Garibi Shayari In Hindi | गरीबी पर शायरी
हेल्लो दोस्तों | आज हम Garibi Shayari In Hindi लेकर आये हैं, जिसे पढ़ने के बाद आपको एहसास होगा की हमें जितना भगवान हैं हमें जितना दिया हैं उनमे ही हमें खुश रहना सीखना चाहिए क्यूंकि दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिनके सर पर छत भी नहीं हैं फिर भी उनको भगवान से कोई शिकायत नहीं हैं | अगर आपको शायरिया पसंद आये तो आप इन्हे अपने प्रियजनों को व्हाट्सप्प और फेसबुक पे भेज सकते हैं |
2024-09-07 10:03:41 - Milan
पैरों से कांटा निकल जाए तो चलने में मज़ा आता है, और मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन जिने में मज़ा आता है।
डिग्री लेकर रिक्शा खींचे युवक इन बाज़ारों में, अनपढ़ नेता डोरे पर है महंगी महंगी करों में ।।
कभी आसमान में घटाएं तो कभी दिन सुहाने है !!मेरी मजबूरी तो देखो बारिश में भी मुझे कागज कमाने है !!
मृदु पुरुष का अनादर होता है ।
खुदा ने बहुत कुछ छीना है मुझसे!!लगता है वो गरीब ज्यादा है मुझसे!!
दुनिया की बेहतरीन धुन_तब सुनाई देती है जब काँच की चूडिय़ां पहन कर माँ_रोटियां बनाती है !!
सत्य बोलो, प्रिय बोलो, अप्रिय लगने वाला सत्य नहीं बोलना चाहिए प्रिय लगने वाला असत्य भी नहीं बोलना चाहिए।
मरहम लगा सको तो किसीगरीब के जख्मों पर लगा देना ,हकीम बहुत हैं बाजारमें अमीरों के इलाज खातिर।
ठहर जाओ भीड़ बहुत है,तुम गरीब होकुचल दिए जाओगे।
इन सब से जितना आप दुर रहेंगे, उतने ही खुश रहेंगे।
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती हैअमीर बाप की बेटी गरीब लगती है
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी !!जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है !!
बेटी की शादी देख एक बात याद आती है साहब फूल कोई और लगाता है,महक किसी और का घर जाता है !!
लोग कहते है मैं बदनसीब हूं !!पेट की भूख मिटाई नही जाती !!इसलिए मैं गरीब हूं !!
माता-पिता वो हस्ती है, जिसके पसीने की एक बूँद का, कर्ज भी औलाद नहीं चुका सकती !
जीना सीख लिया बेवफाई के साथ अब तो, खेलना सीख लिया अब दर्द से हमने, दिल किस कदर टूटा है क्या बताएं मरने से पहले कफ़न ओढ़ना सिख लिया हमने !
बहुत जल्दी सीख लेते हैं, ज़िन्दगी के सबक, गरीब के बच्चे बात बात पर जिद नहीं करते।
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए – हफ़ीज़ जालंधरी
जितनी दिखानी है उतनीअकड़ दिखातु मेरा कुछ नहींबिगाड़ पाएगा।
अमीरों की महफिल में!!हर कोई सुस्त होता है!!गरीब का इस दुनिया में!!कहां कोई दोस्त होता है!!
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना !!हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर !!
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता
दर्द से कराहती वो माँ सिसक रही थी रात मेंबुझने लगा था वो दीया भी घर के जज़्बात में
मैं क्या महोब्बत करूं किसी से !!मैं तो गरीब हूँ लोग अक्सर बिकते हैं !!और खरीदना मेरे बस में नहीं !!
तमीज सिखों जरा लहजा संभालो माँ बाप से तुम हो माँ बाप तुमसे नहीं.
रजाई की रुत गरीबी के आँगन में दस्तक देती है !!जेब गरम रखने वाले ठण्ड से नहीं मरते !!
तू बदनाम ना हो जाएइसलिए मैं जी रहा हूंवरना मरने का इरदारोज़ होता है मेरा।
जिस मजबूत नींव पर टिके है पैर मेरे, वो कुछ और नहीं पिताजी के कंधे हैं मेरे !
अमीर लोग तो साहब सपने देखे है रात को!!हम गरीब तो अपने बच्चों के भूखे चेहरे देखते हैं!!
खाना है तेरे पास तो तू गरीब नही है !!दुनिया में हर इंसान तुझसा खुशनसीब नही है !!
मैं कड़ी धूप में जलता हूँ इस यकीन के साथ। मैं जलुँगा तो मेरे घर में उजाले होगे।
मुफ्त में तो बस गरीबी आती है !!बाकी सब तो रईसी से खरीदी जा सकती है !!
ख़ुदा ने यह सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख़्शी है कि वो पागल भी हो जाए तो बच्चे याद रहते हैं.
जान दे सकते है बस एक यही हमारे बस में है !!सितारे तोड़ के लेन की बात हम नहीं करते !!
दोपहर तक बिक गयाबाजार का हर एक झूठ ,और एक गरीब सचलेकर शाम तक बैठा ही रहा।
बड़ा बेदर्द है यह ज़माना मेरे दोस्तों, यहाँ किसी का दर्द नहीं देखते लोग, लेकिन दर्द की तस्वीर खींच लेते है लोग ।।
गरीबी में भोजन ना सही !! पानी से गुज़ारा कर लेते है !!कैसे बताये हम गरीबी में कुछ भी समझौता कर लेते है !!
