बे-नकाब जो फिरती है गली-कूंचों में,तो कैसे शहर के लोगों में क़त्ल-ए-आम न हो।
कैसे करुं बयाँ मै खुबसुरती उसकी, मेने तो उसे बिना देखे ही प्यार किया है।
उसे सजने-संवरने की जरूरत नहीं है,श्रृंगार भी उससे ख़ुद श्रृंगार करता है !
न देखना कभी आईना भूल कर देखो,तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया,उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया।
कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा,ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं।
सुनो…मुझे देखकर तेरा यूं मुस्कुराना बेहद पसंद है…!!एक तुझ से ही मेरे जीवन मे सदा बसन्त है…!!!
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
आज भी एक आरजू जगी है, वो खुबसूरती को देखने की इच्छा उठी है, बेमिसाल है जो हर स्वरूप मे, उसे हमे अपनी ज़िंदगी बनानी है।
हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत, वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी
अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।।
सजती रहे प्यार  की महफ़िल हर पल सुहानी रहे; आप जिंदगी में इतने खुशनसीब रहें कि हर ख़ुशी आपकी दिवानी रहे
क्या ख़ाक करू उस चाँद की तारीफ में,जो हर लम्हा डूब जाता है, अब तोह चाँद,,को भी तैरना सीखना है।
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का,कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो।
रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,बस यही सोच कर तुमको खफा रखा है।।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये, बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर
कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं,चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं ।
ये कह सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है।
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं।
बड़ी आरजू थी महबूब को बेनकाब देखने कीदुपट्टा जो सरका तो कमबख्त जुल्फें दीवार बन गयी
जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं है,वो दिल नहीं है, दिल नहीं है, दिल नहीं है।
पता क्या था हमे होती क्या है शायरी देखा इश्क तेरातो हमे भी लफ्जो से खेलना आ गया…!!
अदाएं उनकी दिलों से खेलती हैं,वो क्या जाने वफ़ा क्या है जफा क्या।
कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी।
तुझे दिल में बसाने को जी चहता है,तेरी बाहों में सिमटने को जी चाहता है।खूबसूरती की मूरत है तू,तुझे ज़िन्दगी में लाने को जी चाहता है।
लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे,अब भी दिलकश है तेरा हुस्न तो क्या कीजे?
बिल्कुल चांद की तरह हैनूर भी, गुरुर भी, दूर भी…
तुम्हारी सुन्दरता को देख मैं निःशब्द हूँ, तुम्हारी निःशब्दता ही तुम्हें सुंदर बनाती है।
कहाँ से लाऊँ वो लफ्ज़ जो सिर्फ तुझे सुनाई दे , दुनियाँ देखे अपने चाँद को मुझे बस तूही दिखाई दे ।
कमियां तो बहुत है मुझ में,पर कोई निकाल कर तो देखें।
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।
कौन कहता है आईना जरूरी होता है तुम अपने बारे में मुझसे पूछ सकते हों
मैं तो उससे सारी बहस बस जीतने ही वाला था कि, उसने दोनो हाथ उठा कर बाल बांधने शुरू कर दिये..!!
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूँ, पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये।
जरा उन की शोख़ी तो देखना,लिए ज़ुल्फ़-ए-ख़म-शुदा हाथ में।मेरे पास आए दबे दबे,मुझे साँप कह के डरा दिया।
सरकारी डाक्टर जैसे तेवर है “मेडम” के प्यार मांगता हूँ तो कहती है “लाइन” से आना__!!
बहुत खूबसूरत हो तुम फूल की तरह, खुद को दुनिया कि नजर से बचाया करो, सिर्फ आँखों में काजल ही काफी नहीं, गले में नीम्बू-मिर्ची भी लटकाया करो।
लाइसेंस बनवा लो अपनी इन कातिल निगाहों की सुना है कत्ल खाने बन्द हो रहे हैं
मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ,इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।
खिलाफ कोई भी हों अब फर्क नहीं पड़ता, जिनका साथ है वो लाजवाब हैं…
रोज एक ताजा शेर,कहाँ तक लिखूं तेरे लिए।तुझमें तो रोज़ ही,एक न बात हुआ करती है।
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूँ,पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये।
मैंने एक उम्र खर्च की है तुम पर, बस एक और मिल जाए तो फिर खर्च कर दूं तुम पर
बार बार जुल्फों को कानों से हटा रहे हैं वो.. लाए हैं हम उनके लिए झुमके सबको बता रहे हैं वो..