अमीर के छत पे बैठाकव्वा भी मोर लगता हैं।गरीब का भुखाबच्चा भी चोर लगता हैं।
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती हैअमीर बाप की बेटी गरीब लगती है
मेरे जीने का हिसाब किताबथोड़ा अलग हैहम उम्मेद पर नहीं अपनीज़िद पर जीते हैं।
इसे नसीहत कहूँ याजुबानी चोट साहबएक शख्स कह गयागरीब मोहब्बत नहीं करते
बड़े बुजुर्ग कहते है की गरीब व्यक्ति की हाय !!और दोगले व्यक्ति की राय कभी नहीं लेनी चाहिए !!
तेरी बातो में भले हीदम होमगर तू अन्दर से बिलकुलेखोकला है।
धूप छांव ना देखने दी पेट ने मौसम के !!संग तन डाल लेता हूं छोटा हूं साहेब !!मगर पेट बड़ों के भी पाल लेता हूं !!
जिस इंसान को गरीबी नसीब हुई होती हैं उस इंसान का दबाने में लोगो को ज्यादा कठिनाई नहीं होती है।
गौंर से देख़ इन आँख़ो में कभींज्यादा कुछ नही ये बस प्यार ज़ानता हैंगरीब का बच्चा हैं साहेबज़ब भी दो वक़्त क़ी रोटी मिलेंउसीं दिन को त्यौंहार मानता हैं
मगन था में, सब्ज़ी में कमी निकालने में, और खुदा से सुखी रोटी का शुक्र मना रहा था ।
माँ-बाप एक ऐसा मेडिकल स्टोर हैं जहाँ दर्द की दवा मुफ्त मिलती है !!
मुझे जैसा बनने की छोड़ दोशेर पैदा होते है बनाए नहीं जाते।
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्यौहारों में, तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में.
गरीब वे #इन्सान हैं, जो अपने को ”गरीब” मानते हैं, गरीबी गरीब_समझने में ही है।
बना के ताजमहल एक दौलतमंद आशिक ने गरीबों की मोहब्बत का तमाशा कर दिया।
छोड़ दिया लोगों ने मुझे गले लगाना !!गरीब से सब दूर का रिश्ता चाहते हैं !!
साथ सभी ने छोड़ दिया, लेकिन ऐ-गरीबी, तू इतनी वफ़ादार कैसे निकली।
garibi shayari status
गरीबों के घर जो मेहमान आते है, उनकी स्वागत में पलकें बिछायें जाते है.
जहाँ जिंदगी हैं जीने को इतनी बड़ी वही मैं खुद से ही, खुद के लिए, मरने की, दुआ कर रहा हूँ ||
अमीरी मोहब्बत को इज्जत नही देती है, कभी गरीबों से इश्क़ करके जरूर देखना.
आज लेखों रुपये बेकार है उस एक रुपये के सामने जो_माँ_स्कूल जाते वक्त देती थी !!
जिंदगी की पहली और आखरी गुरुमाँ ही होती है, क्योंकि उन्हीं ने हमेंअपने खून से सींचा होता है।
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब, कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
माँ जैसी ममता किसी रिश्ते मे नहीं होती सचमुच माँ किसी फरिश्ते से कम नहीं होती !!
पल्लू के छोर में रुपये बाँध कर रखती हैं एक छोटा सा ATM मेरी माँ भी रखती हैं.
कभी चुपके से उनके कमरे की तलाशी लूँगा पता तो चले तकलीफों को छुपा कर माँ बाप रखते कहाँ है.
खौफ नहीं मरने का, मैं इश्क़ मौत से करता हूँ लाल हूँ मैं धरती माँ का, हिंदुस्तान को दिल में रखता हूँ ||
गरीबों के बच्चे भी खाना खाए त्योहारों में भगवान खुद को बेच देता है बाजारों में
गरीबी का आलम कुछ इस कदर छाया है, आज अपना ही दूर होता नजर आया है।
मुस्कराहट भी बे-लगाम मुस्कुराती है जब माँ को देख मैं मुझे देख माँ मुस्कुराती है !!
हर सुकून की अहमियत छोटी पड़ जाती है जब माँ सुबह उठ कर चाय बनाती हैं !!
मेरे मरने के बाद किसी को कोई ख़ास फ़र्क़ तो नहीं होगा; बस एक तन्हाई रोयेगी की मेरा हमसफ़र चला गया !
हमने कुछ ऐसे भीगरीब देखे हैं ,जिनके पास पैसों केअलावा कुछ भी नहीं।
गरीब पूरी जिन्दगी मुहब्बत को लुटाता है, अमीर सच्ची मुहब्बत पाने को तरस जाता है.
हाथ से पटकी हुई गेंद भी भूमि पर गिरने के बाद ऊपर की ओर उठती है, सज्जनों का बुरा समय अधिकतर थोड़े समय के लिए ही होता है ।
तुम खुश किस्मत हो जोहम तुमको चाहते हैंवारना मेरे सपने लेनेके लिए भी लोगो को मेरीइजाज़त लेनी पड़ती है।
इक गरीब दो रोटी में पूरा जीवन गुजार देता है, वो ख्वाहिशों को पालता नहीं है… उन्हें मार देता है.