री आँखों के खूबसूरती में डूब जाऊ मै.धीरे धीरे तेरी तारीफ करता चला जाऊ मै.
इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​,​​​कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी​।
कितनी खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी,बना दीजिये इनको किस्मत हमारी,इस ज़िंदगी में हमें और क्या चाहिए,अगर मिल जाए मोहब्बत तुम्हारी।
रूठ कर कुछ और भी,हसीन लगते हो।बस यही सोच कर,तुमको खफा रखा है।
झुकी तेरी पलको पेआशियाना सजा लूंगातू बस हा बोलदे तोतुम्हे तुमसे ही चुरा लूंगा
तेरी खाई हुई मेरे सर की झूठी कसमेंअब मुझे अक्सर बीमार रखती हैं
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
आखें खोलू तो चेहरा तुम्हारा हो बंद करू तो सपना तुम्हारा हो, मर भी जाऊं तो कोई गम नही, अगर कफ़न के बदले आँचल तुम्हारा हो
ना जाने कौन कौन से विटामिंस भरे पड़े हैं तुझमे जब तक बात ना कर लू तो कमजोरी सी रहती है
यूं तो दुनिया में देखने लायक बहुत कुछ है, पर पता नहीं क्यों ये आंखे सिर्फ तुम्हारी आंखों पर आकर ही रुक जाती है।
नवाज़ा है जिसे उस ख़ुदा ने अपनी अदाकारी से, वो हर शख्स अपने आप मे खूबसूरत तो है ही।
नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को,निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।
तेरी तस्वीर सामने रख कर हम आँखें खोला करते है हर सुबह,अपनी क़िस्मत को किसी और के हवाले कैसे कर दूँ….
तेरे इश्क की जंग में, हम मुस्कुराके डट गए,तलवार से तो बच गए, तेरी मुस्कान से कट गए।
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूँ,पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये।
आँखों पर तुमने कुछ ऐसे जुल्फ गिरा दीबेचारे से कुछ ख्वाबों की नींद उड़ा दी
अजी सिर्फ़ ख्वाब होते तो और बात होती आप तो बे-इन्तहा ख्वाहिश बन बैठे हो
तेरे होठों में भी क्या खूब नशा हैए सनम लगता हैतेरे झूठे पानी से ही शराब बनती है
तेरी खाई हुई मेरे सर की झूठी कसमें,अब मुझे अक्सर बीमार रखती हैं।
उसके हुस्न की तारीफ में क्या कहिए, कोई शहज़ादी ज़मीन पर उतर आई है, ए बनाने वाले लगता जैसे, कोई संगमरमर की मूरत तूने बनाई है…
दिल में छुपा कर पुरे जग में ढूंढते होबडी कातिल लगती हो जब पूछती हो कहाँ हो
न जाने क्या मासूमियत तेरे चेहरे परतेरे सामने आने से ज्यादातुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है
चाँद सा जब कहा तो वो गिला करने लगे,बोले… चाँद कहिये न, चाँद सा क्या है।
ठहर सके जो लबों पे हमारे,हँसी के सिवा है मजाल किसकी।
शुक्र है ये दिल सिर्फ धड़कता है,अगर बोलता तो कयामत आ जाती।
न कर ऐ बागबां शिकवा गुलाबों की बेनियाज़ी पर,हसीन जो भी होते हैं जरा मगरूर होते हैं।
इन आँखों को जब जब उनका,दीदार हो जाता है।दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए,त्यौहार हो जाता है।
तरी हाथों की मेहँदी देखकर हम फ़िदा हो गयें…! सीना खाली रह गया और दिल तुम ले गयें…!!
वो मुझसे रोज़ कहती थी मुझे तुम चाँद ला कर दो,उसे एक आईना दे कर अकेला छोड़ आया हूँ।
ये तुमसे किसने कहा तुम इश्क का तमाशा करना… मगर मोहब्बत करते हो हमसे तो बस हल्का सा इशारा करना….
ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर, तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर
तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे, तेरे हाथो की मेहंदी महकती रहे, तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे, तेरे चूड़ी हमेशा खनकती रहे…
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत, वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी
न जाने क्या मासूमियत,है तेरे चेहरे पर।तेरे सामने आने से ज्यादा, तुझे ,छुपकर देखना अच्छा लगता है।
बिल्कुल चांद की तरह है नूर भी, गुरुर भी, दूर भी…
आंखें ही, क्या कम थी उस पर काजल भी लगाते हो इश्क में कत्ल के तुम भी क्या हुनर आजमाते हो.