तहज़ीब की मिसाल गरीबो के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है मगर उसके सर पर है ।
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो कोऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे
जो गरीबी में एक दियाभी न जला सका।एक अमीर का पटाखाउसका घर जला गया।
यूँ गरीब कह कर खुदकी तौहीन ना कर ऐ बंदे।गरीब तो वो लोग हैंजिनके पास ईमान नहीं है।
एटीट्यूड दिखना तो बच्चो काकाम हैहम तो लोगो को उनकी औकातदिखाते हैं।
कैसे मुहब्बत करूँ बहुत गरीब हूँ साहब, लोग बिकते है और मैं खरीद नही पाता हूँ.
बिना दया के किये गये काम में कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता जहां दया नहीं होती। वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं।
ये गंदगी तो अमीरो के है साहब , गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ उठाया करते है
वो गरीब का ”बच्चा” था, इसीलिए #भूखा सो गया| पेट भरा उसका मगर वो तो “अमीर” के घर का कुत्ता था|
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए!!यक़ीनन खुशियों का तालुक दौलत से नहीं होता!!
जो गरीबी में एक दिया न जला सका !!एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया !!
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं।
क्रोध हमेशा मनुष्य को तब आता है जब वह अपने आप को कमज़ोर और हारा हुआ पाता है।
डरोगे तो लोगऔर डरा देंगे अगरहिम्मत करोगे तोबड़े बड़े सर झुका देंगे।
दुनिया सिर्फ हालचाल पूछती है और फिक्र सिर्फ माँ बाप करते हैं.
अब मैं हर मौसम मेंखुद को ढाल लेता हूँ,छोटू हूँ… पर अब मैंबड़ो का पेट पाल लेता हूँ।
पेट की भूख में जिंदगी के हर एक रंग दिखा दिया। जो अपना बोझ उठा ना पाए पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिया।
गरीब की बस्ती में ज़रा जाकर तो देखो !!वहां बच्चे भूखे तो मिलेंगे मगर उदास नहीं !!
मुझे ना जीने की ख़ुशी हैं अब, और ना ही मरने का हैं गम, उनसे मिलने की दुआ भी नहीं करते हम, क्युकी अब हर शाम है उनकी यादो के संग
राहों में कांटे थे फिर भी वो चलना सीख गया, वो गरीब का बच्चा था हर दर्द में जीना सीख गया ।।
धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं।
धर्म का सार तत्व यह है कि जो आप को बुरा लगता है वह काम आप दूसरों के लिए भी न करें ।
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है।
कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा, इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।
अपनी इस गरीबी को भगवान का दिया श्राप नहीं बल्कि उनका वरदान मानो, क्योंकि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करना का जिगरा गरीब शक्श में ही होता है।
बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया। जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं वो अमिर कैसे बन जाते हैं
जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।
यदि किसी को देखने से या स्पर्श करने से, सुनने से या बात करने से हृदय द्रवित हो तो इसे स्नेह कहा जाता है ।
घर में चुल्हा जल सकें इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है, हाँ मैंने ग़रीब की साँसों को भी गुब्बारों में बिक़ते देखा है।
दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है, वही गरीबों का मजाक उड़ाते है.
एक गरीब दो रोटियों में पूरा दिन गुज़र देता है, वो ख्वाहिशो को पालता नहीं मार देता है ।।
व्यक्ति को कभी भी सच्चाई, दानशीलता, निरालस्य, द्वेषहीनता, क्षमाशीलता और धैर्य – इन छह गुणों का त्याग नहीं करना चाहिए ।
सद्गुण, शुभ कर्म, भगवान् के प्रति श्रद्धा और विश्वास, यज्ञ, दान, जनकल्याण आदि, ये सब ज्ञानीजन के शुभ- लक्षण होते हैं ।
आप जश्न के नशे में गिर पड़े थे !!आज सुबह में मै कल रात की रोटी !!ढूंढने निकला कचरे के ढेर में !!
मेरी तलाश का है जुर्मया मेरी वफ़ा का कसूर,जो दिल के करीब आयावही बेवफा निकला।
अमीरी और गरीबी पर शायरी
जरा सी आहट पर जागजाता है वो रातो को।ऐ खुदा गरीब को बेटीदे तो दरवाजा भी दे।
बच्चा समझ कर खेलते रहे जो रिश्तों से उनके हालात ना देखो तो अच्छा है
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने…कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया .
खुद पर काबु रखना एक परिपक्व इंसान की निशानी है; वक्त से पहले खुद पर काबु खो देना अपरिपक्वता की पहचान है।
वो दुल्हन थी तो कॉकरोच से डरती थी अब वो_माँ_है साँप को भी मार देती है !!
लोभ पाप और सभी संकटों का मूल कारण है, लोभ शत्रुता में वृद्धि करता है, अधिक लोभ करने वाला विनाश को प्राप्त होता है ।
क्या खूब फरेब का नकाब ओढ़े सियासत मौन है !!हुक्मरानों के दौर में गरीब की भला सुनता कौन है !!
कभी आसमान में घटाएं तो कभी दिन सुहाने है, मेरी मजबूरी तो देखो बारिश में भी मुझे कागज कमाने है.
खबर मरने की जब आये तो यह न समझना हम दगाबाज़ थे.. किस्मत ने गम इतने दिए, बस ज़रा से परेशान थे ..
नये कपड़े, मिठाईयाँ गरीब कहाँ लेते है, तालाब में चाँद देखकर ईद मना लेते है।
बदन काँप रहा था किसी का ठण्ड से, औरजुटे वाले बोले, वाह क्या गुलाबी मौसम है…!
गरीब भूख से मरे तो अमीर आहो से मर जाए। इनसे जो बच गए वो झूठे रिवाजो से मर जाए।
जो चिजे पैसो से खरीदी नहीं जा सकती मैं उन्ही का शौकिन हूं।
इक गरीब दो रोटी में पूरा जीवन गुजार देता है !!वो ख्वाहिशों को पालता नहीं है उन्हें मार देता है !!
लोगों का प्रेम तभी तक रहता है जब तक उनको कुछ मिलता रहता है। मां का दूध सूख जाने के बाद बछड़ा तक उसका साथ छोड़ देता है।
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के ज़ख्मो पर लगा देना। हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरो के इलाज के ख़ातिर।
मिज़ाज़ हमारासमंदर जैसा हैखारे हैंमगर खरे हैं।
चले जिसपे सबका ज़ोर किसी बदनसीबी है !!हा हा हा सही पहचाना यही गरीबी है !!
माना वो गरीब है, थोड़ी गन्दी उसकी बसती है, पर सच्ची मुहब्बत उसके ही दिल में बसती है.
दफन करते है कुछ ख्वाहिशें रोज अपनी, हाँ, गरीब के ख्वाब अक्सर पूरे नहीं होते.
देवता, पितर, मनुष्य, भिक्षुक तथा अतिथि-इन पाँचों की सदैव सच्चे मन से पूजा-स्तुति करनी चाहिए । इससे यश और सम्मान प्राप्त होता है।
भूख से बिलखते हुए वो फिर नहीं सोया!!एक और रात भारी पड़ी गरीबी पर!!
घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है, हाँ, मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है.
गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,समंदर की तलाशी कोई नही लेता।
ऐ जिंदगी इस गरीब !!पर कुछ एहसान कर !!जिंदगी का अगला !!लम्हा मेरे नाम कर !!
ग़ुर्बत की तेज़ आग पे अक्सर पकाई भूक ख़ुश-हालियों के शहर में क्या कुछ नहीं किया – इक़बाल साजिद
हर गरीब की थाली में खाना है, अरे हाँ ! लगता है यह चुनाव का आना है।
बहुत गज़ब नजारा है इस अजीब सी दुनिया का,
अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है।
मेरे ज़ख्मो को हवा दे रहे हो, किस बात की यह सजा दे रहे हो, हमने तो कोई गुस्ताखी नहीं की, फिर क्यों मरने की बद्दुआ दे रहे हो.
अ़शक उनकी आँखों के करीब होते हैं। रिश्ते दर्द के जिसको होते हैं। दौलत अपने दिल की लुटा दी है जिसने। कोई कहते हैं कि वो गरीब होते हैं।
किस्मत को खराब बोलने वालो ।कभी किसी गरीब के पासबैठ के पुछना जिंदगी क्या हैं।
रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था। हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता।
वह माँ ही है जिसके रहते, जिंदगी में कोई गम नहीं होता, दुनिया साथ दे या ना दे पर, माँ का प्यार कभी कम नहीं होता !
मेरा ज़मीर मुझे इजाज़तनहीं देता इसकीवरना मै तुम्हे सिखा देताहद पार करना।
मौत से क्या डर मिंटो का खेल हैं आफत तो जिंदगी हैं जो बरसो चला करती हैं ||
इश्क़ से बचिए जनाब सूना हैं धीमी मौत हैं ये ||
खुदा का भी उस वक्त अच्छा लगता होगा, जब कोई शक्श किसी गरीब की मदद करता होगा।
वो मंदिर का प्रसाद भी खाता है !!वो गुरूद्वारे का लंगर भी खाता है !!वो गरीब भूखा है साहब उसे !!कहाँ मजहब समझे में आता है !!
हम गरीब लोग हैं किसी को मुहब्बत के सिवा क्या देंगे। एक मुस्कुराहट थी वो भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।
दुष्ट पत्नी , शठ मित्र , उत्तर देने वाला सेवक तथा सांप वाले घर में रहना , ये मृत्यु के कारण हैं इसमें सन्देह नहीं करनी चाहिए ।
सुबह से घूम रहा था वो एक रोटी की तलाश में, आखिर थक कर तब्दील हो गया वो एक मुर्दा लाश में ।।
इसे नसीहत कहू या ज़बानी चोट साहब। एक शख्स कह गया गरीब मुहब्बत नहीं करते।
मोहब्बत हमारी किस्मत !!में कहां साहब हम तो गरीब है !!हमें सिर्फ हम दर्दीया मिलती है !!
वो रोज रोज नहीं जलता साहब मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है।
ये गंदगी तो महल वालोंने फैलाई है साहब,वरना गरीब तो सड़कोंसे थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
हे ईश्वर तुमने जिन्दगीइतनी जटिल क्यु बनाई,कि गरीब दो वक्त केरोती के लिए तरस रहे हैं…….!!
सुबह से घूम रहा था वो एक रोटी की तलाश में !!आखिर थक कर तब्दील हो गया वो एक मुर्दा लाश में !!
खुदा ने बहुत कुछ छीना है मुझसे !!लगता है वो गरीब ज्यादा है मुझसे !!