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दू, अपने दोस्त को क्या उपहार दू, कोई अच्छा सा फूल होता तो माली से मँगवाता, जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू
वो शरमाई सूरत वो नीची निगाहें,वो भूले से उनका इधर देख लेना।
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
उसको सज़ने संवरने की ज़रूरत ही नही ……उसपे सज़ती है हया भी किसी ज़ेवर की तरह !!
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो?
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
होती होगी लोगो को दुबारा मोहब्बतमुझे तो आज भी उस बेवफा के खुले बाल पसंद है
मेरी चाहतें तुमसे अलग कब हैं, दिल की बातें तुमसे छुपी कब हैं, तुम साथ रहो दिल में धड़कन की जगह, फिर ज़िंदगी को साँसों की ज़रूरत कब है
कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं,चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं ।
ख़ूबसूरती तो हर चीज में होती है जनाब, बस उसे देखने का नज़रिया बदल जाता हैं।
स घड़ी देखो उनका आलम नींद से जब हों बोझल आँखें, कौन मेरी नजर में समाये देखी हैं मैंने तुम्हारी आँखें।
हया से सर झुका लेना,अदा से मुस्कारा देना।हसीनो को भी कितना सहल है,बिजली गिरा देना।
रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।।
हस्ते रहे आप करोड़ों के बीच, खिलते रहे आप लाखों के बीच, रोशन रहे आप हज़ारों के बीच, जैसे रहता है सूरज आसमानों के बीच!
कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा,ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं…
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भरकसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
जिसे याद करने से होंठों में मुस्कुराहट आ जाए एक ऐसा खूबसूरत ख्याल हो तुम !
मत मुस्कुराओ इतना की फूलो को खबर लग जाये की वो करे तारीफ तुम्हारी और तुम्हे उनकी नज़र लग जाये
उस दिन खुदा ने भी जश्न मनाया होगा, जिस दिन आपको अपने हाथों से बनाया होगा
तू जरा सी कम खूबसूरत होती,तो भी बहुत खूबसूरत होती।
कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं,चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं ।
कहते हैं कि हम उनकी झूठी ही तारीफ करते हैं,ऐ खुदा इतना करम कर दे,,बस एक दिन के लिए आईने को जुबान दे दे।
गले मिला है वो मस्त-ए-शबाब बरसों में,हुआ है दिल को सुरूर-ए-शराब बरसों में,निगाह-ए-मस्त से उसकी हुआ ये हाल मेरा,कि जैसे पी हो किसी ने शराब बरसों में
कुछ फिजाएं रंगीन कुछ आप हसींतारीफ करूँ या चुप रहूं दोनों जुर्म संगीन
तेरी नज़रें बयाँ करती हैं मेरी खूबसूरती, अब मुझे आइनों की ज़रूरत न रही।
उनकी एक मुस्कराहट ने,हमारे होश उड़ा दिए।हम होश में आ ही रहे थे,की वो फिर मुस्कुरा दिए।
उसके हुस्न की तारीफ में क्या कहिए, कोई शहज़ादी ज़मीन पर उतर आई है, ए बनाने वाले लगता जैसे, कोई संगमरमर की मूरत तूने बनाई है…
बेशक़ तुम ताउम्र मत करना,अपने “इश्क़” का इज़हार !
इजाज़त ही नहीं कुछ और हमको देखने की,अभी तो ख़्वाब आँखों में तुम्हारा चल रहा है..!!
हर शिकायत वहीं दम तोड़ जाती है,जब वो मुस्कुरा कर कहती है,,मैंने क्या किया।
आज फिर निकले हैं, वो बेनकाब शहर मेआज फिर भीड़ होगी शहर में
ये तेरी ख़ूबसूरती है या,मेरी दीवानगी ऐ सनम।मुद्दतों से देख रहा हूँ,फिर भी ये आँखें थकती नहीं।
रूठ कर कुछ और भी,हसीन लगते हो।बस यही सोच कर,तुमको खफा रखा है।
मेरा हर लम्हा ज़िन्दगी का संवर जाये,अगर तेरे साथ ज़िन्दगी प्यार से गुज़र जाये।।

सुंदर लड़कियों की तारीफ के लिए शायरी

पहना दो अपना प्यार मरे पैरों में पायल की तरह जहां भी और जितना भी चलूँ तुम ही तुम सुनाई दो
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का,क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम।

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