वो तो कहो मौतसबको आती है वरना,अमीर लोग कहते गरीब थाइसलिए मर गया।
घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…और दिन सुहाने हैंमेरी मजबूरी तो देखोमुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं
विष्णु भगवान ने परोपकार और मोक्षपद दोनों को तोलकर देखे, तो उपकार का पल्लु ज्यादा झुका हुआ दिखा; इसलिए परोपकारार्थ उन्हों ने दस अवतार लिये ।
पता नहीं कौन सा जहर मिलाया था तुमने मोहब्बत में ना जिंदगी अच्छी लगती हैं और ना ही मौत आती हैं |
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ !!और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा !!
गरीबी मोटिवेशनल शायरी
वो जिन्हें हाँथ में हर वक्त छाले रहते हैं। आबाद उनही के दम पर महल वाले रहते हैं।
ख्वाहिशे गिरवी रख मैं चेन से सोया !!यूँ ताउम्र मेने अपनी गरीबी को खोया !!
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची,हम गरीबों ने दुःख बेची,चंद भर सांसे खरीदने के लिएरोज थोड़ी-थोड़ी सी जिन्दगी बेची…….!!
जब विश्वास जुड़ता है तो पराये भी अपने हो जाते है और जब विश्वास टूटता है तब अपने भी पराये हो जाते है।
रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था !!हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता !!
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब !!कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए !!
पेट की भूख ने जिंदगी के !!हर एक रंग दिखा दिए !!जो अपना बोझ उठा ना पाये !!पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए !!
चल जा कोई बात नहींजो अब तू मेरे साथ नहींतुझे लगता है मैं रो दूंगाजानले इतनी तेरी औकत नहीं।
कठिण परिस्थितियों में संघर्ष करने पर एक बहुमूल्य संपत्ती विकसित होती हैं जिसका नाम है “आत्मबल’…
उसका काला टीका किसी सुदर्शन से कम नहीं माँ एक उँगली काजल से सारी बलायें टाल देती है.
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देनाहकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर
मैं लोगो की बातो कोअनसुना कर देता हुकुछ लोग पैदा ही बकवासकरने के लिए होते हैं।
हजारों दोस्त बन जाते है !!जब पैसा पास होता है !!टूट जाता है गरीबी में !!जो रिश्ता ख़ास होता है !!
जब तक शरीर में सांस रोक दी जाती है तब तक मन अबाधित रहता है और जब तक ध्यान दोनों भौहों के बीच लगा है तब तक मृत्यु से कोई भय नहीं है।
मगन था में !! सब्ज़ी में कमी निकालने में !!और खुदा से सुखी रोटी का शुक्र मना रहा था !!
कभी इसलिए भी मैंशांत रहता हूँजब बोलता हूं तो सबकीधज्जिया उड़ जाती है।
ना जाने मेरी मौत कैसे होगी पर ये तो तय हैं की तेरी बेवफाई से तो बेहतर हैं |
जिस इंसान की जिंदगी में गरीबी का खिलौना है !!उसकी राहो में बस काटों का बिछौना है !!
दिन ईद के जब क़रीब देखेमैंने अक्सर उदास ग़रीब देखे
इंसान का काम तमाम करने वाला शब्द “कल करूंगा”
यूँ तो ख़िलाफ़त के कोई भी ख़िलाफ़ नही हैफिर क्यों ग़रीबी के बदन पर लिहाफ़ नही है
जो तुमसे तंग आ जाए उसे छोड़ दो, क्योंकि बोझ बन जाने से याद बन जाना बेहतर है..
उन घरों में जहाँ मिटटी के घड़े रहते है, कद में छोटे मगर लोग बड़े रहते है.
ख्वाहिशे गिरवी रख मैं चेन से सोया, यूँ ताउम्र मेने अपनी गरीबी को खोया ।।
सुख से सुख की वृद्धि नहीं होती ।
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में !!कमाल कर दिया !!गरीबों को गरीब अमीरों को !!माला-माल कर दिया !!
मन में वहम हो तो निकाल देना.. ना यारों की कमी है, ना जिगर की!
जो व्यक्ति अपना काम छोड़कर दूसरों के काम में हाथ डालता है तथा मित्र के कहने पर उसके गलत कार्यो में उसका साथ देता है, वह मूर्ख कहलाता है ।
ऐ खुदा तेरी बनाई इस दुनिया में हर अच्छे बुरे का हिसाब, क्यों गरीबी से ही लिया जाता है ।
जो व्यक्ति क्रोध, अहंकार, दुष्कर्म, अति-उत्साह, स्वार्थ, उद्दंडता इत्यादि दुर्गुणों की और आकर्षित नहीं होते, वे ही सच्चे ज्ञानी हैं ।
रजाई की रुत गरीबी के आगन में दस्तक देती हैं। जेब गरम रखने वाले ठणड से नहीं मरते।
वक्त जब शिकार करता है हर दिशा से वार करता है.
कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा, इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।
सिर्फ वो लोग आपकी परवाह करते हैं, जो आपको तब भी सुन सकते है, जब आप चुप होते है।
मिट्टी मेरी कब्र से उठा रहा है कोई, मरने के बाद भी याद आ रहा है कोई, ऐ खुदा कुछ पल की मोहलत और दे दे, उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई।
बहुत जल्दी सीख लेता हूँजिंदगी का सबकगरीब बच्चा हूँबात-बात पर जिद नहीं करता
सुला दिया माँ नेभूखे बच्चे को ये कहकर,परियां आएंगीसपनों में रोटियां लेकर।
गरीब को गरीबी नहीं मारती है !!मारती है अमीरों की असंवेदनशीलता !!अमीरों का छल अमीरों का लालच !!क्योंकि गरीब मरता नहीं है मारा जाता है !!
झूठ की खरीददारी ज्यादा दिन तक नही टिकती, सच एक ही सही, अंत तक साथ देता है।
कैसे मुहब्बत करु बहुत गरीब हूँ साहब।लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता।
मैं किसी को नीचा नहीं दिखाताअगर लोग मेरी कामियाबी से जलेतो इसमे मेरी क्या खाता है।
हिचकिया रुक ही नहीं रहीपता नहीं हम किसकेदिल में अटक गए है।
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे…
कैसे मोहब्बत करूँबहुत गरीब हूँ सहाब,लोग बिकते हैंऔर मैं खरीद नहीं पाता।
वो जिनके हाथों में हर वक्त छाले रहते है, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते है.
ना सेंक पाता अंगीठी पर रोटी न बाजुओं कोना रोक पाता था पिता बहते हुए आंसुओं को
ठहर जाओ भीड़ बहुत है, तुम गरीब हो कुचल दिए जाओगे।
न जाने वो किस खिलौने से खेलता है, गरीब का बच्चा जो पूरे दिन मेले में गुब्बारें बेचता है.
गरीबी का आलम कुछ इस कदर छाया है !!आज अपना ही दूर होता नजर आया है !!
चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने !!सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया !!
इंसान तारों को तब देखता है, जब जमीं पर कुछ खो देता है…
लोग बहुत कुछ बटोरने में लगे हैं खाली हात जाने के लिए..
किसी गरीब को आज हँसते हुए देखा , खुशिओं का ताल्लुक दौलत से कहाँ होता है
ऊँचे या नीचे कुल से मनुष्य की पहचान नहीं हो सकती। मनुष्य की पहचान उसके सदाचार से होती है ,भले ही वह निचे कुल में ही क्यों न पैदा हुआ हो ।
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदाक्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
Dard Garib Shayari In Hindi
भूखे की थाली में भी अनाज होना चाहिए, साहब !!! गरीबों के लिए भी जिहाद होना चाहिए.
रूखी रोटी को भी बाट कर खाते हुए देखा मैने। सड़क किनारे वो भिखारी अमीर निकला।
यूँ गरीब कहकर खुद की तौहीन ना कर, ए बंदे गरीब तो वो लोग है जिनके पास ईमान नहीं है।
तानो का भार लोगो की डाट उसे सब सहना पड़ता है, क्या करे जनाब वो गरीब जो ठहरा है।
कभी आँसू तो कभी खुशी बेचीं ,हम गरीबों ने बेकसी बेची।चंद सांसे खरीदने के लिए ,रोज़ थोड़ी सी जिंदगी बेचीं।
स्वभाव का अतिक्रमण कठिन है ।
जिंदगी में कभी कोई यह नहीं कहता किहमसे भी आगे निकलो।लेकिन एक माँ ही ऐसी शख्स होती है।जो हमेशा यह दुआ देती हैं, कि हमसे भी आगे बढ़ो
साथ सभी ने छोड़ दिया,लेकिन ऐ-गरीबी,तू इतनी वफ़ादार कैसे निकली।
तंगहाली को इंसान पे ऐसे हावी देखा है मेने, जिस्म को हवस के हवाले करते देखा है मेने ।।
वो गुरूद्वारे की खिचड़ी भी खाता है अल्लाह के खीर भी खाता है वो भूखा आदमी है जनाब उसे कहाँ मजहब समझ आता है
जान दे सकते है बस एक यही हमारे बस में है !!सितारे तोड़ के लेन की बात हम नहीं करते !!
टूटी झोपड़ी में अपना !!जीवन यापन करता है !!गरीब जो शहर में अमीरो !!के ऊंचे मकान बनाता है !!
मजबूरियाँ हावी हो जाएँ ये जरूरी तो नहीं !!थोडे़ बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है !!
मैं मधुमक्खी तुम मेरा छत्ता, बैठ सका न अब तक अलबत्ता, अजमेर का मैं हूँ निवासी सुनो शायद तुम रहती हो कलकत्ता.
उसने यह सोचकर जुदा कह दिया गरीब हैं, मुहब्बत के सिवा और क्या देगा
गरीब वह है, जिसका खर्च #आमदनी से ज्यादा है।
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ। और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।
खुल कर ज़िंदगी जीने की कुंजी है खुद पर “नियंत्रण”
हर किसी के पास अपने-अपने मायने हैं, खुद को छोड़, सिर्फ दूसरों के लिए आईने हैं..
घटाए आ चुकी हैं आसमां पे और दिन सुहाने हैं। मेरी मजबूरी तो देखो मुझे बारिश में भी कागज कमाने हैं।
मुझे आदत नहीं पीछे सेवार करने की मैं भले ही कम बोलता हूं मगरसामने बोलता हूं।
दिखने में वो गरीब थे साहब !!मगर उनकी हसीं नवाबो से काम नहीं !!
लोग गरीबो से अपना करीब का रिश्ता छुपाते है, और अमीरो से दूर का रिश्ता भी निभाते है ।।
बाप चाहे अमीर हो या गरीब अपनी, औलाद के लिए वो बादशाह ही होता है !
अपनी गरीबी पर अफ़सोस ना करना मेरे दोस्त, मैंने अक्सर अमीरों को ज़रा सी सुकून के लिए तरसते देखा है ।।
दुश्मन सामने आने सेडरते थेऔर वो पगली दिलसे खेलकरचली गई।
जीवन में दो बार ही माँ बाप रोते हैं, जब बेटी घर छोड़े तथा बेटा मुह मोड़े !
संसार में मनुष्य एकमात्र प्राणी है जिसका जहर उसके शब्दों में है।
गरीब नहीं जानता क्या हैं मज़हब। जो बुझाई पेट की आग वही हैं रब उसका।
उसने यह सोच कर अलविदा कह दिया।गरीब लोग हैं मुहब्बत के सिवा क्या देंगे।
नन्हें बच्चों के सवालात से डर जाता हूँ, जेब ख़ाली हो तो मैं देर से घर जाता हूँ….
जब भी कही चलती है आँधी गम की, चाह है मेरी छुपा ले माँ अपने आँचल मे।
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहबवरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
क्षमा तो वीरों का आभूषण होता है । क्षमाशीलता कमजोर व्यक्ति को भी बलवान बना देती है और वीरों का तो यह भूषण ही है ।
माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे, वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे !
आज तक बस एक ही बात समझ नहीं आतीजो लोग गरीबों के हक के लिए लड़ते हैंवो कुछ वक़्त के बाद अमीर कैसे बन जाते हैं
मुझे नहीं पता ऊपर वाले ने तकदीर में क्या लिखा है,जब मुस्कुराते है मेरे पापा मुझे देख कर समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है।
कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नहीं आता, हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगों को मित्र और शत्रु बनाता है।
परोपकार रहित मानव के जीवन को धिक्कार है । वे पशु धन्य है, मरने के बाद जिनका चमडा भी उपयोग में आता है ।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे हैदुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है
मुहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब। किसी गरीब को मिली ही नहीं।
यू न झाँका करो किसी गरीब के दिल में। के वहा हसरतें वेलिबास रहा करती है।
खरिद लेंगे हम तेरेसारे दुखचलेंगे जिस दिन सिक्केमेरे मिज़ाज़ के।
जुरअत-ए-शौक़ तो क्या कुछ नहीं कहती लेकिन पाँव फैलाने नहीं देती है चादर मुझ को – बिस्मिल अज़ीमाबादी
दिल मरीज सा हुआ है !!ना जाने क्यो आज गरीब सा हुआ है !!
रोये बगैर तो प्याज भी नहीं कटता, यह तो जिंदगी है जनाब ऐसे कैसे कट जाएगी।
अमीरों की औलादो को चाय पसंद नहीं आती, और गरीबो की औलादे चाय बेचकर रोज़ी कमाते है ।
मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को,जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को।
दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,वही गरीबों का मजाक उड़ाते है।
बड़े बुजुर्ग कहते है की गरीब व्यक्ति की हाय, और दोगले व्यक्ति की राय कभी नहीं लेनी चाहिए ।
मशहूर होने काबिलकुल शौक नहीं मुझेमगर क्या करे लोगनाम से पहचान लेते हैं।
पानी भी क्या अजीब चीज है, नजर उनकी आँखों में आता है, जिनके खेत सूखे है।
धन, शक्ति और यौवन पर गर्व मत करो, समय क्षण भर में इनको नष्ट कर देता है| इस विश्व को माया से घिरा हुआ जान कर तुम ब्रह्म पद में प्रवेश करो ।
माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे, वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे…
मूर्ख व्यक्ति बिना आज्ञा लिए किसी के भी कक्ष में प्रवेश करता है, सलाह माँगे बिना अपनी बात थोपता है तथा अविश्वसनीय व्यक्ति पर भरोसा करता है ।
Sad Garib Shayari
जब मेरे सर पर हाथ रख दे, तो मुझे हिम्मत मिल जाती है, माँ-बाप के पैरो में ही मुझे, जन्नत मिल जाती है !
गरीबी की भी क्याखूब हँसी उड़ायी जाती है,एक रोटी देकर 100तस्वीर खिंचवाई जाती है।
किसी गरीब को मत सतागरीब बेचारा क्या कर सकेगावोह तोह बस रो देगापर उसका रोना सुन लिया ऊपर वाले नेतोह तू अपनी हस्ती खो देगा
अजीब मिठास हैमुझ गरीब के खून में भी,जिसे भी मौका मिलता हैवो पीता जरुर है
हज़ारों ग़म हो फिर भी मैं खुशी से फूल जाता हूँ जब हँसती है मेरी माँ_में सारे ग़म भूल जाता हूँ.
एक उम्र बीत चली हैं,तुझे चाहते हुए,तू आज भी बेखबर हैं,कल की तरह..Ek umra beet chali hain,Tujhe chahte hue,Tu aaj bhi bekhabar hain,Kal ki tarah…
बेटे अकड़ उतनी दीखाजितनी तेरी औकत है।
रात खत्म होकर दिन आएगा, सूरज फिर उगेगा, कमल फिर खिलेगा- ऐसा कमल में बन्द भँवरा सोच ही रहा था, और हाथी ने कमल को उखाड़ फेंका।
घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है !!हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है !!
किसी की गरीबी की मज़ाक मत बनाना यारों, क्योकि कमल अक्सर कीचड़ में ही पैदा होता है ।
गलतफहमियों के सिलसिले आजकल इतने दिलचस्प है कि, हर ईंट सोचती है कि दिवार मुझ पर टिकी है..
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से !!उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है !!बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके !!कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है !!
जीवन में इतना तो संघर्ष कर ही लेना चाहिए, कि अपने बच्चे का आत्मविश्वास बढाने के लिए दुसरों का उदाहरण न देना पड़े।
अमीरों की छत पर बारिश होती है, गरीबों की छतो से बारिश होती है ।
डिग्री लेकर रिक्शा खींचे युवक इन बाज़ारों में,अनपढ़ नेता डोरे पर है महंगी महंगी करों में…!
हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे है !!जिनके पास पैसे के अलावा कुछ भी नहीं !!
अनुशासन की पहली शिक्षा जो सिखाता है, वह है मेरे पिताजी।
कोई #गरीब नहीं है सिवाय उनके जिन्हें परमात्मा_घ्रणा करता हैं.
चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने।सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया।
हर गरीब की थाली में खाना हैअरे हाँ ! लगता है यह चुनाव का आना है
जो गरीबी में एक दिया न जला सका, एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया.
मुफ़लिसों की ज़िंदगी का ज़िक्र क्या मुफ़्लिसी की मौत भी अच्छी नहीं – रियाज़ ख़ैराबादी
नज़र आपकी खूबसूरत होनी चाहिए, हम गरीब फटे कपड़ो में भी खूबसूरत नज़र आयंगे ।
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझ को – नज़ीर बाक़री
गरीबों के बच्चे भीखाना खा सके त्योहारों में।तभी तो भगवान खुदबिक जाते हैं बजारो में।
मुझसे पंगा जरासोच समझकर लेना मै क्यूट हू मगर म्यूट नहीं।
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से ,उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है।बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके ,कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है।
जिन बच्चों के सिर से माँ-बाप का साया हट जाता है, उन्हें ऐसे हालात में देखकर कलेजा मेरा फट जाता है.
उन घरों में जहाँ मिटटी के घड़े रहते हैंकद में छोटे मगर लोग बड़े रहते हैं
आगर खौफ बनाओतो फिर मेरे जैसावरना डराना तोकुत्ते भी जाते हैं।
घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं, पर कोई बिना दिखाए भी, इतना प्यार क्यों किये जा रहे हैं, वो हैं मेरे माँ पापा !
मास्क जैसा भी हो मेरी माँ ने बनाया है, गरीब जरूर हूँ साहब पर गैर जिम्मेदार नहीं..
कोई नहीं मेरे जैसाआज की तारीख मेंइसलिए अल्फाज़ कम पड़जाते हैं मेरी तारिफ में।
भूखे की थाली में भी अनाज होना चाहिए, साहब !!! गरीबों के लिए भी जिहाद होना चाहिए.
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है !!उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है !!
मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को, जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को.
उद्यम से दरिद्रता तथा जप से पाप दूर होता है। मौन रहने से कलह और जागते रहने से भय नहीं होता।
एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है।
गरीब को गरीबी नहीं मारती है, मारती है अमीरों की असंवेदनशीलता, अमीरों का छल, अमीरों का लालच, क्योंकि गरीब मरता नहीं है मारा जाता है।।
घर जाके जब बच्चो को खाना खिलाया होगा !!बच्चो को क्या मालूम बाप ने किस हाल में कमाया होगा !!
मां पहले आंसू आते थे तो तुम याद आती थी, आज तुम याद आती हो और आंसू निकल आते है.
कुबेर भी यदि_आय से अधिक व्यय करे तो #निर्धन हो जाता है
उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।
खाली पड़ा था मकान मेरा, जब माँ घर आयी तो घर बना।
जिसके घर में न माता हो और न स्त्री प्रियवादिनी हो , उसे वन में चले जाना चाहिए क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं ।
भोजन थाली में परोस कर सामने रखा हो पर जब तक उसे उठा कर मुंह में नहीं डालोगे , वह अपने आप मुंह में तो चला नहीं जाएगा।
गरीबी इंसान को बहुत कुछ सिखा देती है !!छोटी सी उम्र में अनेको तजुर्बे बता देती है !!
बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया, जोगरीब के हक के लिए लड़ते हैं वो अमिर कैसे बन जाते हैं…!
मैं जानना चाहता हूँ, हम में क्या अच्छा हैं चल दोस्त, मरने चलते हैं ||
गरीब नहीं जनता की क्या हैं मंदिर और क्या हैं मस्जिद बस जहा उसे खाना मिलता दिखता हैं वही उसके लिए जाना हो जाता हैं निश्चित।
सिर्फ सूकून ढूंढिए..”ज़रूरते” कभी पूरी नहीं होती।
माँ-पापा के बिना जीवन अधूरा सा लगता है, उनकी ममता का प्यार ही तो है, सबसे प्यारा सफर।
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है, उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है।।
भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर !!गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है !!
Amir Garib Shayari In Hindi
जिंदगी ने एक बात ज़रूर सिखाई, माँ-बाप के सिवा कोई अपना नहीं होता.
गरीबी का आलम कुछइस कदर छाया है,आज अपना हीदूर होता नजर आया है।
इस दुनिया में सब के कर्ज चुकाए जा सकते हैंलेकिन माँ का कर्ज ऐसा होता हैजो किसी कीमत से नहीं चुकाया जा सकता
तहजिब की मिसाल गरीबों के घर पे हैं। दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे हैं।